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शुक्रवार, 29 अगस्त 2008
कभी कभी कुछ लफ्ज़ दिल को ज़ख्म दे जाते हैं कभी कभी मरहम भी दर्द का सबब बन जाती है कब कौन आ के कौन सा ज़ख्म उधेड़ दे ,क्या ख़बर कभी कभी दुआएं भी बद्दुआ बन जाती हैं तस्वीर का रुख बनाने वाले को भी न समझ आया कभी कभी आईने भी तस्वीर को बदल देते हैं
1 टिप्पणी:
Bahut hi khoob....... :-)
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मेरी पहली कविता...... अधूरा प्रयास
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