पाताल भैरवी सी सच्चाइयाँ हैं
भयाक्रांत हैं वो
हाँ वो ही
जो तस्वीर के दोनों रुखों पर
नकाब डालने का हुनर जानते हैं
फिर भी
सत्य के बेनकाब होने से डरते हैं
और करते हैं अंतिम कोशिश
मुर्दे को जिलाने की
जो नहीं जानते
एक बार विषपान करने के बाद
कोई अमृत नहीं जिला सकता
मरना तय है ...........
2 टिप्पणियां:
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (23-08-2015) को "समस्याओं के चक्रव्यूह में देश" (चर्चा अंक-2076) पर भी होगी।
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
सुंदर प्रस्तुति.
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