आओ मोहना मनमोहना
मेरे ह्रदय मे जनम तुम लो ना-2-
श्याम सोहना बाँका मोहना
बाँकी छवि इक बार दिखलाओ ना-2-
मुरली बजाओ ना रास रचाओ ना
अपनी राधा मुझे भी बनाओ ना-2-
श्याम आओ ना प्रीत बढाओ ना
मेरा मनरूपी माखन चुराओ ना-2-
हाथ बढाओ ना गले लगाओ ना
प्यारे मुझको भी अपना बनाओ ना-2-
प्यास बुझाओ ना तृष्णा मिटाओ ना
मेरी प्रीत को सफ़ल बनाओ ना-2-
20 टिप्पणियां:
bahut sunder prarthana...
shubhkamnayen.
hridaya mein sapne bharti rachna
बहुत ही सुन्दर अभिवयक्ति.
सुंदर रचना .. जन्माष्टमी की बधाई !!
बहुत सुंदर भाव
ष्रीकृष्ण जन्माष्टमी की शुभकामनाएं।
आपके अंदर हैं माधव वंदना जी ! मैंने देखा है ना आपको इतने हंसमुख इतने मिलनसार इतने सहज...वो तो है आपके अंदर !
atyant pavitra rachna........
सुन्दर/सामयिक/मधुर अभिव्यक्ति.
जन्माष्टमी की शुभकामनाएं.
बहुत सुन्दर भक्तिमय भाव..जन्माष्टमी की हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं !
बहुत सुन्दर प्रस्तुति।
श्री कृष्ण जन्माष्टमी की बहुत-बहुत शुभकामनाएँ।
सुन्दर !
कृष्ण के निश्छल प्रेम का आह्वान करती लाजवाब रचना ....
bahut sunder bhav liye ,dil ko choonewaali jamaashtami ke awsar per bhaktimay prarthanaa.aapki sunder prastuti ke liye aapko bahut badhaai.
/मेरी पोस्ट पर आने के लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद /मेरी नई पोस्ट पर आपका स्वागत है /आभार /
please visit my blog.thanks.
http://prernaargal.blogspot.com/
shyam सुन्दर की मोहिनी से कौन बच पाया है .बहुत सुन्दर प्रस्तुति .आभार
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कृष्णमय भक्ति का प्रवाह
man mohna...krishna ko pukarti ek sunder rachna...
कान्हा की प्रेम-भक्ति के रस से सराबोर मधुर और पावन रचना.
सुन्दर रचना।
बहुत सुन्दर रचना , सार्थक सृजन , बधाई
बहुत प्यार से किया गया इसरार ..सुन्दर प्रस्तुति
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