कल
एक लम्हा
टूटा
गिरने लगा
मैंने लपका
पकड़ा हाथ में
कहा
रुक तो ज़रा
कहाँ जा रहा है?
वो बोला
रुक नहीं सकता
मुझे तो
मिटना है
तुम जी लो
जितना जी
सकते हो
भर लो
अंक में
हर क्षण को
जितना भर
सकते हो
संजो लो
हर ख्वाब को
जितना संजो
सकते हो
मुझे तो अब
गुजरना होगा
आने के बाद
जाने के नियम
को निभाना होगा
बस तुम भी
ऐसे ही
अपना नियम
निभाते रहो
हर लम्हे को
जुदा होने
से पहले
यादों के दामन
में समेट
लिया करो
और कुछ पल
जी लिया करो
इस अथाह
सागर में
डूब लिया करो
मैं लौट कर
नहीं आऊंगा
इस सत्य को
मान लिया करो
34 टिप्पणियां:
सादर!
जीने के साथ मरना भी लिखता है भगवान
फिर भी इसको भूल कर जीता है इन्सान
रत्नेश त्रिपाठी
सच है बीता वक़्त लौट कर नही आता ... उन लम्हों की खुश्बू रह जाती है ... अच्छा लिखा है ...
सच कहा आपने जो लम्हा अच्छे से जी लिया वो ही काम का है...लम्हों की बेकद्री नहीं होनी चाहिए...बहुत ही अच्छी और प्रेरक रचना...
नीरज
अपनी - अपनी किस्मत है,
ये कौन समेट पाता है कितना /
जिसकी जितनी होती पात्रता,
वह समेट पाता है उतना //
अपनी - अपनी किस्मत है,
ये कौन समेट पाता है कितना /
जिसकी जितनी होती पात्रता,
वह समेट पाता है उतना //
हर लम्हे को
जुदा होने
से पहले
यादों के दामन
में समेट
लिया करो
और कुछ पल
जी लिया करो
--
आपकी रचना बहुत बढ़िया है!
शाश्वत सत्य का दिग्दर्शन कराने के लिए शुक्रिया!
वक़्त भी कभी ठहरा है किसी के लिए ....
बहुत खूब.
बहुत सुन्दर रचना है।बधाई।
NICE
उफ्फ... फ... फ..सच दिल भर आया बेहद प्रभावशाली रचना ............
आप बहुत सुंदर लिखती हैं. भाव मन से उपजे मगर ये खूबसूरत बिम्ब सिर्फ आपके खजाने में ही हैं
लौट कर नहीं आता बीता पल ...काश लौटाया जा सकता ...!!
waah har baar ki tarah lajawaab..virah ho ya bhakti...aapki kalam ka jawaab nahi...
शाश्वत सत्य को इंगित करती अच्छी रचना...
वक़्त ने सही कहा...मानना होगा न .
sahi hai .. bahut sundar likha hai .man ko choo gaya
आगे भी जाने ना तू, पीछे भी जाने ना तू, जो भी है बस यही इक पल है ....
वंदना जी को वंदन
अब तक की सबसे बेहतरीन रचना
एक अटल सत्य
आपकी कलम को प्रणाम
एकदम सत्य कहा अlपने...सुंदर रचना....!!
कल
एक लम्हा
टूटा
गिरने लगा
मैंने लपका
पकड़ा हाथ में
कहा
रुक तो ज़रा
कहाँ जा रहा है?
वो बोला
रुक नहीं सकता
मुझे तो
मिटना है
कमाल की पंक्तियाँ हैं...बहुत बहुत सुन्दर रचना
लम्हा टूटकर गिरता है और फिर लौटकर नहीं आता, पर यह भी तो सच है कि वह एक नया लम्हा दे जाता है शायद उससे खूबसूरत .....
बहुत करीब से संजोया है आपने इस लम्हे को.
वाह जी वाह
another magical composition from your pen...
वंदना जी रचना प्रभाव छोडती है ......!!
बढिया रचना, बधाई।
बेहतरीन रचना ........वक्त कभी रुक नहीं सकता . .....लाजवाब प्रस्तुती .
sundar bhawpurn kavita..
badhai
हर लम्हे को
जुदा होने
से पहले
यादों के दामन
में समेट
लिया करो
और कुछ पल
जी लिया करो
वाकई, हर पंक्ति दिल को छू लेने वाली है.. अच्छी प्रस्तुति .... बधाई.....शुक्रिया..
ek saans me puri kavita padh liya jee liya.. sunder rachna .. sunder abhivyakti... jeene kee prerna deti kavita
सुन्दर रचना
हैं लाखों लम्हें जिन्दगी के
सिर्फ़ एक लम्हा मौत का
जब तलक है जिन्दगी, दोस्त
मुस्करा तू, हर लम्हा मुस्करा
कल
एक लम्हा
टूटा
गिरने लगा
मैंने लपका
पकड़ा हाथ में
कहा
रुक तो ज़रा
कहाँ जा रहा है?
वो बोला
रुक नहीं सकता
मुझे तो
मिटना है
वाह कमाल की ैअभोव्यक्ति है बधाई
हर लम्हे को
जुदा होने
से पहले
यादों के दामन
में समेट
लिया करो
और कुछ पल
जी लिया करो
बहुत ही सुन्दर शब्द, बेहतरीन प्रस्तुति, आभार ।
बहुत सुन्दर...
this is one of your very bests..... jabardasht presentation .. inaam kabul kare ji ,,,,,,,,,,
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