मन की घुटन अश्कों में बह नही पाती
शब्दों में बयां हो नही पाती
अजीब मुकाम पर है जिंदगी
जो न रुक् पाती हैमन की घुटन अश्कों में बह नही पाती
शब्दों में बयां हो नही पाती
अजीब मुकाम पर है जिंदगी
जो न रुक् पाती है
और
न आगे चल पाती है
यादों के बवंडर में घीर गई है जिंदगी
ख़ुद को ढूंढ रही हूँ
न जाने कहाँ खो गई हूँ
जीसमें ख़ुद को खो दीया
उसे तो पता भी न चला
मैं उसके लिए कुछ नही
मगर वो मेरे लिए सब कुछ है
मेरा din,मेरी रात
मेरी खुशी ,मेरा गम
मेरा हँसना मेरा रोना,
मेरा प्यार मेरी लडाई
मेरा दोस्त,मेरा परिवार,
मेरा आज, मेरा कल,
मेरा आदी , मेरा अंत,
उसके बीना अस्तीत्व ही नही मेरा
उसके बीना जिंदगी की कल्पना ही नही
अब ऐसे में कहाँ खोजूं अपने आप को
जहाँ खुदी को मिटा दीया मैंने
उसमें ख़ुद को समां दीया मैंने
वहां कैसे अलग करुँ ख़ुद को
मुझे मेरा 'मैं' कहीं मीलता नही
अपने आप से पल पल लड़ रही हूँ मैं
अपना पता पूछ रही हूँ मैं
गर किसी को मीले तो बता देना
मुझे मुझसे मिला देना
और
न आगे चल पाती है
यादों के बवंडर में घीर गई है जिंदगी
ख़ुद को ढूंढ रही हूँ
न जाने कहाँ खो गई हूँ
जीसमें ख़ुद को खो दीया
उसे तो पता भी न चला
मैं उसके लिए कुछ नही
मगर वो मेरे लिए सब कुछ है
मेरा din,मेरी रात
मेरी खुशी ,मेरा गम
मेरा हँसना मेरा रोना,
मेरा प्यार मेरी लडाई
मेरा दोस्त,मेरा परिवार,
मेरा आज, मेरा कल,
मेरा आदी , मेरा अंत,
उसके बीना अस्तीत्व ही नही मेरा
उसके बीना जिंदगी की कल्पना ही नही
अब ऐसे में कहाँ खोजूं अपने आप को
जहाँ खुदी को मिटा दीया मैंने
उसमें ख़ुद को समां दीया मैंने
वहां कैसे अलग करुँ ख़ुद को
मुझे मेरा 'मैं' कहीं मीलता नही
अपने आप से पल पल लड़ रही हूँ मैं
अपना पता पूछ रही हूँ मैं
गर किसी को मीले तो बता देना
मुझे मुझसे मिला देना
12 टिप्पणियां:
आप स्वयं अपना पता हैं।
सादर ब्लॉगस्ते,
कृपया पधारें व 'एक पत्र फिज़ा चाची के नाम'पर अपनी टिप्पणी के रूप में अपने विचार प्रस्तुत करें।
आपकी प्रतीक्षा में...
sunder rachna hai.
गर किसी को मीले मेरा पता... to bata denaa... sahi hai...
मैं को चला खोजने जो भी,
खाली झोली लेकर लौटा।
दुख के बादल छँट जायेंगे,
कर दो जल्दी दूर मुखौटा।
खट्टी-मीठी यादों को,
विस्मृत करना ही होगा।
वर्तमान को प्रेम-प्रीत की,
खुशियों से भरना होगा।
मैं को चला खोजने जो भी,
खाली झोली लेकर लौटा।
दुख के बादल छँट जायेंगे,
कर दो जल्दी दूर मुखौटा।
खट्टी-मीठी यादों को,
विस्मृत करना ही होगा।
वर्तमान को प्रेम-प्रीत की,
खुशियों से भरना होगा।
Vandana ji,
उसके बीना अस्तीत्व ही नही मेरा
उसके बीना जिंदगी की कल्पना ही नही
अब ऐसे में कहाँ खोजूं अपने आप को
sach kaha .bahut sundar.
मुझे मेरा 'मैं' कहीं मीलता नही
अपने आप से पल पल लड़ रही हूँ मैं
अपना पता पूछ रही हूँ मैं
गर किसी को मीले तो बता देना
मुझे मुझसे मिला देना
बेहतरीन लिखा है।
एक बात आपके ब्लोग के कमेट मेरे को मेल क्यों हो रहे है समझ नही आ रहा।
vandana ji
bahut hi umda rachna hai , ek do jagah , english me type hai , use sudhare ..
thoghts ko acha shabdik expression mila hai ..
bahut badhai .
take care
regards
vijay
ek sundar bhavna vyakt ki hai
वह आत्म रूप परमात्व तत्व,
मेरे चेतन में अन्तस में ।
में उस में लय,वह मुझमें है,
वह ही कण-कण के अन्तर में।
सब्को जब अपने में देखा,
अपने में सब को जान लिया।
मैं क्या हूं,यह जीवन क्या है,
कुछ-कुछ समझा कुछ जान लिया॥
Interesting article, added his blog to Favorites
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