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सोमवार, 14 जुलाई 2008

हर गम में एक खुशी छुपी है
हर रात में एक दिन छुपा है
हर शाम में एक सुबह छुपी है
हर ख्वाब में एक हकीकत छुपी है
फिर क्यूँ नही हम
उस खुशी से ,उस सुबह से ,
उस दिन से ,उस हकीकत से,
रु-बी-रु नही हो पाते
क्यूँ नही उसे खोजते
क्यूँ नही पाना चाहते
क्यूँ हमेशा दर्द के साये में
हमेशा जीना चाहते हैं ?

1 टिप्पणी:

Pramod Kumar Kush 'tanha' ने कहा…

sunder bhaav...sunder abhivyakti...
badhaayee.....