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सोमवार, 22 मार्च 2021

पानी आँख का सूख जाए

 पानी आँख का सूख जाए 

पानी जिस्म का सूख जाए 
पानी संबंधों के मध्य भी सूख जाए 
नहीं फर्क पड़ेगा सृष्टि को 

जहाँ जल ही जीवन हो 
वहाँ पानी के सूखने से 
समाप्त हो जाती हैं प्रजातियाँ 
समाप्त हो जाती हैं सभ्यताएं 

जैसे जीवन के लिए साँसों का होना जरूरी है 
जैसे जीवन के लिए भोजन जरूरी है 
वैसे ही जीवन के लिए पानी जरूरी है 

अगला विश्व युद्ध पानी के लिए हो 
उससे पहले आवश्यक है 
जागृत होकर एक एक बूँद संजोना 

पानी केवल जीवन ही नहीं
वरदान है 
अमृत है 
धरोहर है 
संजो सको तो संजो लो 
वो वक्त आने से पहले 
जहाँ अवशेषों से होगी निशानदेही अस्तित्व की 
और कहेगा कोई पुरातत्वविद फिर किसी युग में 
हाँ, जिंदा थी कभी यहाँ भी एक सभ्यता 
जो जान न सकी विकास के मायने 
अपना ही दोहन स्वयं करती रही 
आँख पर पट्टी बाँध चलती रही 

क्या आवश्यक है हर युग में गांधारी का जन्म?