स्त्री तो स्त्री होती है
फिर चाहे वो
पड़ोस की हो
पडोसी नगर की हो
या पडोसी मुल्क की
मिल जाता है तुम्हें लाइसेंस
उसके चरित्र के कपडे उतारने का
उसको शब्दों के माध्यम से बलात्कृत करने का
उसको दुश्चरित्र साबित करने का
फिर चाहे उम्र , ओहदे या चरित्र में
तुमसे कितनी ही ऊँची हो
और इस जद्दोजहद में तुम
दे जाते हो अपने चरित्र का प्रमाणपत्र
दे जाते हो तुम अपने संस्कारों का प्रमाणपत्र
कर जाते हो शर्मिंदा उस कोख को भी
जिसने तुम्हें जन्म दिया
मगर तुम्हारी जड़ सोच को जो न बदल सकी
माँ , बहन , बेटी बनकर भी ..........
मगर तुम्हें फर्क नहीं पड़ता
आदिम वर्ग के मनु
मानसिक विक्षिप्त हो
तुम , तुम्हारी सोच और तुम्हारी जाति भी
और अब मैं शतरुपा
प्रतिनिधित्व कर रही हूँ
स्त्री जाति का , उसके अस्तित्व का ,उसके सम्मान का बिगुल फ़ूँक कर ……
क्योंकि
जान गयी हूँ
तुम्हारे लिए
स्त्री तो सिर्फ स्त्री होती है
फिर चाहे वो
पड़ोस की हो
पडोसी नगर की हो
या पडोसी मुल्क की .............
फिर चाहे वो
पड़ोस की हो
पडोसी नगर की हो
या पडोसी मुल्क की
मिल जाता है तुम्हें लाइसेंस
उसके चरित्र के कपडे उतारने का
उसको शब्दों के माध्यम से बलात्कृत करने का
उसको दुश्चरित्र साबित करने का
फिर चाहे उम्र , ओहदे या चरित्र में
तुमसे कितनी ही ऊँची हो
और इस जद्दोजहद में तुम
दे जाते हो अपने चरित्र का प्रमाणपत्र
दे जाते हो तुम अपने संस्कारों का प्रमाणपत्र
कर जाते हो शर्मिंदा उस कोख को भी
जिसने तुम्हें जन्म दिया
मगर तुम्हारी जड़ सोच को जो न बदल सकी
माँ , बहन , बेटी बनकर भी ..........
मगर तुम्हें फर्क नहीं पड़ता
आदिम वर्ग के मनु
मानसिक विक्षिप्त हो
तुम , तुम्हारी सोच और तुम्हारी जाति भी
और अब मैं शतरुपा
प्रतिनिधित्व कर रही हूँ
स्त्री जाति का , उसके अस्तित्व का ,उसके सम्मान का बिगुल फ़ूँक कर ……
क्योंकि
जान गयी हूँ
तुम्हारे लिए
स्त्री तो सिर्फ स्त्री होती है
फिर चाहे वो
पड़ोस की हो
पडोसी नगर की हो
या पडोसी मुल्क की .............
14 टिप्पणियां:
बहुत सशक्त रचना .... पुरुष मानसिकता को उजागर करती हुई ।
समाज को झकझोरती सार्थक प्रस्तुति!
पुरुष प्रधान समाज का यथार्थ...
सुन्दर-
आभार ||
सबके प्रति एक दृष्टि..सुन्दर आलेख..
बहुत सशक्त , झकझोरती प्रस्तुति,आभार
प्रभावशाली ,
जारी रहें।
शुभकामना !!!
आर्यावर्त (समृद्ध भारत की आवाज़)
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क्योंकि
जान गयी हूँ
तुम्हारे लिए
स्त्री तो सिर्फ स्त्री होती है
फिर चाहे वो
पड़ोस की हो
पडोसी नगर की हो
या पडोसी मुल्क की .............
समाज की असल तस्वीर से रुबरू कराती सार्थक रचना.. बहुत प्रभावी
बहुत प्रभावी अभिव्यक्ति...
जानदार रचना ...
एकदम सार्थक !
वाकई .....!!!!!
समाज की असलियत दिखाती एक सार्थक रचना।
कड़वा सच ...
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