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मंगलवार, 15 जून 2010

मैं लौट कर नहीं आऊंगा

कल
एक लम्हा 
टूटा
गिरने लगा 
मैंने लपका
पकड़ा हाथ में 
कहा
रुक तो ज़रा 
कहाँ जा रहा है?
वो बोला 
रुक नहीं सकता
मुझे तो 
मिटना है
तुम जी लो 
जितना जी
सकते हो 
भर लो
अंक में
हर क्षण को
जितना भर
सकते हो
संजो लो
हर ख्वाब को
जितना संजो 
सकते हो
मुझे तो अब 
गुजरना होगा
आने के बाद 
जाने के नियम
को निभाना होगा
बस तुम भी
ऐसे ही 
अपना नियम
निभाते रहो 
हर लम्हे को
जुदा होने 
से पहले
यादों के दामन
में समेट 
लिया करो
और कुछ पल 
जी लिया करो
इस अथाह 
सागर में
डूब लिया करो
मैं लौट कर 
नहीं आऊंगा 
इस सत्य को
मान लिया करो


 

34 टिप्‍पणियां:

aarya ने कहा…

सादर!
जीने के साथ मरना भी लिखता है भगवान
फिर भी इसको भूल कर जीता है इन्सान
रत्नेश त्रिपाठी

दिगम्बर नासवा ने कहा…

सच है बीता वक़्त लौट कर नही आता ... उन लम्हों की खुश्बू रह जाती है ... अच्छा लिखा है ...

नीरज गोस्वामी ने कहा…

सच कहा आपने जो लम्हा अच्छे से जी लिया वो ही काम का है...लम्हों की बेकद्री नहीं होनी चाहिए...बहुत ही अच्छी और प्रेरक रचना...
नीरज

Dr.J.P.Tiwari ने कहा…

अपनी - अपनी किस्मत है,
ये कौन समेट पाता है कितना /
जिसकी जितनी होती पात्रता,
वह समेट पाता है उतना //

Dr.J.P.Tiwari ने कहा…

अपनी - अपनी किस्मत है,
ये कौन समेट पाता है कितना /
जिसकी जितनी होती पात्रता,
वह समेट पाता है उतना //

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

हर लम्हे को
जुदा होने
से पहले
यादों के दामन
में समेट
लिया करो
और कुछ पल
जी लिया करो
--
आपकी रचना बहुत बढ़िया है!
शाश्वत सत्य का दिग्दर्शन कराने के लिए शुक्रिया!

shikha varshney ने कहा…

वक़्त भी कभी ठहरा है किसी के लिए ....
बहुत खूब.

परमजीत सिहँ बाली ने कहा…

बहुत सुन्दर रचना है।बधाई।

माधव( Madhav) ने कहा…

NICE

संजय भास्‍कर ने कहा…

उफ्फ... फ... फ..सच दिल भर आया बेहद प्रभावशाली रचना ............

संजय भास्‍कर ने कहा…

आप बहुत सुंदर लिखती हैं. भाव मन से उपजे मगर ये खूबसूरत बिम्ब सिर्फ आपके खजाने में ही हैं

वाणी गीत ने कहा…

लौट कर नहीं आता बीता पल ...काश लौटाया जा सकता ...!!

दिलीप ने कहा…

waah har baar ki tarah lajawaab..virah ho ya bhakti...aapki kalam ka jawaab nahi...

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

शाश्वत सत्य को इंगित करती अच्छी रचना...

रश्मि प्रभा... ने कहा…

वक़्त ने सही कहा...मानना होगा न .

vijay kumar sappatti ने कहा…

sahi hai .. bahut sundar likha hai .man ko choo gaya

Rajeysha ने कहा…

आगे भी जाने ना तू, पीछे भी जाने ना तू, जो भी है बस यही इक पल है ....

पी के शर्मा ने कहा…

वंदना जी को वंदन
अब तक की सबसे बेहतरीन रचना
एक अटल सत्‍य
आपकी कलम को प्रणाम

sanu shukla ने कहा…

एकदम सत्य कहा अlपने...सुंदर रचना....!!

rashmi ravija ने कहा…

कल
एक लम्हा
टूटा
गिरने लगा
मैंने लपका
पकड़ा हाथ में
कहा
रुक तो ज़रा
कहाँ जा रहा है?
वो बोला
रुक नहीं सकता
मुझे तो
मिटना है
कमाल की पंक्तियाँ हैं...बहुत बहुत सुन्दर रचना

M VERMA ने कहा…

लम्हा टूटकर गिरता है और फिर लौटकर नहीं आता, पर यह भी तो सच है कि वह एक नया लम्हा दे जाता है शायद उससे खूबसूरत .....
बहुत करीब से संजोया है आपने इस लम्हे को.
वाह जी वाह

सुरेन्द्र "मुल्हिद" ने कहा…

another magical composition from your pen...

हरकीरत ' हीर' ने कहा…

वंदना जी रचना प्रभाव छोडती है ......!!

अजित गुप्ता का कोना ने कहा…

बढिया रचना, बधाई।

Dev ने कहा…

बेहतरीन रचना ........वक्त कभी रुक नहीं सकता . .....लाजवाब प्रस्तुती .

Arshad Ali ने कहा…

sundar bhawpurn kavita..
badhai

बेनामी ने कहा…

हर लम्हे को
जुदा होने
से पहले
यादों के दामन
में समेट
लिया करो
और कुछ पल
जी लिया करो

छत्तीसगढ़ पोस्ट ने कहा…

वाकई, हर पंक्ति दिल को छू लेने वाली है.. अच्छी प्रस्तुति .... बधाई.....शुक्रिया..

अरुण चन्द्र रॉय ने कहा…

ek saans me puri kavita padh liya jee liya.. sunder rachna .. sunder abhivyakti... jeene kee prerna deti kavita

Mohinder56 ने कहा…

सुन्दर रचना

हैं लाखों लम्हें जिन्दगी के
सिर्फ़ एक लम्हा मौत का
जब तलक है जिन्दगी, दोस्त
मुस्करा तू, हर लम्हा मुस्करा

निर्मला कपिला ने कहा…

कल
एक लम्हा
टूटा
गिरने लगा
मैंने लपका
पकड़ा हाथ में
कहा
रुक तो ज़रा
कहाँ जा रहा है?
वो बोला
रुक नहीं सकता
मुझे तो
मिटना है
वाह कमाल की ैअभोव्यक्ति है बधाई

सदा ने कहा…

हर लम्हे को
जुदा होने
से पहले
यादों के दामन
में समेट
लिया करो
और कुछ पल
जी लिया करो

बहुत ही सुन्‍दर शब्‍द, बेहतरीन प्रस्‍तुति, आभार ।

rajesh singh kshatri ने कहा…

बहुत सुन्दर...

vijay kumar sappatti ने कहा…

this is one of your very bests..... jabardasht presentation .. inaam kabul kare ji ,,,,,,,,,,