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शुक्रवार, 1 अप्रैल 2011

आज मूर्खोत्सव कुछ ऐसे मनाया

आज मूर्खोत्सव कुछ ऐसे मनाया
उनको बिना तेल पानी के झाड़ पर चढ़ाया
बिना बात ही उन्हें सरताज कह दिया
मानो आज तो उन्हें कोहिनूर मिल गया
ख़ुशी के मारे ऐसे उछल रहे हैं
जैसे उल्लू दिन में देख रहे हैं
आज उन्हें अपना lifeguard बताया
फिर तो जैसे आसमाँ जमीन पर उतर आया
बिना संगीत के आगे पीछे नाच रहे हैं
पाँव ना जमीन पर पड़ रहे हैं
अब उन्हें लिस्ट पकड़ा दी है
शौपिंग , outing , खाने पीने का
सारा प्लान समझा दिया है
बिना मेहनत के रंग जमा दिया है
आज के दिन का फायदा उठा लिया है
उनको महामूर्ख का ख़िताब दिला दिया है
तो तुम भी गुरु हो जाओ शुरू
बना लो दिन को दिवाली
एक पांसा फेंको और तमाशा देखो
महामूर्ख दिवस का कमाल देखो
अपने अजीजों को बेहाल देखो

20 टिप्‍पणियां:

अरुण चन्द्र रॉय ने कहा…

मज़ेदार कविता.. कुछ लोग तो कुछ लोग के लिए रोज़ ऐसे मूर्ख बन सकते हैं...

Yashwant R. B. Mathur ने कहा…

क्या बात है ....सच में बहुत मज़ा आया पढ़ कर.


सादर

Dr Varsha Singh ने कहा…

महामूर्ख दिवस का कमाल देखो
अपने अजीजों को बेहाल देखो..

वाह..क्या खूब .....

Arun sathi ने कहा…

फ़ंसाने का नया फ़ंडा

Rakesh Kumar ने कहा…

ये तो आप रोज ही करती रहती होंगीं वंदनाजी.आज क्या नयी बात हुई.लगता है कहीं आप ही तो उल्टे
न फंस गयी.खैर,कोई बात नहीं , यही तो इस दिन की महिमा है

मनोज कुमार ने कहा…

अब जाकर आज के दिन का राज़ समझ आया है।
आपकी लेखनी का यह अंदाज़ मन को बहुत भाया है।

सुरेन्द्र सिंह " झंझट " ने कहा…

अरे वाह वंदना जी ! आपने तो उठा लिया फायदा , वह भी अच्छे से ....
अब हम क्या करें .....ख़याल ही नहीं आया !

राजेश उत्‍साही ने कहा…

जय हो।

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

ज़रा बच के रहना अब उनकी बारी है ..

Unknown ने कहा…

ये तरकीब पुरानी है
बोतल नई,
पर शराब पुरानी है
पतियों के साथ
होता है सदा यूं ही
पहले झाड़ पर चढ़ाकर
पटका जाता है यूं ही
कल भी थी
आज भी है
वही कहानी
नई बोतल, पर शराब पुरानी

-यह पंक्तियां सिर्फ आपकी पोस्ट के कमेंट के लिए।

मेरा ब्लॉग भी देखें
दुनाली

Er. सत्यम शिवम ने कहा…

आपकी उम्दा प्रस्तुति कल शनिवार (2.04.2011) को "चर्चा मंच" पर प्रस्तुत की गयी है।आप आये और आकर अपने विचारों से हमे अवगत कराये......"ॐ साई राम" at http://charchamanch.blogspot.com/
चर्चाकार:Er. सत्यम शिवम (शनिवासरीय चर्चा)

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

बढ़िया रचना लिख दी!
मूर्ख दिवस को बुद्धिमानी दिवस में बदल दिया है आपने!
मूर्खों को बधाई!
मूर्ख दिवस की!

Sunil Kumar ने कहा…

मूर्ख दिवस को बुद्धिमानी दिवस में बदल दिया है आपने!
मूर्खों को बधाई!
मूर्ख दिवस की!

ZEAL ने कहा…

It's a wonderful day to enjoy with family and friends in a very unique way.

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

वाह, अपनी मूर्खता मान लेना एक कला है।

rashmi ravija ने कहा…

वाह वाह !! क्या बात है....मजा आ गया ,पढ़कर

विनोद कुमार पांडेय ने कहा…

बहुत खूब....वाकई बढ़िया मनाई आपने मूर्ख दिवस...

M VERMA ने कहा…

बधाई ! इस महा सफलता के लिये

Dr (Miss) Sharad Singh ने कहा…

वाह..क्या खूब ...रोचक कविता...

अनामिका की सदायें ...... ने कहा…

badhayi ho. u hi apni kaamnaaye poorn karte raho...u hi munna bhai lage raho.:)