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मंगलवार, 18 जनवरी 2011
दिशाबोध
दिग दिगन्त तक दिग्भ्रमित करतीं अनंत मृगतृष्णायें दिशाभ्रम का बोध कराती हैं जीवन दिशाहीन बना जाती हैं मगर दीप सा देदीप्यमान होता आस का दीपक दिग्भ्रमित दिशाओं को भी दिशाबोध करा जाता है
इच्छाओ का बहिष्कार ... जीवन के तमाम अवसादों का इलाज़ है... गीत में कृष्ण ने भी कहा है इच्छा नहीं रखने के लिए.. स्वामी विवेकानंद ने भी डीटेटच्मेंट पर जोर दिया था.. सुन्दर आह्वान !
24 टिप्पणियां:
बहुत ही गहरे भाव लिये यह पंक्तियां ...दिल को छू गई ..बधाई इस सुन्दर शब्द रचना के लिये ।
ह्र्दय की गहराई से निकली अनुभूति रूपी सशक्त रचना
सार्थक और भावप्रवण रचना।
aash ka deepak ................
...............dishabodh kara jata hai.
'vistrit ichchhaon ........
..............maine tumhara bahishkar kiya'
adyatmik bhavon ki jeevant rachna .
....उतना तुमने मुझे शोषित किया
ब्रह्मांड की तरह अनंत
विस्तृत इच्छाओं
लो आज मैने तुम्हारा
बहिष्कार किया
बहुत सुन्दर भाव !
वंदना जी संक्षिप्त किन्तु सारगर्भित कविता... परिपक्व होते भाव का सुन्दरता से चित्रण.. आशा का दीप जलाएं रखें.. शुभकामना..
भावपूर्ण प्रस्तुति. आशा ही जीवन है
वाह! क्या बात है! बेहतरीन रचना!
वन्दना जी इस भावपूर्ण रचना के लिए बधाई स्वीकारें
नीरज
वंदना जी इच्छाओं की इससे बेहतर परिणामी व्याख्या पहले नहीं देखी, वह भी इतने संक्षिप्त रूप में.एक सदेश देती अनुकरणीय रचना के लिए बधाई.
आज की रचना अमृतवाणी से कम नहीं।
अब दिग्भ्रमित होने का कोई गम नहीं!!
सुन्दर भाव लिये रचना |बधाई
आशा
अति सुन्दर दिल की गहराईयों से निकला काव्य ।
सुन्दर शब्द रचना के लिये बधाई|
gahan drishtikon , romanchit ho gai
वाह जी... बहुत सुंदर भाव. अति सुंदर कविता धन्यवाद
जितना तुम्हे पोषित किया , उतना ही मुझे शोषित किया ...
लालसाएं ऐसी ही होती है , इनका बहिष्कार ही सुकून देता है ...!
वह तो बैठा रहेगा दरवाजे पर धरना दे कर.
वंदना जी,
वाह...वाह.....बहुत ही सुन्दर....हर तरफ 'द' का बोलबाला था......बहुत खूब|
इच्छाएं ही हैं जो मनुष्य को निराशा के गर्त में डुबो देती हैं ...इनका बहिष्कार हो जाए तो सब कुछ आनंदमय है ... खूबसूरत अभिव्यक्ति
दमदार।
बहुत अच्छी प्रस्तुति
बहुत ही सुन्दर
इच्छाओ का बहिष्कार ... जीवन के तमाम अवसादों का इलाज़ है... गीत में कृष्ण ने भी कहा है इच्छा नहीं रखने के लिए.. स्वामी विवेकानंद ने भी डीटेटच्मेंट पर जोर दिया था.. सुन्दर आह्वान !
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