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शनिवार, 10 अप्रैल 2010

कहा था ना .............२०० वीं पोस्ट

देखा 
कहा था ना
कभी मैंने 
एक वक़्त 
आएगा
जब तेरे 
अरमाँ जवाँ होंगे
 और मेरे
वक़्त की 
कब्र में 
तेरे ही हाथों 
दफ़न हो
चुके होंगे
उस वक़्त
कैसे , फिर से
जिंदा करेगा 
मृत जज्बातों को
 कहा था ना 
एक दिन 
आवाज़ देगा मुझे
जब तेरे अहसास 
जागेंगे तुझमें
जब अरमानो की
झिलमिलाती चादर
बह्काएगी तुझे 
जब ख्वाबों के 
अंकुर झूला 
झुलायेंगे तुझे 
तब आवाज़ 
देगा मुझे
मगर जिंदा लाशें भी
कहीं सुना करती हैं 
जिसके हर अहसास 
को तूने ही कभी
अरमानो की 
चिता पर राख़ 
किया था
और राख़ को भी
तूने ना सहेजने 
दिया था
फिर कैसे आज 
रिश्ते की राख़
ढूंढता है
अब किस नेह 
के बीज का 
अंकुरण करता है
मुरझा चुके हैं 
जो फूल
कितना ही नेह के 
जल से सींचो
फिर नहीं 
खिलने वाले
कहा था ना
मौसम बेशक 
बदलते हैं
मगर जिस 
गुलशन को 
अपने हाथों 
उजाडा हो
वहाँ बसंत 
नहीं आता
पतझड़ हमेशा 
के लिए 
ठहर जाता है
कहा था ना
वक़्त किसी का 
नहीं होता
अब लाख 
सदाएँ भेज
गया वक़्त
लौट कर 
नहीं आता
 

32 टिप्‍पणियां:

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

....जिस
गुलशन को
अपने हाथों
उजाडा हो
वहाँ बसंत
नहीं आता
पतझड़ हमेशा
के लिए
ठहर जाता है


आपने बहुत ही गहरी बात
कह दी है इस रचना में!
--
200वीं पोस्ट के लिए बहुत-बहुत
शुभकामनाएँ!
--
आप हकीकत लिखती रहें
और हम पढ़ते रहें, हमेशा!
--
यही कामना है!

कडुवासच ने कहा…

...सुन्दर रचना,बधाईंया!!!

प्रवीण शुक्ल (प्रार्थी) ने कहा…

वाह वंदना जी बहुत ही सुन्दर रचना सही कह रही है आप की ये रचना
कहा था ना
वक़्त किसी का
नहीं होता
अब लाख
सदाएँ भेज
गया वक़्त
लौट कर
नहीं आता
जो अब है बो कल नहीं था और कल नहीं होगा
सादर
प्रवीण पथिक
9971969084

दिगम्बर नासवा ने कहा…

200वीं पोस्ट के लिए बहुत शुभकामनाएँ ...

बहुत लाजवाब रचना से ये पायदान पूरी की है आपने ....

Indranil Bhattacharjee ........."सैल" ने कहा…

अति सुन्दर रचना है ... double century के लिए बधाइयाँ ....

संगीता पुरी ने कहा…

बहुत अच्‍छी रचना .. 200वीं पोस्‍ट की बधाई !!

विजयप्रकाश ने कहा…

बधाई...बहुत बढ़िया रही आपकी 200वीं पोस्ट.

Arvind Mishra ने कहा…

जी कहाँ आता है वापसबीता वक्त औरह्सास भी -सुन्दर !

Khushdeep Sehgal ने कहा…

वंदना जी,
दो सौवीं पोस्ट की बधाई...लेकिन इस पोस्ट के लिए तो कुछ खुशनुमा बातें होनी चाहिए थीं न...

जय हिंद...

रंजू भाटिया ने कहा…

गया वक़्त
लौट कर
नहीं आता यही सच है बहुत पसंद आई आपकी यह रचना शुक्रिया

Unknown ने कहा…

बहुत उम्‍दा बहुत उम्‍दा, वन्‍दना जी आपको सरस्‍वती मां का वरदान हासिल है लगता है आपको एक बार फिर बधाई

नीरज गोस्वामी ने कहा…

दौ सौ वीं पोस्ट और इतनी लाजवाब...वाह...बहुत बहुत बधाई...इसी तरह शतक जड़ती रहें...
नीरज

संजय भास्‍कर ने कहा…

200वीं पोस्ट के लिए बहुत-बहुत
शुभकामनाएँ!

Udan Tashtari ने कहा…

बेहतरीन लाजबाब कविता...२०० वीं पोस्ट की बहुत बधाई एवं अनेक शुभकामनाएँ.

