साहेब ने कहा
लडकियाँ आधी रात को भी अकेली बेधड़क कहीं भी जा सकेंगी . एक बार देश की डोर मेरे हाथ देकर तो देखो .मेरे गुजरात में रात को दो बजे भी लड़की स्कूटी पर अकेली कहीं भी जा सकती है .
कर लिया विश्वास , दे दी डोर . मगर क्या मिला ?
एक बार फिर जनता धोखा खा गयी . अब दिल्ली हो या उत्तर प्रदेश या हैदराबाद कोई भी अन्य प्रदेश स्त्रियाँ , लडकियाँ कल भी गैंग रेप की शिकार हो रही थीं और आज भी बल्कि दुगुनी तादाद से .
क्या ये अति नहीं हो रही अब ? आज बलात्कार के बाद उन्हें जलाया जा रहा है, मारा जा रहा है.
आपने स्लोगन दिया बेटी बचाओ बेटी पढाओ - जरा विचारिये जब बेटी बचेगी ही नहीं तो कैसे पढेगी और कैसे बढ़ेगी?
क्या आपको नहीं लगता आप उचित हस्तक्षेप करें. आप चाहें तो एक दिन में कानून बना लागू करवा सकते हैं क्योंकि अब आप पूर्ण बहुमत से हैं.
आपने स्लोगन दिया बेटी बचाओ बेटी पढाओ - जरा विचारिये जब बेटी बचेगी ही नहीं तो कैसे पढेगी और कैसे बढ़ेगी?
क्या आपको नहीं लगता आप उचित हस्तक्षेप करें. आप चाहें तो एक दिन में कानून बना लागू करवा सकते हैं क्योंकि अब आप पूर्ण बहुमत से हैं.
क्या आपका दिल नहीं दुखता? या फिर आप तक ऐसी ख़बरें पहुँचती ही नहीं?
आप तो सारे देश के प्रधानमंत्री हैं . आपसे ही उम्मीद थी आप स्त्रियों के लिए कुछ करेंगे लेकिन क्या हो रहा है साहेब . जरा यहाँ भी दृष्टि घुमाइए . सिर्फ प्रदेश में मत बांटिये देश को , स्त्रियों को . आप चाहें तो क्या नहीं हो सकता . कुछ देर राजनीति से ऊपर उठ जाइए इंसानियत के नाते ही सही .
आखिर कब तक फ़ास्ट ट्रैक कोर्ट के नाम पर स्त्रियों के सम्मान और भावनाओं से खिलवाड़ किया जाता रहेगा ?
क्या आप समझ सकते हैं किस पीड़ा से गुजरती होगी एक स्त्री ऐसी परिस्थिति में . जनाब आप अंदाजा भी नहीं लगा सकते उसकी मानसिक और शारीरिक पीड़ा का .
आपसे अनुरोध है बाहर से बेहतर एक बार घर की तरफ भी दृष्टि कीजिये . यहाँ की सुध भी लीजिये . यकीन मानिए जिस दिन आप हर घर और बाहर में स्त्री को सुरक्षित कर देंगे आधी आबादी तो वैसे ही आपके पक्ष में खड़ी हो जायेगी . आपको फिर अलग अलग प्रदेश के लिए अतिरिक्त प्रयास नहीं करने पड़ेंगे .
एक बार हिम्मत कीजिये . अविलम्ब न्याय का प्रावधान कीजिये . आज देश की हर स्त्री की निगाह आप पर टिकी है साहेब . न्याय में इतनी देर मत कीजिये कि वो अन्याय की श्रेणी में आ जाए .
क्योंकि जनता जानती है यदि आप चाहें तो सब कुछ संभव है . इस बार सुन लीजिये जरा स्त्रियों के मन की बात भी , अपने मन की तो आपने बहुत कह ली और उन्होंने बहुत सुन ली .
कहते हैं वही राजा और उसका राज्य सुरक्षित रहता है जहाँ की प्रजा सुखी हो . क्या स्त्रियाँ आपकी प्रजा नहीं ? क्या उनका मान सम्मान आपका मान सम्मान नहीं .........जरा सोचिये !
एक बार फिर गुहार लगा रही हैं इस देश की माँ, बहन और बेटियाँ...सहम उठी हैं इस देश की हर माँ, बहन और बेटी .....कुछ तो आश्वासन दीजिये .......अंतिम विकल्प आप ही हैं
कृपया ज्यादा से ज्यादा शेयर कीजिये ....किसी की तो आवाज़ पहुंचे
2 टिप्पणियां:
आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 04-08-2016 को चर्चा मंच पर चर्चा - 2424 में दिया जाएगा
धन्यवाद
काश!
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