मेरे इश्क की इम्तिहान तो देख
कितना टूटकर चाहा तुझे
कि तिनका तिनका बिखर गई
न कोई गिला है न कोई शिकवा है
बस तेरे आँगन की तुलसी बनने का इरादा है
तेरे आँगन में बसती है रूह हमारी
बस तेरे दिल में जगह पाने का इरादा है
तू जगह दिल में दे न दे शिकायत नही
बस हर शाम तेरे दीदार का इरादा है
तेरे आँगन में ही कब्र खुदी है हमारी
बस उसी में दफ़न होने का इरादा है
तेरी मोहब्बत को आवाज़ दूँ
आज तुझे तुझसे चुरा लूँ
तू मोहब्बत का बादल बन
मेरी कोरी चूनर को भिगो दे
मैं तेरी चकोरी बन
तुझे नैनों में छुपा लूँ
14 टिप्पणियां:
मोहब्बत भी बड़ी खूबसूरत है ...जितना जानो इसको ...और भी ज्यादा खूबसूरत लगने लगती है ....
आपकी रचना बहुत खूबसूरत है बिलकुल मोहब्बत की तरह
वन्दना जी,
बहुत सुन्दर गीत है।समर्पण की भावना से परिपूर्ण।बधाई।
तेरी मोहब्बत को आवाज़ दूँ
आज तुझे तुझसे चुरा लूँ
तू मोहब्बत का बादल बन
मेरी कोरी चूनर को भिगो दे
मैं तेरी चकोरी बन
तुझे नैनों में छुपा लूँ
bahut hi sunder
बहुत ही खूबसूरती से सजाया है आपने इस कविता को...मेरी शुभकामनाएं....
बहुत खूब ..लगी हर पंक्ति
वन्दना जी!
कमाल का समर्पण है, आपकी भावनाओं का अन्दाजा लगाना,
सूर्य को दीपक दिखाने जैसा है।
आपकी कविता के सनदर्भ में एक छन्द प्रस्तुत कर रहा हूँ-
चन्दा और चकोरी जैसा, दोनो का रिश्ता-नाता है।
दूरी की मजबूरी से ही, मिलन नही हो पाता है।।
बहुत खूबसूरत रचना...
सभी क्षणिकाँए लाजवाब है। आखिर वाली तो ज्यादा ही भा गई। ये रंग होते ही निराले है।
पर बीच में कुछ खाली क्यों है।
लिखते रहें-बहुत शुभकामनाऐं.
प्रेम की बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति.आपकी रचना बहुत अच्छी लगी.
bahut se pal sanjo diye aapane
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प्रेम के रंग बिखेरती रचनाएँ...वाह.
नीरज
Tere aangan main hi kabr....
...Ati Sundar !!
तू जगह दिल में दे न दे शिकायत नही
बस हर शाम तेरे दीदार का इरादा है
Dear Vandana ji,
aap ki rachna pyar ki pyaas aur chatpatahat liye hue hai. shrangar ras ki behtar rachna ban gayi hai. bahut bahut badhai.
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