हाय रे वो श्याम क्यूँ ना आये
रो रो बीतीं रतियाँ सारी
उम्र भी हो गयी आज बंजारिन
हाय रे वो श्याम क्यूँ ना आये
प्रीत की रीत निभानी छोड़ी
मेरी बारी क्यूँ रीत है तोड़ी
बावरी हो गयी प्रीत निगोड़ी
हाय रे वो श्याम क्यूँ ना आये
दरस बिन अँखियाँ तरस गयीं
बिन बदरा के बरस गयीं
श्याम छवि में अटक गयीं
हाय रे वो श्याम क्यूँ ना आये
श्याम को लिखती रोज हूँ पाती
बिन पते के वापस आ जाती
कित ढूंढूं मै तुमको मोहन
अब तो दे दो मुझको दर्शन
हाय रे वो श्याम क्यूँ ना आये
22 टिप्पणियां:
सुंदर भाव लिए अच्छी प्रस्तुति
mann se chaho aur khuda n mile - ho hi nahi sakta
ab to aana hi padega shyam ko..
kunwar ji,
सुन्दर भक्तिमयी प्रस्तुति..
बहुत सुन्दर भक्तिभाव से ओतप्रोत रचना...जय श्री कृष्ण
आपकी किसी नयी -पुरानी पोस्ट की हल चल बृहस्पतिवार 05-04-2012 को यहाँ भी है
.... आज की नयी पुरानी हलचल में ......सुनो मत छेड़ो सुख तान .
बहुत भावपूर्ण रचना।
श्याम को लिखती रोज हूं पाती,
बिन पते के वापस आ जाती ...
वाह .. वाह.. बहुत खूब ।
बहुत खूब
भक्ति और विरह का बढ़िया संगम |
बधाई |
वन्दना जी-- अच्छी कविता है..व सुन्दर भाव हैं...
--वो श्याम ...से अर्थ निकलता है कि ’श्याम कई है”......या अपने किसी अपने विशेष श्याम की बातें होरही हैं न कि राधाजी के श्याम की...
--अतः यदि जग प्रसिद्ध ’श्याम’ की बात हो रही है तो..."वो" ..शब्द निरर्थक व अनावश्यक है, सिर्फ़ ’श्याम नहीं आये’ ही
अभीष्ट अर्थदायी है.. ...
--- पन्क्तियों में मात्रायें भी गिन लिया कीजिये..जो सब में समान होनी चाहिये...
श्याम श्याम हो गया माहोल.
achha virah varnan..
आपकी पोस्ट कल 5/4/2012 के चर्चा मंच पर प्रस्तुत की गई है
कृपया पधारें
http://charchamanch.blogspot.com
चर्चा - 840:चर्चाकार-दिलबाग विर्क
बहुत सुंदर गीतमई रचना ...वंदना जी ...
शुभकामनायें ...
prem jagt ka sara hai baki sab janjal
prem ji jivnka aadhar hi baki sab wrth ki bate hai
वंदना जी बहुत सुंदर गीत लिखा आपने
बिलकुल भक्ति प्रेम में डूबा हुआ ....
sundar rachna .......
http://jadibutishop.blogspot.com
सुन्दर भक्तिमय रचना...
सुन्दर प्रस्तुति....
sundar post hae.aabhar
kya baat hei ...ati subder ..
बहुत सुन्दर भावमय प्रस्तुति.
अब तो श्याम को आना ही पड़ेगा.
डॉ श्याम तो आ ही चुके हैं.
वो वाले भी जरूर आयेंगें,वंदना जी.
क्योंकि जो दिल से पुकारे,
वो भी उसी के ही हैं जी.
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