लीजिये हाजिर है करवाचौथ
अपने साम दाम दंड भेद के साथ
आज होगी हर नार नवेली
नर की होगी जेब भी ढीली
फिर भी गरियायेंगे
इक दूजे पर व्यंग्य बाण चलाएंगे
ये है इक ऐसी पहेली
सुलझ सुलझ कर हर बार उलझी
कोई सोलह श्रृंगारा अपनी तस्वीर लगाएगी
कोई करवाचौथ को ढकोसला बताएगी
कोई रिश्ते में पड़ी दरार पर लिख जाएगी
कोई मेहँदी लगे हाथों को चिपका जाएगी
कोई नववधू प्रीत के गीत सुना जायेगी
यूँ फेसबुक पर भी करवाचौथ मना जाएंगी
वहीँ कोई नर आज खुद को
एक दिन का खुदा समझेगा
तो कोई आज के दिन को कोसेगा
किसी के ज़ख्म हरे हो जाएंगे
तो कोई बिन पंखों के उड़ रहा होगा
कोई उपदेश देता नज़र आएगा
तो कोई खिल्ली उडाता दिख जायेगा
कोई सिर्फ अपनी छोड़ दूजी नार की तस्वीर पर
खूबसूरती के कसीदे पढ़ रहा होगा
फिर चाहे करवाचौथ का रंग एक दिन में उत्तर जाएगा
मगर अजब गज़ब करवाचौथ को केंद्र बना
हर कोई अपने - अपने दिल की लगी कह जायेगा
जी हाँ , ये है फेसबुक की दुनिया
यहाँ है सबको मौका मिलता
अपने सभी हथियारों के साथ
हर कोई निकालता अपनी भड़ास
हमने भी निकाली अपनी भड़ास
लेकिन क्यों हुआ आपका मुखकमल उदास
सोचा ---मौका भी है और दस्तूर भी
तो क्यों न बहती गंगा में हाथ धो लिए जाएँ
कुछ चटपटी लोकलुभावन बातें की जाएँ
सबके मुख पर इक मुस्कान खिलाई जाए
इस बार व्यंग्य पुष्प की वर्षा कर करवाचौथ मनाई जाए :p
देखिये नाराज़ मत होना
हँसी ठिठोली का है मौका
यूँ ही मस्ती में दिन गुजर जाएगा
चाँद का इंतज़ार न बोझिल होगा
4 टिप्पणियां:
सुंदर रचना।
अच्छी कविता है....नारी के लिए नारी के द्वारा....व्यंग बाणों से सुसज्जित....नारी के सतीत्व को कुटाक्ष से सजाकर, धर्म पत्नी के धर्म को पत्नी से अलगकर.....मनोरंजन का साधन दिया बता.....नारी के प्रति नारी द्वारा वर्णित इस सम्मान को सदर वंदन.
सभी मित्र परिवारों को आज संकष्टी पर्व की वधाई ! सुन्दर प्रस्तुतीक्र्ण !रोचक !
सभी मित्र परिवारों को आज संकष्टी पर्व की वधाई ! सुन्दर प्रस्तुतीक्र्ण !रोचक ! !
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