मुझे नही पता
प्यार होता है क्या
कभी किसी की
आंखों में ख्वाब
बन के पले ही नही
तो क्या जानूं
प्यार होता है क्या
कभी कोई दीदार के लिए
तडपा ही नही
तो क्या जानूं
प्यार होता है क्या
कभी किसी ने दीवानावार
ख़त लिखे ही नही
तो कैसे जानूं
प्यार होता है क्या
कभी किसी के दिल में
धड़कन बनकर
धडके ही नही
तो कैसे जानूं
प्यार होता है क्या
कभी किसी के
अहसास ने छुआ
ही नही
तो कैसे जानूं
प्यार होता है क्या
कभी किसी ने
मन के आँगन में
प्यार के दीप
जलाये ही नही
तो कैसे जानूं
प्यार होता है क्या
कभी किसी ने
अपना खुदा
बनाया ही नही
तो कैसे जानूं
प्यार होता है क्या
प्यार होता है क्या
कभी किसी की
आंखों में ख्वाब
बन के पले ही नही
तो क्या जानूं
प्यार होता है क्या
कभी कोई दीदार के लिए
तडपा ही नही
तो क्या जानूं
प्यार होता है क्या
कभी किसी ने दीवानावार
ख़त लिखे ही नही
तो कैसे जानूं
प्यार होता है क्या
कभी किसी के दिल में
धड़कन बनकर
धडके ही नही
तो कैसे जानूं
प्यार होता है क्या
कभी किसी के
अहसास ने छुआ
ही नही
तो कैसे जानूं
प्यार होता है क्या
कभी किसी ने
मन के आँगन में
प्यार के दीप
जलाये ही नही
तो कैसे जानूं
प्यार होता है क्या
कभी किसी ने
अपना खुदा
बनाया ही नही
तो कैसे जानूं
प्यार होता है क्या
11 टिप्पणियां:
बहुत सुन्दर रचना है,
---मेरा पृष्ठ
चाँद, बादल और शाम
कभी किसी ने
अपना खुदा
बनाया ही नही
तो कैसे जानूं
प्यार होता है क्या
बहुत ही उम्दा। लिखते रहिए।
bahut hi accha ...likhte rahiye....
बहुत गहरी रचना...प्यार के सारे एहसास बताती हुई...वाह...
नीरज
"awesome" is the word for your poetry .. i m the regular reader .. keep writing
कभी किसी के
अहसास ने छुआ
ही नही.......
सच कहा है सारी बातें सच हैं......
प्यार के लिए ये सब बातें जरूरी हैं........
इससे अच्छी प्यार की परिभाषा कोई नही.....
आपने सारे पहलुओं को दर्शा दिया ..........
अक्षय-मन
bahut khoob likha hai vandana ji ,
makar sankrati ki shubhkamnayen .
सुंदर कविता
सुन्दर लिखा है आपने।
pyar hota kya hai ..
.... no comments ...
वाह !सुंदर .
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