अब किसकी करें इबादत कौन सुनता है
यहाँ दूर दूर तक फैला अँधेरा ही अँधेरा है
मासूमियत संगसार हुई ज़िन्दगी दुश्वार हुई
तेरे जहान में इंसानियत की ये कैसी हार हुई
ओ खुदा ईश्वर अल्लाह जीसस वाहे गुरु
बता तो मासूमियत के क़त्ल में कहाँ है तू
खुश्क आँखों से वहां रोती है इक माई
क्या मासूमों पर इतनी दया भी न आई
ये कैसा आतंक है ये कैसा समय है
करुणा दया ममता को न मिली जगह है
यहाँ दूर दूर तक फैला अँधेरा ही अँधेरा है
मासूमियत संगसार हुई ज़िन्दगी दुश्वार हुई
तेरे जहान में इंसानियत की ये कैसी हार हुई
ओ खुदा ईश्वर अल्लाह जीसस वाहे गुरु
बता तो मासूमियत के क़त्ल में कहाँ है तू
खुश्क आँखों से वहां रोती है इक माई
क्या मासूमों पर इतनी दया भी न आई
ये कैसा आतंक है ये कैसा समय है
करुणा दया ममता को न मिली जगह है
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