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बुधवार, 31 जुलाई 2013

नज़र में अपनी ही गिर जाती




जो दुआ को उठा देती हाथ 
नज़र में अपनी ही गिर जाती 
ए खुदा तेरी नेमत हैं ये हाथ ...जानती हूँ
इसलिये कर्म के बीज बोती हूँ
कर्म की फ़सल उगाती हूँ
हाथ की रेखाओं को आज मैं खुद बनाती हूँ

स्त्री हूँ ना
जान गयी हूँ
मान गयी हूँ
पहचान गयी हूँ
अपने होने को
इसलिये
अब किसी खुदा के आगे ना सिर झुकाती हूँ
कर्मठ बन स्वंय अपना मार्ग प्रशस्त किये जाती हूँ
और अपनी उपलब्धियों का तेज़
अपने मुखकमल पर स्वंय खिलाती हूँ
यूँ जीवन में आगे बढती जाती हूँ
मगर हाथ अब दुआ के लिये भी ना उठा उठाती हूँ

क्योंकि ………जानती हूँ
ना जाने कितनी फ़रियादें तेरे दरबार में अलख जगाती होंगी
कितने हाथ तेरी चौखट को छूते होंगे
कितने बेबस रोज तुझे बेबस करते होंगे
और उनके उठे हाथों को देख जब
तेरी रहमत बरसती होगी
दिल में तेरे भी इक खलिश सी उठती होगी
उफ़ ! क्या इसीलिये मैने संसार बनाया
मेरे होकर मुझसे माँग रहे हैं
खुद पर ना विश्वास कर रहे हैं
कैसे खुद्दारी को ताक पर रख रहे हैं
तू भी इक बेबसी जीता होगा
जब सबके गम पीता होगा
इसलिये
आज़ाद किया तुझे अपनी दुआओं से …………ओ खुदा !

(कर्मठता और खुद्दारी के बीज बो दिये हैं फ़सल का लहराना लाज़िमी है )




"कवि....सपनों का सारथी ,सत्य का प्रहरी ...के इस लिंक में मेरी इस

कविता को सर्वश्रेष्ठ चुना गया 
http://www.facebook.com/photo.php?fbid=568581683183483&set=gm.542030849196281&type=1&theater

16 टिप्‍पणियां:

महेन्द्र श्रीवास्तव ने कहा…

बढिया..

Maheshwari kaneri ने कहा…

बहुत बढिया..

Anju (Anu) Chaudhary ने कहा…

बेहतरीन ..बहुत खूब

Anita ने कहा…

बहुत सुंदर ! कर्मठता और खुद्दारी भी तो उसी की नेमत है

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

प्रभावित करती हुयी पंक्तियाँ..

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

सही है भगवान भी किस किस की दुआ सुने ... खुद ही अपने हाथों की लकीर बनाएँ और कर्मठ बने रहें .... सुंदर और प्रेरक रचना

Dr.NISHA MAHARANA ने कहा…

sahmat hoon aapse karmpradhan vishaw kari rakha .....

Dr.Ashutosh Mishra "Ashu" ने कहा…

anootha chinan ..utkrist rachna ko utkristta ka pramanpatra mila iske liye hardik badhaaayee

विभूति" ने कहा…

sach hai..jo apne bhaut hi sahjta se kah diya...superb....

Dr ajay yadav ने कहा…

बहुत खूबसूरत |
एक शाम संगम पर {नीति कथा -डॉ अजय }

विभा रानी श्रीवास्तव ने कहा…

Bahut-Bahut badhaai

pran sharma ने कहा…

badhiya kavita ke liye aapko badhaaee aur shubh kamna .

pran sharma ने कहा…

badhiya kavita ke liye aapko badhaaee aur shubh kamna .

Unknown ने कहा…

सुन्दर ,सटीक और प्रभाबशाली रचना। कभी यहाँ भी पधारें।
सादर मदन
http://saxenamadanmohan1969.blogspot.in/
http://saxenamadanmohan.blogspot.in/

Nitish Tiwary ने कहा…

बहुत सुंदर रचना है मेरे ब्लॉग पर भी आपका स्वागत है
http://iwillrocknow.blogspot.in/

Nitish Tiwary ने कहा…

बहुत सुंदर रचना है मेरे ब्लॉग पर भी आपका स्वागत है
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