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शनिवार, 2 अप्रैल 2011

छलावा

तू और तेरी याद
इक छलावा ही सही
छले जाने का भी
अपना ही मज़ा होता है
ज़िन्दगी रोज़ मुझे
छलती है----सोचा
इक रोज़ ज़िन्दगी को
छल कर देखूँ
और कौन ……तुम ही तो हो
मेरी ज़िन्दगी
मेरी याद
मेरी रूह
मेरा चैन
मेरे आरोह
मेरे अवरोह
तो क्या हुआ
जो इक बार
खुद से खुद को
छल लिया
जीने के लिये
कुछ तो वजह
होनी चाहिये

27 टिप्‍पणियां:

सदा ने कहा…

जीने के लिए..कुछ तो वजह ...होनी चाहिये ..सत्‍य के बेहद निकट हर शब्‍द ...।

अजित गुप्ता का कोना ने कहा…

जीवन को छलावा के साथ नहीं कुछ कर गुजरने की तमन्‍ना के साथ जो लोग जीते हैं वे ही सिकन्‍दर कहलाते हैं और वे ही श्रेष्‍ठ मानवों का निर्माण करते हैं।

Er. सत्यम शिवम ने कहा…

सच में यादें तो बस छलावा है...एक झुठा यकीन दिल को..........बहुत ही सुंदर एहसासों में सनी आपकी आज की रचना...सुंदर।

PAWAN VIJAY ने कहा…

वाकई जब आप जानबूझ कर किसी के द्वारा छले जाते है तो उसका एक अलग किसिम का आनंद होता है

पी.सी.गोदियाल "परचेत" ने कहा…

जिन्दगी रोज मुझे

छलती है...... सोचा

इक रोज जिन्दगी को

छल कर देखूँ



बहुत सुन्दर !

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

जिसने ज़िंदगी को छलना सीख लिया उसे ज़िंदगी जीनी आ गयी ..अच्छी रचना

सुरेन्द्र सिंह " झंझट " ने कहा…

'इक छलावा ही सही

छले जाने का भी

अपना ही मज़ा होता है'

****************

और यही मजा संघर्षपूर्ण जीवन को भी मजेदार बना देता है ......बहुत सुन्दर भाव

बेनामी ने कहा…

वाह...... वंदना जी खुद को खुद के द्वारा चला ही जा रहा है सदियों से...

मनोज कुमार ने कहा…

** अपने आपको छल लेना आई मुसीबतों पर विजय पाने की ओर पहला कदम है।

ज्ञानचंद मर्मज्ञ ने कहा…

सही कहा आपने, जीने के लिए कुछ तो वजह होनी ही चाहिए !
अभिव्यक्ति की प्रखर रश्मियाँ भावों में चमक पैदा कर रही हैं
सुन्दर रचना के लिए बधाई !

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

छले जाने में एक पीड़ा भी होती है और पहचानने का सत्य भी।

Asha Joglekar ने कहा…

जीने के लिये कुच तो वजह होनी चाहिये । प्रेम हो या प्रेम का आभास ।

रजनीश तिवारी ने कहा…

छले जाने का भी
अपना ही मज़ा होता है
ज़िन्दगी रोज़ मुझे
छलती है----
बहुत अच्छी लगी आपकी ये कविता ।

Dr Varsha Singh ने कहा…

बहुत ही सुंदर रचना....

वाणी गीत ने कहा…

जिंदगी पर आपकी हुकूमत ही तो है उसे छल लेना ...
मुबारक !

Unknown ने कहा…

जिन्दगी रोज मुझे
छलती है...... सोचा
इक रोज जिन्दगी को
छल कर देखूँ
एक छलावे को छलने का प्रयाश अच्छा है

Anupama Tripathi ने कहा…

प्रेम की आसक्ति -
सुंदर अभिव्यक्ति

लक्ष्मी नारायण लहरे "साहिल " ने कहा…

BAHUT SUNDAR RACHANAA ..HARDIK BADHAI...
SADAR
LAXMI NARAYAN LAHARE

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

बहुत सही!
अब तो सिर्फ
छले जाने में ही मजा है।
छलने वाले के लिए
कोई नहीं सजा है।
--
टीम इण्डिया ने 28 साल बाद क्रिकेट विश्व कप जीतनें का सपना साकार किया है।
एक प्रबुद्ध पाठक के नाते आपको, समस्त भारतवासियों और भारतीय क्रिकेट टीम को बहुत-बहुत शुभकामनाएँ प्रेषित करता हूँ।

Kunwar Kusumesh ने कहा…

बहुत ही सुंदर रचना.

चैन सिंह शेखावत ने कहा…

sunder shabd...

तदात्मानं सृजाम्यहम् ने कहा…

ये दिल्ली वाले ​
​हमेशा दिल की ही ​
​बात करते रहते हैं...​
​यह जानते हुए भी कि​
​दिलवाले हमेशा ​
​दिल को छला करते हैं...​
​वैसे, वंदना जी अपन ने भी दो चार पंक्तियां दिल को छूती लिखी हैं....जरा गौर फरमाइएगा...

rashmi ravija ने कहा…

तो क्या हुआ
जो इक बार
खुद से खुद को
छल लिया
जीने के लिये
कुछ तो वजह
होनी चाहिये

एक मासूम सी स्वीकारोक्ति

Vijuy Ronjan ने कहा…

छले जाने का भी
अपना ही मज़ा होता है

Bilkul sahi Vandana ji..

Dinesh pareek ने कहा…

आपका ब्लॉग देखा | बहुत ही सुन्दर तरीके से अपने अपने विचारो को रखा है बहुत अच्छा लगा इश्वर से प्राथना है की बस आप इसी तरह अपने इस लेखन के मार्ग पे और जयादा उन्ती करे आपको और जयादा सफलता मिले
अगर आपको फुर्सत मिले तो अप्प मेरे ब्लॉग पे पधारने का कष्ट करे मैं अपने निचे लिंक दे रहा हु
बहुत बहुत धन्यवाद
दिनेश पारीक
http://kuchtumkahokuchmekahu.blogspot.com/
http://vangaydinesh.blogspot.com/

Dinesh pareek ने कहा…

आपका ब्लॉग देखा | बहुत ही सुन्दर तरीके से अपने अपने विचारो को रखा है बहुत अच्छा लगा इश्वर से प्राथना है की बस आप इसी तरह अपने इस लेखन के मार्ग पे और जयादा उन्ती करे आपको और जयादा सफलता मिले
अगर आपको फुर्सत मिले तो अप्प मेरे ब्लॉग पे पधारने का कष्ट करे मैं अपने निचे लिंक दे रहा हु
बहुत बहुत धन्यवाद
दिनेश पारीक
http://kuchtumkahokuchmekahu.blogspot.com/
http://vangaydinesh.blogspot.com/

Akhil ने कहा…

bahut khoobsurati se jeene ki vajah khoj li aapne..bahut nazuk khayaal aur behad sundar rachna..
aapko kam hi padha hai ab tak..aage se prayaas rahega is kami ko poora karne ka..