देखा कैसा अजीब सा नाता है
दूर होकर भी पास होते हैं
एक दूसरे को न देखकर भी देखते हैं
बिना बात किए भी बतियाते हैं
कसक सी दिल में लिए
होठों को सिए रखते हैं
मुलाक़ात की चाह में
रोज दीदार को आते हैं
पर तेरे दर-ओ-दीवार
रोज ही बंद नज़र आते हैं
चाह उतनी ही उत्कट उधर भी है
ये मालूम है मगर
तेरे अहम् के नश्तर ही
तुझे भी रुलाते हैं
ये घुटती हुई खामोशी
इसकी सर्द आवाज़
दिल के तारों पर
दर्द बन ढल जाती है
बिना आवाज़ दिए भी
दोनों के दिल गुनगुनाते हैं
देखा कैसा अजीब सा नाता है
18 टिप्पणियां:
कुछ और शव्द छटपटा रहे हैं, बाहर निकलने के लिये. कविता का अंत लाजवाब है. आभार.
संजीव तिवारी
www.aarambha.blogspot.com
bahut hi khubsoorat hai hale dil ......ki wayaan .........pyar shayad aisa hi hota hai .....sundar sa nazam
वंदना जी
बहुत सुन्दर रचना . रक्षाबंधन पर की हार्दिक शुभकामना
तेरे अहम् के नश्तर ही
तुझे भी रुलाते हैं
achchha hai.
बिना आवाज़ दिए भी
दोनों के दिल गुनगुनाते हैं
देखा कैसा अजीब सा नाता है
=====
जी हाँ! कुछ रिश्ते ऐसे ही होते है जिसमे कुछ कहने-सुनने, दिल की गुनगुनाहट दिल से ही सुनी जा सकती है.
बहुत खूब लिखा है आपने. एक पोयम मे मैने भी कुछ लिखा है देखे :
I can hear the sounds
With your singing dart.
Silence is the best speaker
Hear the sound by heart.
बेहतरीन रचना के लिये बधाई
वन्दना जी ,
अभी अभी आपकी कविता अजीब नाता पढा, सचमुच मन मुग्ध हो गया,
सुन्दर पन्क्ति
देखा कैसा अजीब सा नाता है
दूर होकर भी पास होते हैं
एक दूसरे को न देखकर भी देखते हैं
बिना बात किए भी बतियाते हैं
कसक सी दिल में लिए
होठों को सिए रखते हैं
बहुत सुन्दर पन्क्ति मे व्यक्त भावनाये -
ये घुटती हुई खामोशी
इसकी सर्द आवाज़
दिल के तारों पर
दर्द बन ढल जाती है
बिना आवाज़ दिए भी
दोनों के दिल गुनगुनाते हैं
देखा कैसा अजीब सा नाता है.
पूर्व की तरह बहुत खूबसूरत कविता और सुन्दर पन्क्तिया
सादर
राकेश
बिना आवाज़ दिए भी
दोनों के दिल गुनगुनाते हैं
bahut sundar likha hai.badhai!
वंदना,
कुछ रिश्ते बस ऐसे ही होते है ..और सिर्फ मौन ही एक संवाद बन जाता है ...
बहुत प्यारी रचना...मन को छूते हुए....
regards
विजय
wah wah vandana ji...
bahut acha likha hai aapne...
very nice of your compositions...
great work...
दोनों के दिल गुनगुनाते हैं
देखा कैसा अजीब सा नाता है
आज तो बड़ा करारा लिख मारा है। ऐसा लगता है कि रक्षा-बन्धन पर ......।
रिश्ते-नातों की मनोव्यथा को बड़ी चतुराई ते ब्लॉग पर बिखेरा है।
bahut hi achhi rachna
bahut umdaa
bahut achhi kavita
ये घुटती हुई खामोशी
इसकी सर्द आवाज़
दिल के तारों पर
दर्द बन ढल जाती है
बिना आवाज़ दिए भी
दोनों के दिल गुनगुनाते हैं
_________hay hay ....
jaise kaleje se likhi ho kavita
waah
waah
badhaai aur haardik abhinandan !
बहुत ही उम्दा रचना. यूँ हीं लिखते रहे. आभार.
गुलमोहर का फूल
वाह वन्दना जी बहुत सुन्दर रचना है ये दिल के नाते ऐसे ही होते हैम बहुत भावमय रचना है बधाई राखी की शुभकामनायेण्
वाह वन्दना जी बहुत सुन्दर रचना है ये दिल के नाते ऐसे ही होते हैम बहुत भावमय रचना है बधाई राखी की शुभकामनायेण्
संबंध तकनीकी हो कर रह गए हैं, इन में कुछ भावना भर दें।
रक्षाबंधन पर हार्दिक शुभकामनाएँ!
विश्व-भ्रातृत्व विजयी हो!
Wakai ajeeb hai ye naata.
-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }
vandana , main kuch na kahunga ...
bus ek maun chaaya hua hai ise padhkar .....
ye nazm mujhe tumhari ab tak ki sabse acchi nazmo me se ek lagi .... bina aawaz diye bhi .dono ke dil gungunaate hai ... thi is the best line from your pen so far........
namaskar
vijay
http://poemsofvijay.blogspot.com/
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