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मेरी अनुमति के बिना मेरे ब्लॉग से कोई भी पोस्ट कहीं न लगाई जाये और न ही मेरे नाम और चित्र का प्रयोग किया जाये

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गुरुवार, 9 जनवरी 2014

काश ! दिल की आवाज़ होती तो

वो कहते हैं 
दिल की आवाज़ लगती है 
जो कलम स्याही उगलती है 
और नक्स छोड़ जाती है 
पिछले पाँव के आँगन में 

काश ! दिल की आवाज़ होती तो 
किसी सरगम की 
किसी गीत की 
किसी संगीत की न जरूरत होती 

और बस हम गुदवा लेते निशान 
कुछ वक्त के दरीचों पर 
जो दिल की गर कोई आवाज़ होती 
तो वक्त के दरिया में न बह रही होती 

और हम किनारे खड़े अकेली कश्ती को यूँ न ताक रहे होते 

काश ! दिल की आवाज़ होती तो 
समंदर में ज्वार ना यूँ उठे होते ........

8 टिप्‍पणियां:

djkhalsa ने कहा…

BAHUT KHUB LIKHA HAI AAPNE

PURIJI ने कहा…

वंदनाजी पहली तो ये बात गलत है की - मेरी अनुमति के बिना मेरे ब्लोग से कोई भी पोस्ट कहीं ना लगाई जाये और ना ही मेरे नाम और चित्र का प्रयोग किया जाये, अच्छी बातें दूसरों से कैसे शेयर कर पाएंगे, हाँ अनुमति आवश्यक है इससे सहमत हूँ, लेकिन ज्ञान बांटने से ही बढ़ता है रही बात आपकी कविता बहुत ही सुन्दर है, दिल की आवाज तो अपने सुनी है तभी ऐसी रचना का जन्म हुआ है, दिल की आवाज दूसरे दिल के माध्यम से ही सुनाई देती है, रचना पढ़ी, दिल से ही आवाज आयी और कमेंट करने को विवश हो गया, फेसबुक के माध्मय से शेयर कर रहा हूँ अनुमति प्रदान करावे, अच्छी कविताओं के पाठक मेरे सर्किल में भी बहुत है, सरस्वती माँ की कृपा आप पर हमेशा बनी रहे

Pallavi saxena ने कहा…

वाकई ...काश दिल की कोई आवाज़ होती।

vandana gupta ने कहा…

@PURIJI किसी कारणवश ऐसा लिखना पड गया था क्या करें यहाँ सभी तरह की दुनिया है ………वैसे आप शेयर कर रहे हैं और बता भी रहे हैं तो और क्या चाहिये ……… फ़ेसबुक पर तो मैं भी हूँ क्या वहाँ आप जुड सकते हैं तो लिंक दीजियेगा अपना ।

देवदत्त प्रसून ने कहा…

शुभ दिवस ! क्या ही सुन्दर और हृदयस्पर्शी रचना!!

Rakesh Kumar ने कहा…

भावपूर्ण भावाभिव्यक्ति.


दिल की आवाज सुनने के लिए
दिल की ही जरुरत होती है.
दिल बोल ही नही सुन भी सकता है वन्दना जी.

Maheshwari kaneri ने कहा…

बहुत बढिया

सदा ने कहा…

भावमय करते शब्‍दों का संगम ....