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

जब अरमानो की
झिलमिलाती चादर
बह्काएगी तुझे
जब ख्वाबों के
अंकुर झूला
झुलायेंगे तुझे
तब आवाज़
देगा मुझे


बेहतरीन रचना...गया वक्त कभी नहीं आता....

२०० वीं पोस्ट के लिए बधाई

Girish Kumar Billore ने कहा…

Badhaiyaa
sweekariye

M VERMA ने कहा…

दो सौवी पोस्ट
बहुत सुन्दर
ये सफर यूँ ही जारी रहे
शुभकामनाएँ --- हार्दिक शुभकामनाएँ
बधाई

सुशील छौक्कर ने कहा…

हमने जो कहा था आज वो यूँ ही नही कहा था। सच आपके लेखन में दिनोदिन निखार आता जा रहा है। एक दिन वो भी आऐगा जब आपके नाम से एक किताब भी आऐगी और उसमें आपकी बेहतरीन रचनाएं शामिल होगी। और हाँ 200 वी पोस्ट के लिए बहुत बहुत बधाई जी। और इसी खुशी में मुँह मीठा जाए। तो भेज दीजिए हमारे पते पर।
एक बार फिर से शानदार रचना लिखी दी। और हाँ ये सच भी है कि बीता समय लोट कर नही आता है। आप ऐसे ही सुन्दर सुन्दर भावनाओं से ओतप्रोत रचनाएं लिखती रहे।

मनोज कुमार ने कहा…

बहुत अच्छी प्रस्तुति।
इसे 11.04.10 की चर्चा मंच (सुबह ०६ बजे) में शामिल किया गया है।
http://charchamanch.blogspot.com/

मनोज कुमार ने कहा…

बहुत अच्छी प्रस्तुति।
इसे 11.04.10 की चर्चा मंच (सुबह ०६ बजे) में शामिल किया गया है।
http://charchamanch.blogspot.com/

अजय कुमार झा ने कहा…

दो सौंवी पोस्ट के लिए बधाई आपको बहुत बहुत । रचना हमेशा की तरह अच्छा लगी
अजय कुमार झा

Rohit Singh ने कहा…

लंबी बेहतर कविता....जख्म भी देते हैं और आह भी भरने की इजाजत नहीं है क्या किस्मत है.....आपने सही लिखा....

Shekhar Kumawat ने कहा…

sahi he

...सुन्दर रचना,बधाईंया!!!
bahut khub

http://kavyawani.blogspot.com/

shekhar kumawat

सुरेन्द्र "मुल्हिद" ने कहा…

one of the best ones from you!

congrats on 200th post...

vijay kumar sappatti ने कहा…

vandana ji ;

sabse pahle to 200th post ki shubkaamnaye .... aur 200th post ke liye aapne bahut hi acchi kavita likhi hai , jisme bhaavnaaye umad umad kar apni baat shabdo ke dwara padhne waale ke man par apna asar rakh rahi hai ....meri dil se badhayi sweekar kare....

aabhar aapka

vijay

rashmi ravija ने कहा…

२०० वीं पोस्ट की फिर से बहुत बहुत बधाई...मेरी पुरानी टिप्पणी क्या हुई??...
नज़्म हमेशा की तरह बस लाज़बाब है ...ऐसे ही लिखती रहें...अनेकों शुभकामनाएं

शरद कोकास ने कहा…

अरे वा ! 200 पोस्ट हो गईं ! बधाई ।

वन्दना महतो ! (Bandana Mahto) ने कहा…

200 post ke badhayi...... bahut hi achcha likha hai aapne....

Deepak Shukla ने कहा…

Hi..
Aapke posts ke dohra shatak pure karne ki hardik Shubhnayen..

Sundar avam bhavpurn abhivyakti..

DEEPAK..

बेनामी ने कहा…

bahut hi behtareen rachna hai...
aapke dohre shatak ke liye badhai...
pehli baar aaapke blog par aaya hoon.....
ab ata rahoonga...
http://i555.blogspot.com/

Shayar Ashok : Assistant manager (Central Bank) ने कहा…

मगर जिस
गुलशन को
अपने हाथों
उजाडा हो
वहाँ बसंत
नहीं आता
पतझड़ हमेशा
के लिए
ठहर जाता है.......


बहुत सुन्दर , पढकर बहुत सुकूं मिला !!

पूनम श्रीवास्तव ने कहा…

ekdam saty kaha aapne beeta waqt fir lout kar nahi aata.
....जिस
गुलशन को
अपने हाथों
उजाडा हो
वहाँ बसंत
नहीं आता
पतझड़ हमेशा
के लिए
ठहर जाता है
poonam