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शुक्रवार, 29 जनवरी 2010

क्षणिकाएं

तुम मानो या ना मानो
मुझे पता है
प्यार करती हो मुझे
तुम स्वीकारो या ना स्वीकारो
मुझे पता है
तुम्हारा हूँ मैं


अश्क भी आते नही
दर्द भी होता नही
तू पास होकर भी
अब पास होता नही


इक आती सांस के साथ
तेरे आने की आस बँधी
और जाती सांस के साथ
हर आस टूट गयी


तेरी पुकार में ही
दम ना था
मैं तो किनारे
ही खड़ी थी


किनारे की मिटटी को
छूकर तो देख
मेरे अश्क से
भीगी मिलेगी
दिल के तारों को
छेडकर तो देख
मेरे ही गीत
गाते मिलेंगे
लम्हों के पास
आकर तो देख
तेरे मेरे प्यार के
फ़साने ही मिलेंगे


या तो
याद बना ले मुझको
या याद बन जा
यादों के आने जाने से
पास होने का
अहसास होता है

23 टिप्‍पणियां:

limty khare ने कहा…

bahut he badiya keep it up . . . .

شہروز ने कहा…

बहुत ही सहज लेकिन प्रभावी!!
नहीं और नही पर ध्यान दें!!

Animesh ने कहा…

wah... bahut khoob... ye to kisi ashiq ki juban lagti hai.. sabko pasand aayegi kyoki ki sabhi me ek ashiq chupa hota hai...

keep it up ...

अनिल कान्त ने कहा…

nice one !
kya baat hai

कविता रावत ने कहा…

तेरी पुकार में ही
दम ना था
मैं तो किनारे
ही खड़ी थी
Man ke bhavon ki sundar avivyakti achhi lagi..

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

सभी शब्द-चित्र दिल को छूनेवाले हैं!
सुन्दर प्रस्तुति के लिए बधाई!

बेनामी ने कहा…

"तेरी पुकार में ही
दम ना था
मैं तो किनारे
ही खड़ी थी"
"बहुत कुछ कहती" शानदार रूहानी क्षणिकाओं के लिए आभार और बधाई.

पी.सी.गोदियाल "परचेत" ने कहा…

या तो
याद बना ले मुझको
या याद बन जा
यादों के आने जाने से
पास होने का
अहसास होता है
Ati Sundar !

shyam gupta ने कहा…

अच्छी क्षणिकाएं, सुन्दर भाव चित्र,सहज़ सम्प्रेषण---न व ना पर ध्यान दें.

सुरेन्द्र "मुल्हिद" ने कहा…

sahi kaha aapne...
yaadon ke aane jaane se he ehsaas hota hai...

अनामिका की सदायें ...... ने कहा…

sadgi se ot-prot sunder asardaar kshanikaye.

Udan Tashtari ने कहा…

बहुत बेहतरीन प्रस्तुति रही!

Udan Tashtari ने कहा…

अरे, मैने तो शायद कमेंट कर दिया था. :)

दिगम्बर नासवा ने कहा…

या तो
याद बना ले मुझको
या याद बन जा
यादों के आने जाने से
पास होने का
अहसास होता है ...

बहुत अच्छी क्षणिकाएँ हैं .......... आखरी वाली तो बहुत कमाल है ....... यादों का साया साथ हो तो अकेलेपन का एहसास नही होता .........

vijay kumar sappatti ने कहा…

abhi to padha hai , thoda sa ji loon , inko , phir comment karta hoon ji

अजय कुमार ने कहा…

’यादों के आने जाने से पास होने का एहसास होता है”
खूबसूरत जज्बात

Rajeysha ने कहा…

यादों के खूबसूरत दृश्‍य दि‍खायें है आपने, धन्‍यवाद।

शरद कोकास ने कहा…

वन्दना जी भाव बहुत अच्छे है लेकिन कविता को शिल्प मे ढालने के लिये और मेहनत करनी होगी । अभी कविता नही बनी है ।

डॉ. महफूज़ अली (Dr. Mahfooz Ali) ने कहा…

या तो
याद बना ले मुझको
या याद बन जा
यादों के आने जाने से
पास होने का
अहसास होता है,....

बहुत सुंदर एहसास के साथ ...... सुंदर रचना...

नोट: लखनऊ से बाहर होने की वजह से .... काफी दिनों तक नहीं आ पाया ....माफ़ी चाहता हूँ....

M VERMA ने कहा…

यादों के आने जाने से
पास होने का
अहसास होता है
यादों की आहट, एहसासों की सरगोशियाँ शायद घनीभूत हुई है.

बहुत सुन्दर रचनाएँ

निर्मला कपिला ने कहा…

या तो
याद बना ले मुझको
या याद बन जा
यादों के आने जाने से
पास होने का
अहसास होता है,....
बहुत सुन्दर क्षणिकायें हैं शुभकामनायें

Kuldeep Saini ने कहा…

bahut sundar rachna bahut sundar

परमजीत सिहँ बाली ने कहा…

बहुत बेहतरीन क्षणिकाएं!! बधाई।