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गुरुवार, 5 जनवरी 2012

विकलांगता तन की नहीं मन की होती है



विकलांगता तन की नहीं मन की होती है
यूँ ही नहीं हौसलों में परवाज़ होती है
घुट्टी में घोट कर पिलाया नहीं था माँ ने दूध
उसने तो हर बूँद में पिलाई थी हौसलों की गूँज
ये उड़ान नहीं किसी दर्द की पहचान है
ये तो आज हमारी बैसाखियों की पहचान है
बैसाखियाँ तन को बेशक देती हों सहारा
मन ने तो नहीं कभी हिम्मत को हारा
बेशक छूट जाएँ राह में बैसाखियाँ
बेशक टूट जाए कोई भी सुहाना स्वप्न
पर ना छूटेगा कभी ये मन में बैठा 
हौसलों  का लहराता परचम 
हमने यूँ ही नहीं पाई है ये सफलता
ठोकरों ने ही दी है हमें ये सफलता 
अब कोशिश में हैं आसमान छूने की
गर कर सकते हो तो इतना करो
मत राह की हमारी रुकावट बनो
मत अपंगता का अहसास कराओ
एक बार हम पर भी अपना विश्वास दिखाओ
फिर देखोगे तुम आसमाँ में 
चमकते सितारों में बढ़ते सितारे
एक नाम हमारा भी बुलंद होगा
चाँद की रौशनी में दमकता 
सितारों का एक नया घर होगा 

33 टिप्‍पणियां:

सदा ने कहा…

अक्षरश: सत्‍य कहा है ..आपने इस अभिव्‍यक्ति में ... आभार इस बेहतरीन प्रस्‍तुति के लिए ।

Atul Shrivastava ने कहा…

बेहतरीन रचना।
उम्‍दा विचार।

आशा बिष्ट ने कहा…

sundar kavy...

बेनामी ने कहा…

मार्मिक किन्तु सत्य है.........सुन्दर शब्दों में वर्णित किया है आपने |

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

हौसका हो तो क्षितिज के पार भी जाया जा सकता है ..सुन्दर अभिव्यक्ति

रविकर ने कहा…

शुक्रवार भी आइये, रविकर चर्चाकार |

सुन्दर प्रस्तुति पाइए, बार-बार आभार ||

charchamanch.blogspot.com

vidha ने कहा…

"एक बार हम पर भी विश्वास दिखाओ' जब भी, जिसने भी विश्वास दिखाया है कभी उसका विश्वास हमेशा सच साबित हुआ है.

मदन शर्मा ने कहा…

बहुत सुन्दर प्रस्तुती ......

Unknown ने कहा…

हौसले रहे किसी भी परिस्थिति में यही तो जीवन है.हौसलों को सलाम करती रचना

नीरज गोस्वामी ने कहा…

वाह...नव जीवन की आशा जगाती बेजोड़ रचना...बधाई स्वीकारें

नीरज

Pragya Sharma ने कहा…

amazing .

Mamta Bajpai ने कहा…

सच कहा आपने होसला है तो जीवन है बहुत खूब

Sanju ने कहा…

बहुत बेहतरीन.......
मेरे ब्लॉग पर आपका स्वागत है।

shikha varshney ने कहा…

बहुत ही सुन्दर और सारगर्भित कविता..सुन्दर सन्देश देती हुई.

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

बिल्कुल सही कहा आपने!
बहुत बढ़िया प्रस्तुति!

Kailash Sharma ने कहा…

बहुत प्रेरक अभिव्यक्ति...बहुत सुंदर

रजनीश तिवारी ने कहा…

कुछ लोगों को शारीरिक चुनौतियों का सामना करना पड़ता है वो विकलांग नहीं ,सच है, आपने जैसा कहा - विकलांगता तन की नहीं मन की होती है । बहुत अच्छी पोस्ट ।

रेखा श्रीवास्तव ने कहा…

bilkul sahi bat kahi hai, maine isako bahut gaharai se mahasoos kiya hai. agar haunsale hon buland to ye sari duniyan ko haasil kar sakate hain.

रश्मि प्रभा... ने कहा…

satya , saarthak

राजा कुमारेन्द्र सिंह सेंगर ने कहा…

बहुत सुन्दर..
जय हिन्द, जय बुन्देलखण्ड

मनोज कुमार ने कहा…

सच में हम में से कई मन से विकलांग होते हैं।

अरुण कुमार निगम (mitanigoth2.blogspot.com) ने कहा…

इनकी हौसला आफजाई समाज को करना ही चाहिए.सुंदर संदेश देती उत्कृष्ट रचना.साहित्यकार के धर्म का निर्वाह करती कलम को ससम्मान नमन.

Dr.NISHA MAHARANA ने कहा…

bahut achcha likha hai vandna jee.thanks.

पी.सी.गोदियाल "परचेत" ने कहा…

एक सार्थक प्रस्तुति वंदना जी !

Shah Nawaz ने कहा…

बिलकुल सही कहा...

M VERMA ने कहा…

वाकई 'हौसलों का लहराता परचम' विकलांगता को हरा देता है

महेन्द्र श्रीवास्तव ने कहा…

बहुत सुंदर,
ऐसी रचनाएं सच में समाज को रास्ता दिखाने वाली होती हैं।

Anita ने कहा…

सचमुच अगर दिल में जज्बा हो तो विकलांगता भी आड़े नहीं आती, प्रेरणादायक पोस्ट!

virendra sharma ने कहा…

सच है ज़िन्दगी हौसले से ही जी जाती है .ज़िन्दगी जिंदादिली का नाम है ,मुर्दा दिल क्या ख़ाक जियेंगे .अपंगता सिर्फ मन की होती है तन की सीमाएं आगे पीछे मुखरित होती ही हैं .

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

मन के हारे हार है..

बेनामी ने कहा…

motivational for all

vijay kumar sappatti ने कहा…

इस पोस्ट के लिये मैं सिर्फ तुम्हे सलाम करना चाहूँगा वंदना !!

क्योंकि शब्द कम है !!

बेनामी ने कहा…

thank ssss