विकलांगता तन की नहीं मन की होती है
यूँ ही नहीं हौसलों में परवाज़ होती है
घुट्टी में घोट कर पिलाया नहीं था माँ ने दूध
उसने तो हर बूँद में पिलाई थी हौसलों की गूँज
ये उड़ान नहीं किसी दर्द की पहचान है
ये तो आज हमारी बैसाखियों की पहचान है
बैसाखियाँ तन को बेशक देती हों सहारा
मन ने तो नहीं कभी हिम्मत को हारा
बेशक छूट जाएँ राह में बैसाखियाँ
बेशक टूट जाए कोई भी सुहाना स्वप्न
पर ना छूटेगा कभी ये मन में बैठा
हौसलों का लहराता परचम
हमने यूँ ही नहीं पाई है ये सफलता
ठोकरों ने ही दी है हमें ये सफलता
अब कोशिश में हैं आसमान छूने की
गर कर सकते हो तो इतना करो
मत राह की हमारी रुकावट बनो
मत अपंगता का अहसास कराओ
एक बार हम पर भी अपना विश्वास दिखाओ
फिर देखोगे तुम आसमाँ में
चमकते सितारों में बढ़ते सितारे
एक नाम हमारा भी बुलंद होगा
चाँद की रौशनी में दमकता
सितारों का एक नया घर होगा
33 टिप्पणियां:
अक्षरश: सत्य कहा है ..आपने इस अभिव्यक्ति में ... आभार इस बेहतरीन प्रस्तुति के लिए ।
बेहतरीन रचना।
उम्दा विचार।
sundar kavy...
मार्मिक किन्तु सत्य है.........सुन्दर शब्दों में वर्णित किया है आपने |
हौसका हो तो क्षितिज के पार भी जाया जा सकता है ..सुन्दर अभिव्यक्ति
शुक्रवार भी आइये, रविकर चर्चाकार |
सुन्दर प्रस्तुति पाइए, बार-बार आभार ||
charchamanch.blogspot.com
"एक बार हम पर भी विश्वास दिखाओ' जब भी, जिसने भी विश्वास दिखाया है कभी उसका विश्वास हमेशा सच साबित हुआ है.
बहुत सुन्दर प्रस्तुती ......
हौसले रहे किसी भी परिस्थिति में यही तो जीवन है.हौसलों को सलाम करती रचना
वाह...नव जीवन की आशा जगाती बेजोड़ रचना...बधाई स्वीकारें
नीरज
amazing .
सच कहा आपने होसला है तो जीवन है बहुत खूब
बहुत बेहतरीन.......
मेरे ब्लॉग पर आपका स्वागत है।
बहुत ही सुन्दर और सारगर्भित कविता..सुन्दर सन्देश देती हुई.
बिल्कुल सही कहा आपने!
बहुत बढ़िया प्रस्तुति!
बहुत प्रेरक अभिव्यक्ति...बहुत सुंदर
कुछ लोगों को शारीरिक चुनौतियों का सामना करना पड़ता है वो विकलांग नहीं ,सच है, आपने जैसा कहा - विकलांगता तन की नहीं मन की होती है । बहुत अच्छी पोस्ट ।
bilkul sahi bat kahi hai, maine isako bahut gaharai se mahasoos kiya hai. agar haunsale hon buland to ye sari duniyan ko haasil kar sakate hain.
satya , saarthak
बहुत सुन्दर..
जय हिन्द, जय बुन्देलखण्ड
सच में हम में से कई मन से विकलांग होते हैं।
इनकी हौसला आफजाई समाज को करना ही चाहिए.सुंदर संदेश देती उत्कृष्ट रचना.साहित्यकार के धर्म का निर्वाह करती कलम को ससम्मान नमन.
bahut achcha likha hai vandna jee.thanks.
एक सार्थक प्रस्तुति वंदना जी !
बिलकुल सही कहा...
वाकई 'हौसलों का लहराता परचम' विकलांगता को हरा देता है
बहुत सुंदर,
ऐसी रचनाएं सच में समाज को रास्ता दिखाने वाली होती हैं।
सचमुच अगर दिल में जज्बा हो तो विकलांगता भी आड़े नहीं आती, प्रेरणादायक पोस्ट!
सच है ज़िन्दगी हौसले से ही जी जाती है .ज़िन्दगी जिंदादिली का नाम है ,मुर्दा दिल क्या ख़ाक जियेंगे .अपंगता सिर्फ मन की होती है तन की सीमाएं आगे पीछे मुखरित होती ही हैं .
मन के हारे हार है..
motivational for all
इस पोस्ट के लिये मैं सिर्फ तुम्हे सलाम करना चाहूँगा वंदना !!
क्योंकि शब्द कम है !!
thank ssss
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