पता नही कैसे उसे मेरा
थोड़ा सा बैचैन होना प्यार लगा
क्या प्यार बचैनी का दूसरा नाम है
हम तो अपने ही ख्यालों में गुम थे
मगर कैसे उसको लगा ये प्यार है
हर आहट पर चोंक जाना तो
तुम्हें पता है मेरी पुरानी आदत है
दिन में भी ख्वाब देखना
मेरी पुरानी आदत है
हर किसी के गम को
अपना बना लेना
मेरी पुरानी आदत है
फिर उस गम को
ख़ुद महसूस करना
मेरी पुरानी आदत है
फिर कैसे तुम्हें लगा
मुझको तुमसे प्यार है
मैंने तो कभी कहा नही
तुम्हारे लिए बैचैन नही
फिर कैसे तुम्हें लगा
जैसे हर ख्वाब साकार नही होता
वैसे हर बैचैनी प्यार नही होती
मुझे अपने ख्वाबों की ताबीर न बना
मैं तो इक साया हूँ
मुझे हमसाया न बना
मैं तेरा प्यार नही ख्याल हूँ
तुम मेरा प्यार नही
सिर्फ़ अहसास है
इस हकीकत को मान ले
और इस ख्वाब को
प्यार का नाम न दे
और रिश्ते को पाक रहने दे
यूँ भी रिश्तों की दुल्हनें घूँघट किया करती हैं ……
थोड़ा सा बैचैन होना प्यार लगा
क्या प्यार बचैनी का दूसरा नाम है
हम तो अपने ही ख्यालों में गुम थे
मगर कैसे उसको लगा ये प्यार है
हर आहट पर चोंक जाना तो
तुम्हें पता है मेरी पुरानी आदत है
दिन में भी ख्वाब देखना
मेरी पुरानी आदत है
हर किसी के गम को
अपना बना लेना
मेरी पुरानी आदत है
फिर उस गम को
ख़ुद महसूस करना
मेरी पुरानी आदत है
फिर कैसे तुम्हें लगा
मुझको तुमसे प्यार है
मैंने तो कभी कहा नही
तुम्हारे लिए बैचैन नही
फिर कैसे तुम्हें लगा
जैसे हर ख्वाब साकार नही होता
वैसे हर बैचैनी प्यार नही होती
मुझे अपने ख्वाबों की ताबीर न बना
मैं तो इक साया हूँ
मुझे हमसाया न बना
मैं तेरा प्यार नही ख्याल हूँ
तुम मेरा प्यार नही
सिर्फ़ अहसास है
इस हकीकत को मान ले
और इस ख्वाब को
प्यार का नाम न दे
और रिश्ते को पाक रहने दे
यूँ भी रिश्तों की दुल्हनें घूँघट किया करती हैं ……
12 टिप्पणियां:
bahut shai vandana jee...bahut accha likha hai...
बहुत गहरे भाव हैं.
सच एक ये भी रुप होता हैं। प्यार का। जाना पहचाना सा लगा। बहुत खूब लिखा है आपने।
दिन में भी ख्वाब देखना
मेरी पुरानी आदत है
हर किसी के गम को
अपना बना लेना
मेरी पुरानी आदत है
पुरानी आदत, वाह वाह।
बहुत सीधे शब्दों में आपने गहरी बात की है...जो की लिखना आसान नहीं होता....बधाई...
नीरज
सजीव कविता है
---मेरा पृष्ठ
गुलाबी कोंपलें
-------------------------
---मेरा पृष्ठ
चाँद, बादल और शाम
अच्छे भाव हैं वंदना जी.
पंक्तियाँ जो दी को छु गयीं >>>
जैसे हर ख्वाब साकार नही होता
वैसे हर बैचैनी प्यार नही होती
- विजय
This is a nice way to slap the people who say "Love at first sight" ...... Very nice
गहरे भाव, बेचै्नी और प्यार की उहापोह को बहुत अच्छा दर्शाया है आपने।
"तुम मेरा प्यार नही
सिर्फ़ अहसास है"
"तुम" को "तू" या फ़िर "है" को "हो" कर दिजिये।
vandana , this is the best ... but kya bechaini , pyaar nahi hai , aur phir poem ko dubara padha jaayen to baat samahj aatii hai ki , is poem ki undertone - pyaar hi hai ..
"तु मेरा प्यार नही
सिर्फ़ अहसास है"
lafzon ke peeche ki tasveer ..kya hai ..
regards
behatreen presentation
vijay
सुंदर भाव, प्रेम का पावन रूप
बहुत गहन अभिव्यक्ति..
आखिरी पंक्ति का अर्थ बहुत ही उत्कृष्ट बन पड़ा है...
एक टिप्पणी भेजें