न जाने कितने पैगाम दे जायेगी
कुछ अनसुना सुना जायेगी
कुछ अनकहा कह जायेगी
तुम्हारे पैयाम ले जायेंगी
दर पर इक दस्तक दे जायेंगी
कभी बतियाकर तो देखिये
कभी हाथ लगाकर तो देखिये
ना भीग जाये तो कहना
हवाओं मे भी नम स्पर्श होता है
नमी हाथो की कहानी कह जायेगी
फिजाओं की हर सदा दे जायेगी
कैसे बहते हैं चश्मे - नम
हवाओ के साथ तुम भी जान लोगे
हवाओ को पहचान लोगे
उनसे अपना दामन बाँध लोगे
बस एक बार हवाओं से
बतिया कर तो देखिये
बतिया कर तो देखिये
23 टिप्पणियां:
हवा में तो हमारा जीवन छुपा है..बहुत ही खुबसूरत रचना वंदना जी....
कभी कभी....
इन हवाओं में बड़ा जादू है
कभी सिहरन
कभी ख़ामोशी
कभी उठापटक
कभी गीत.......सुनो सुनो
हाँ सुनती हूँ , ये हवा ही तो हमें मिलाती है
बहुत सुंदर भावों को सरल भाषा में कहा गया है. अच्छी रचना
हवा से चुपचाप बतियाना कितना आनन्द लेकर आता है।
हां हवाये भी तो बतियाती हे.... बस बात करने वाला चाहिये , बहुत सुंदर भाव लिये आप की यह सुंदर रचना. धन्यवाद
हवाओं मे भी नम स्पर्श होता है
नमी हाथो की कहानी कह जायेगी
फिजाओं की हर सदा दे जायेगी
बड़ी प्यारी पंक्तियाँ हैं
khubsoorat... bohot hi saral shabo ka prayog aur bohot acchi prerna sey bharey aarth.
कभी बतियाकर तो देखिये!
yaqeenan batiyane se kai xheezen clear ho jati hai !!
sundar ohh sorry ... ati-sundar RACHNA !!!
SALEEM
zindagikiaarzoo.blogspot.com
9838659380
हवाओं पे लिख दो हवाओं के नाम, हम अनजान परदेसियों के सलाम...
ये गाना याद आ गया आपकी इस खूबसूरत रचना को पढ़ कर...बधाई...
नीरज
बहुत खूब वंदना जी, सचमुच हवा से बातें करने का आनंद ही कुछ और है।
ओह ! सच !!
बाते की हवा से ... उसने पैग़ाम दिया
खुश्बू भरकर पास से गुज़र जाएंगे,
सुकून बनकर दिल में उतर जाएंगे,
महसूस करने की कोशिश कीजिए,
दूर होते हुए भी पास नज़र आएंगे।
और फिर
एक पुराना मौसम लौटा, याद भरी पुरवाई भी,
ऐसा तो कम ही होता है हवा भी हों, तनहाई भी।
नर्म हवा को छूने भर से पलकें भीगने लगती हैं,
कितनी सौंधी लगती है, तब किसी की रुसबाई भी।
हवा से बातें करना आप सिखा रही हैं.. नए अरमा जगा रही हैं.. सुन्दर कविता
ऐसा क्या? जरुर कोशिश करेंगे आप कहती हैं तो :) बहुत सुन्दर कविता .
बहुत सुन्दर होती है ये हवाएँ!
--
बस इनको आवारा हवाओं की नजर से बचाकर रखना!
--
ज्योति-पर्व दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएँ!
जी हा ये हवाए बहुत कुछ कहती है हमने कई बार बाते की है इनसे कम से कम एक अच्छे श्रोता की तरह सारी बाते सुन लेती है |
बहुत सुन्दर रचना !
सच कहा और बहुत खूब कहा!
बहुत किस्से सुनाती है हवा ...
मुझे एक कविता याद हो आई
हवा हूँ हवा मैं
बसंती हवा हूँ ..
hawaon ki nami mehsoos ki jaye!
jindagi kuch yun ji jaye!!
bahut sundar kathya!!!
Hawa ye kaam bhi karti h,maloom na tha..ab apne bataya h to azmaa kar dekhenge :)
हवा अपने मृदुल, कोमल स्पर्श से सब को छू कर बतियाती है रोज ही और उसका नम
एहसास कोई मरहम सा रख जाता है हमारे टीसते मन प्राण पर. खूबसूरत अभिव्यक्ति.
आभार.
सादर
डोरोथी.
आप को सपरिवार दिवाली की शुभ कामनाएं.
आपको और आपके परिवार को दीपावली की हार्दिक शुभकामाएं
एक टिप्पणी भेजें