मैं नही कहता
आसमाँ से चाँद
तोड़कर लाऊँगा
नहीं कहता
तारों से
माँग सजाऊँगा
मैं नही कहता
तेरे लिए
आग का दरिया
पार कर जाऊंगा
नहीं कहता
तूफानों का
रुख मोड़ दूँगा
कोई वादा
नही करता
कोई कसम
नही उठाता
बस
धड़कन की
हर ताल
के साथ
पलकों की
गिरती -उठती
चिलमन के साथ
साँसों की
निर्बाध गति
के साथ
क्षण- प्रतिक्षण
अपनी ज़िन्दगी के
अंतिम पल
अंतिम श्वास
अंतिम धड़कन तक
सिर्फ और सिर्फ
तुझे ही चाहूँगा
26 टिप्पणियां:
बस
धड़कन की
हर ताल
के साथ
पलकों की
गिरती -उठती
चिलमन के साथ
साँसों की
निर्बाध गति
के साथ
सिर्फ और सिर्फ
तुझे ही चाहूँगा...
दिल की बात लिखी है ..... प्रेम का सैलाब जब हिलोरें लेता है तो मन से यही गूँज निकलती है ...... बहुत अच्छा लिखा है .......
साँसों की
निर्बाध गति
के साथ
क्षण- प्रतिक्षण
अपनी ज़िन्दगी के
अंतिम पल
अंतिम श्वास
अंतिम धड़कन तक
सिर्फ और सिर्फ
तुझे ही चाहूँगा
आपकी चाहत का जुनून मंजिल के करीब है!
सुन्दर रचना!
it's a great post
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EINDIAWEBGURU
bahut badiya
कोई वादा
नही करता
कोई कसम
नही उठाता
अपनी ज़िन्दगी के
अंतिम पल
अंतिम श्वास
अंतिम धड़कन तक
सिर्फ और सिर्फ
तुझे ही चाहूँगा
क्या बात है...प्रेम की परकाष्ठा...इसके आगे कुछ कहने सुनने को नहीं रह जाता...बहुत ही सुन्दर रचना...
वाह जी बहुत सुंदर
कोई वादा नहीं - पर ये वादा है:
अंतिम धड़कन तक
सिर्फ और सिर्फ
तुझे ही चाहूँगा
बहुत खूब.
कविता में सुन्दर भावाभिव्यक्ति , वन्दना जी !
क्या कहूँ मैं? कितनी सुंदर कविता लिखी है आपने.... जज़्बात को उकेर कर रख दिया है आपने......
बहुत सुंदर.......दिल को छू लेने वाली कविता....
bahut hi pyaari rachna
बहुत सुन्दर भावाभिव्यक्ति....
पलकों की
गिरती -उठती
चिलमन के साथ
साँसों की
निर्बाध गति
के साथ
सिर्फ और सिर्फ
तुझे ही चाहूँगा...
बहुत सुन्दर ....
धड़कन की
हर ताल
के साथ
पलकों की
गिरती -उठती
चिलमन के साथ
साँसों की
निर्बाध गति
के साथ
सिर्फ और सिर्फ
तुझे ही चाहूँगा...
वाह वन्दना बहुत खूबसूरत रचना है प्रेम की उत्तम अभिव्यक्ति ।शुभकामनायें
अंतिम धड़कन तक
सिर्फ और सिर्फ
तुझे ही चाहूँगा
वायदों और माँग से परे सिर्फ़ और सिर्फ़ समर्पण और चाहत की पराकाष्ठा
बहुत सुन्दर रचना
वाह .. बहुत सुंदर रचना !!
one of the best from your pen!
अपनी ज़िन्दगी के
अंतिम पल
अंतिम श्वास
अंतिम धड़कन तक
सिर्फ और सिर्फ
तुझे ही चाहूँगा
यही चाहत तो सबसे बड़ी बात है।
Kya baat hai .....chahat ka behatareen manzar dikhaya aapane!
http://kavyamanjusha.blogspot.com/
और किसी को क्या चाहिए....बाकी तो मृगमरिचिका है....पर यही तो गायब है आजकल...
बस इतना सा ..............तुझे ही चाहूंगा ....सब कुछ इस रिक्त स्थान में सिमट आया ...जीने को और क्या चाहिए ....!!
बड़ा मासूम सा वादा, बड़ी खूबसूरती से।
Waah...Kya baat kahi aur kis adaa se kahi....
Itna nibhana hi agar ho jaay to fir kya baat hai...
bada mushkil hai
ye dil ki baat hai..sundar !
बहुत सुन्दर रचना
बधाई स्वीकारें
सर्वप्रथम तो अपने ब्लाग को एक नये कलेवर मे प्रस्तुत करने के लिये बधाई साथ ही एक लम्बे समय तक अन्तर्जाल से दूर रहने के लिये क्षमा भी.
किसी प्रेमी के अन्तर्मन की पीडा ,उसकी सवेदना एवम जजबातो का यथार्थ की प्रिष्ठ्भूमि पर रहकर जिस तरह से आपने वर्णन किया है वह बेहद खूबसूरत है.वैसे तो प्रेम कल्पना लोक की विषय वस्तु है लेकिन जब एक प्रेमी स्वयम को यथार्थ के धरातल पर महसूस करने लगता है तो सचमुच एक प्रेमी की वास्तविक मनोदशा यही होती होगी, वह अपनी प्रेयसी से सीधे और सपाट रूप मे शायद यही कहता होगा.
किसी नायक और नायिका के मनोभावो को कल्पना के द्वारा महसूस कर उसका शब्दो के माध्यम से चित्रण एक कवि को मेरी नजरो मे सदैव एक कलाकार की तरह बना देता है जो विभिन्न चरित्रो को सिर्फ कल्पना के माध्यम से महसूस कर बखूबी चित्रण करने मे समर्थ होते है.
kavita kafi achchi lagi.
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