हर गम में एक खुशी छुपी है
हर रात में एक दिन छुपा है
हर शाम में एक सुबह छुपी है
हर ख्वाब में एक हकीकत छुपी है
फिर क्यूँ नही हम
उस खुशी से ,उस सुबह से ,
उस दिन से ,उस हकीकत से,
रु-बी-रु नही हो पाते
क्यूँ नही उसे खोजते
क्यूँ नही पाना चाहते
क्यूँ हमेशा दर्द के साये में
हमेशा जीना चाहते हैं ?
1 टिप्पणी:
sunder bhaav...sunder abhivyakti...
badhaayee.....
एक टिप्पणी भेजें