कभी मिलोगी?
साँस छूटने से पहले मुझसे
पकडोगी हाथ मेरा
मौत का हाथ पकड़ने से पहले
बस इतनी सी इल्तिजा है
इक नज़र देख लूँ तुमको
और सुकून की नींद सो जाऊँ
फिर न जगाने आए कोई
कब्र पर मेरी
कोई फूल भी न चढाये
तमाम हसरतें, आरजुएं
इक दीदार के साथ
तमाम हो जाएँगी
मेरा उम्र भर का इंतज़ार
करार पा जायेगा
सिर्फ़ एक बार
तेरे आने से ...................
16 टिप्पणियां:
सिर्फ़ एक बार
तेरे आने से ...................
====
शानदार अभिव्यक्ति,
हसरतो को मुकाम पाना है
तुम्हे अब लौटकर आना है.
बेहतरीन
मेरा उम्र भर का इंतज़ार
करार पा जायेगा
सिर्फ़ एक बार
तेरे आने से ................
बहुत खूब लिखा है आपने ..पसंद आयो आपकी यह रचना ..शुक्रिया
हम तो डूबे हैं सनम,
तुमको भी न छोड़ेंगे।
आभ भी जाओ अभी मैं जिन्दा हूँ,
हसरतें परलोक में न ओढ़ेंगे।
प्रेम की पराकाष्ठा को अभिव्यक्त करती पन्क्तिया किसी प्रेमी की उस व्यथा को प्रतिबिम्बित करती है जिसे सिर्फ ह्र्दय की गहराईयो से महसूस किया जा सकता है.
मेरा उम्र भर का इंतज़ार
करार पा जायेगा
सिर्फ़ एक बार
तेरे आने से
अपनी प्रेयसी का एक पल दीदार की आकान्क्षा लिये किसी प्रेमी की व्यथा का अत्यन्त सुन्दर चित्रण.
वाह मोहब्बत को बखूबी परदर्शित करती है आपकी रचना
ये प्यार की परिभाषा भी बेहद जटिल है
इसे समझना कठिन है। ऐसा भी कोई बिरला ही होता है कि उसके प्यार को पूरा अनुकूल वातावरण मिले। हां मगर एक बात है अगर मिल पाता तो प्यार का प्रसंग इतना पोपुलर न होता।
बहुत खूब लिखा है .व्यथा का अत्यन्त सुन्दर चित्रण...शुक्रिया
कभी मिलोगी?
साँस छूटने से पहले मुझसे
पकडोगी हाथ मेरा
मौत का हाथ पकड़ने से पहले
वाह जी बेहतरीन बहुत ही अच्छी रचना लिखी हे आपने मजा आ गया पढकर
आपकी रचना पढ़ कर मैं अकसर खामोश हो जाता हूँ । इतना अच्छा लिखती हैं आप ।
सिर्फ़ एक बार
तेरे आने से ...........
प्रेम की आकांक्षा का कोई अंत नहीं है .......... सुन्दर लिखा है ......
bahut hi sundar.badhai!!!
एक आस पर क्या खूब लिखा है आपने। सच कोई तमन्ना किसी के लिए ज़िंदगी ही बन जाती है।
मेरा उम्र भर का इंतज़ार
करार पा जायेगा
सिर्फ़ एक बार
तेरे आने से
बहुत ही उम्दा।
बहुत सुन्दर मन के उद्गार .
आभार
मेरा उम्र भर का इंतज़ार
करार पा जायेगा
सिर्फ़ एक बार
तेरे आने से ................
सुन्दर प्रस्तुति.
हार्दिक बधाई.
चन्द्र मोहन गुप्त
जयपुर
www.cmgupta.blogspot.com
" shandar abhivyakti ..."
----- eksacchai { AAWAZ }
http://eksacchai.blogspot.com
http://hindimasti4u.blogspot.com
vandana
bahut saral sabdo mein sahaj bhav se likhi ye kavita aapke prem bhav ka prasar kerti hue hume prem karne ke liye aakarshit kerti hai
aise samay jab aatank ka bolbala hai ye prem kavitaen apni apni seem amai jalte hue diye ka kaam kerti hai jo apni loo ki taqat ke anusar ujjala to jarur failati hai ...badhai
एक टिप्पणी भेजें