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शुक्रवार, 23 मई 2008

क्या कहूं

कुछ कहना है मगर समझ नही आता क्या कहूं
हर रिश्ता अजीब है हर इन्सान अजीब है
कोई कुछ नही समझता यह कौन सा मोड़ है

11 टिप्‍पणियां:

अमिताभ ने कहा…

very nice !! likhte rahiye

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

एक वाक्य में ही सब कुछ कब दिया।
अजीब शब्द का प्रयोग अच्छा लगा।
बधायी।

Yashwant R. B. Mathur ने कहा…

कल 29/08/2011 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
धन्यवाद!

Asha Lata Saxena ने कहा…

संक्षेप में बहुत कुछ कह दिया |बधाई |
आशा

Anupama Tripathi ने कहा…

जीवन की डोर उपरवाले के हाथ में है वंदना जी ..सच में कुछ ज्यादा समझ में आता नहीं है .....
shubhkamnayen.

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

उलझन को शब्द दिए हैं ..

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि-
आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल शनिवार के चर्चा मंच पर भी होगी!
सूचनार्थ...!

Suresh kumar ने कहा…

Bahut khub....

virendra sharma ने कहा…

अच्छी प्रस्तुति है .हर रिश्ता अजीब है लोग भी कितने अजीब हैं अपने करीब .

गुरप्रीत सिंह ने कहा…

अच्छा लिखा है।

।।,
http://yuvaam.blogspot.com/2013_01_01_archive.html?m=0

Daisy ने कहा…

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