वैलेंटाइन के बहाने से चैट पर
आशिकी झाड़ने वालों
बच के रहना
जिस दिन कोई
सिरफिरी टकरा जाएगी
आशिकी की सारी
भूतनियाँ उतार जाएगी
जेब के पैसे जब
डकार जाएगी
तब घरवाली भी
हाथ से निकल जाएगी वैलेन्टाइन की माला
जपने वाले एक बार में ही
तेरा वैलेन्टाइन मना जाएगी
फिर हर औरत में तुम्हें
माँ , बहन ही नज़र आएगी
तेरी आशिकी की फूलझड़ी में
कंगाली का बम लगा जाएगी
इस बार की होली में
अपनी दिवाली और
तेरा दिवाला निकाल जाएगी
आशिकी झाड़ने वालों
बच के रहना
जिस दिन कोई
सिरफिरी टकरा जाएगी
आशिकी की सारी
भूतनियाँ उतार जाएगी
जेब के पैसे जब
डकार जाएगी
तब घरवाली भी
हाथ से निकल जाएगी वैलेन्टाइन की माला
जपने वाले एक बार में ही
तेरा वैलेन्टाइन मना जाएगी
फिर हर औरत में तुम्हें
माँ , बहन ही नज़र आएगी
तेरी आशिकी की फूलझड़ी में
कंगाली का बम लगा जाएगी
इस बार की होली में
अपनी दिवाली और
तेरा दिवाला निकाल जाएगी
32 टिप्पणियां:
वन्दना जी, क्यों जूत भिगो रही हैं? आप तो होली का ही इंतजार कीजिए।
हाँ हाँ हाँ मेरा तो हस्ते हुए बुरा हाल है क्या बात है बहुत खूब लिखा है आप ने ,,,
तेरी आशिकी की फूलझड़ी में
कंगाली का बम लगा जाएगी
इस बार की होली में
अपनी दिवाली और
तेरा दिवाला निकाल जाएगी
हाँ बहुत जबरदस्त
सादर
प्रवीण पथिक
9971969084
हा हा वाह क्या सरल शब्दों मे बखिया उधेड़ी है....
कुछ पता नहीं चल रहा.. आप कविता कह रही हैं... समझा रही हैं..हड़का रही हैं या फिर परिष्कृत तरीके से गाली दे रही हैं.. :)
जय हिंद... जय बुंदेलखंड...
बात तो आपने बड़े पते की है ।
जिस दिन कोई
सिरफिरी टकरा जाएगी
आशिकी की सारी
भूतनियाँ उतार जाएगी
..............
इस बार की होली में
अपनी दिवाली और
तेरा दिवाला निकाल जाएगी
bahut badhiya.
happy valentine.
बन्दना जी!
"क्यों जूत भिगो रही हैं?"
अरे...! श्रीमती अजित गुप्ता जी ने सभी कुछ तो कह दिया है!
very very good..
happy v-day to you!
हा हा हा बहुत ब्बडिया ये जूते सही मे काम के हैं शुभकामनायें
अरे इतना गुस्सा भी ठीक नहीं है प्रेम दिवस पर
हंस हंस कर लोट-पोट हो गया
सलाह काम आयेगी सिरफ़िरों के
भूतनियाँ उतार जाएगी.nice
चैट पर लगता नहीं वैट
और फिर चैट करने वाले भी तो नही हैं रैट
दो चार पड़ जायेंगे तो भी तो क्या होगा
ये तो खुले आम धमकाया जा रहा है..हा हा!!
:)
पहली चार पंक्तियों ने भी वह आनंद दिया कि आगे का बयां करना मुश्किल है. चेहरे पर मुस्कान है अभी तक.
संवेदनशील रचना। बधाई।
शानदार। शानदार। शानदार। शानदार। शानदार। शानदार। शानदार।
बस और कुछ नहीं।
आपने तो सूखे पानी में ....चप्पल भिगो भिगो कर मारा है....
हाहाहा...मजा आ गया...हँसते हँसते बुरा हाल है...बहुतों को बचा लिया,आपने इस कविता के माध्यम से....शुक्रगुजार होंगे,आपके..
हाहाहा क्या बात कही आपने मज़ा आ गया
कितने बेचारे लोग बच गए भिगो भिगो के लगाया है
होली दीवाली प्रेम दिवस सब एक साथ :)
क्या अनोखे अंदाज़ में वंदना जी ने वेलेन्टाईन डे पर सबके सामने अपनी बात रखी है...
अब जिसको जिस ढंग और जिस दृष्टिकोण से देखना / सोचना या नुभव करना हैं करते रहो
और वंदना जी को "भला" - " बुरा " कहते रहो
मैं तो उनकी "बोल्डनेस" की तारीफ़ करूँगा .
- विजय तिवारी "किसलय"
mujhe link bhej kar bulvaaya
shukriyaa
naam daetee to aur bhi achcha hotaa
hi
vanadana ji
namaskar
wah ji wah , kya baat hai , lagata hai aapane to kamar kas li hai.
good .
bahut achchha likha hai.
सीधी सपाट बात। बेबाक काव्य बहुत अच्छा लगा। सचमच अच्छा लगा। आपका ब्लॉग http://blogwood.feedcluster.com/ में शामिल कर दिया गया है। अगर अन्य ब्लॉग हो तो वो खुद एड करें।
वाह जी वाह! क्या खूब सलाह दी है आपने सरफिरे आशिकों के लिये, जो इस पवित्र दिवस को बदनाम करते है.......वो कहते हैं ना कि कि ’’वन्दना जी का है अन्दाज-ए- बयाँ-और।’’.....अच्छी अभिव्यक्ति!! आभार!!
badhai jabardast likha hai badhut he badiya
sadar
wah ji wah bahut khub behatrin likha hai aapne aur ab to hume bhi kisi se bhi chat karni band karni padegi kya pata aur kaun kaun bhi yehi sab soch len
बखिया उधेड़ achchi lagi
wah vandana ji, mazedar, chatkharedaar, lagta ab to bhoot bhaga hi samjho.
ha ha ha ha ...........
वंदना जी, आदाब
कविता के माध्यम से अच्छी नसीहत है.
सलाह अच्छा है , सच्चा है
हास्य के साथ साथ आज के मनचलों को अच्छा संदेश दिया है आपने ...... लाजवाब रचना ...
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