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मंगलवार, 24 जुलाई 2012

हाँ, आ गया हूँ तुम्हारी दुनिया में



हाँ, आ गया हूँ 
तुम्हारी दुनिया में
अरे रे रे ...........
अभी तो आया हूँ
देखो तो कैसा 
कुसुम सा खिलखिलाया हूँ
देखो मत बाँधो मुझे
तुम अपने परिमाणों में 
मत करो तुलना मेरे 
रूप रंग की 
अपनी आँखों से
अपनी सोच से 
अपने विचारों से
मत लादो अपने ख्याल 
मुझ निर्मल निश्छल मन पर
देखो ज़रा 
कैसे आँख बंद कर 
अपने नन्हे मीठे 
सपनो में खोया हूँ
हाँ वो ही सपने
जिन्हें देखना अभी मैंने जाना नहीं है
हाँ वो ही सपने
जिनकी मेरे लिए अभी 
कोई अहमियत नहीं है
फिर भी देखो तो ज़रा
कैसे मंद- मंद मुस्काता हूँ
नींद में भी आनंद पाता हूँ
रहने दो मुझे 
ब्रह्मानंद के पास
जहाँ नहीं है किसी दूजे का भास
एकाकार हूँ अपने आनंद से
और तुम लगे हो बाँधने मुझको
अपने आचरणों से
डालना चाहते हो 
सारे जहान की दुनियादारी 
एक ही क्षण में मुझमे
चाहते हो बताना सबको
किसकी तरह मैं दिखता हूँ
नाक तो पिता पर है
आँख माँ पर 
और देखो होंठ तो 
बिल्कुल दादी या नानी पर हैं
अरे इसे तो दुनिया का देखो
कैसा ज्ञान है
अभी तो पैदा हुआ है
कैसे चंचलता से सबको देख रहा है
अरे देखो इसने तो 
रुपया कैसे कस के पकड़ा है
मगर क्या तुम इतना नहीं जानते
अभी तो मेरी ठीक से 
आँखें भी नहीं खुलीं
देखो तो
बंद है मेरी अभी तक मुट्ठी
बताओ कैसे तुमने 
ये लाग लपेट के जाल 
फैलाए हैं
कैसे मुझ मासूम पर
आक्षेप लगाये हैं 
मत घसीटो मुझको अपनी
झूठी लालची दुनिया में
रहने दो मुझे निश्छल 
निष्कलंक निष्पाप 
हाँ मैं अभी तो आया हूँ
तुम्हारी दुनिया में
मासूम हूँ मासूम ही रहने दो ना
क्यों आस  के बीज बोते हो
क्यों मुझमे अपना कल ढूंढते हो
क्यों मुझे भी उसी दलदल में घसीटते हो
जिससे तुम ना कभी बाहर निकल पाए
मत उढाओ मुझे दुनियादारी के कम्बल
अरे कुछ पल तो मुझे भी 
बेफिक्री के जीने दो 
बस करो तो इतना कर दो
मेरी मासूम मुस्कान को मासूम ही रहने दो............

24 टिप्‍पणियां:

बेनामी ने कहा…

कोरे कागज़ सा मासूम.....बहुत सुन्दर ।

जज़्बात पर भी आयें।

सदा ने कहा…

मेरी मासूम मुस्‍कान को मासूम ही रहने दो ..
बिल्‍कुल सच कहा ...
कल 25/07/2012 को आपकी इस पोस्‍ट को नयी पुरानी हलचल पर लिंक किया जा रहा हैं.

आपके सुझावों का स्वागत है .धन्यवाद!


'' हमें आप पर गर्व है कैप्टेन लक्ष्मी सहगल ''

Unknown ने कहा…

बहुत ही प्यारी और मासूम कविता है...
हम अपने अपेक्षाएं हर एक से लगा लेते हैं, एक छोटे बच्चे से भी... अपने जैसा दिखा कर उस पर हक जताने लग जाते हैं..

रविकर ने कहा…

उत्कृष्ट प्रस्तुति बुधवार के चर्चा मंच पर ।।

एस एम् मासूम ने कहा…

बढ़िया कविता |

SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR5 ने कहा…

आदरणीया वन्दना जी मन अभिभूत हो गया ललना के साथ प्याली प्याली लचना देखे .....बहुत सुन्दर इसी लिए चर्चा मंच पर ये फूल हाजिर है कल प्रिय रविकर जी चुन ले गए .. देखो तो ज़रा कैसे मंद- मंद मुस्काता हूँ नींद में भी आनंद पाता हूँ रहने दो मुझे ब्रह्मानंद के पास जहाँ नहीं है किसी दूजे का भास एकाकार हूँ अपने आनंद से
भ्रमर ५

निर्मला कपिला ने कहा…

मासूम से शब्दों से सजी रचना। वन्दना कैसी हो? बहुत दिन से बात नही हुयी।

शिवनाथ कुमार ने कहा…

बच्चे के निश्छल मन को टटोलती सुंदर रचना ..

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

बहुत ही प्यारी और कोमल कविता।

ऋता शेखर 'मधु' ने कहा…

मासूम की मासूम फरियाद...उसे बच्चा ही रहने दिया जाए...बहुत खूब !!

Anupama Tripathi ने कहा…

सारगर्भित ....बहुत कुछ कह रही है आपकी रचना ...!!
शुभकामनायें..

ANULATA RAJ NAIR ने कहा…

बहुत सुन्दर वंदना जी.....
आपने मनोभावों को बखूबी व्यक्त किया है....

सस्नेह
अनु

रश्मि प्रभा... ने कहा…

जियो जियो... अपनी मासूमियत जी लो

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

उनका सब स्वागत करें, जो हैं कुछ मासूम।
मासूमों का रूप धर, लोग रहे हैं घूम।।

अरुण चन्द्र रॉय ने कहा…

maasoom kavita

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

बहुत सुंदर ... दुनियादारी तो बड़े होने पर आएगी

अरुन अनन्त ने कहा…

खुबसूरत रचना, बधाई स्वीकार करें.

Rajesh Kumari ने कहा…

मासूम को मासूम ही रहने दो अभी से क्यूँ ढकते हो मुझ पर झूठ फरेब ,लालच दिखावे के कम्बल ......बहुत सुन्दर बाल मनो भावों को किस सुन्दरता से उकेरा है रचना में ...वाह

मनोज कुमार ने कहा…

कविता अच्छी लगी।

हरकीरत ' हीर' ने कहा…

मासूम नहीं जान को हू ब हू उतार दिया आपने ....

बहुत सुंदर भाव ...!!

Anju (Anu) Chaudhary ने कहा…

स्वागत हैं इस दुनिया में ...

Anjana Dayal de Prewitt (Gudia) ने कहा…

हाँ मैं अभी तो आया हूँ तुम्हारी दुनिया में मासूम हूँ मासूम ही रहने दो ना… vakai bahut sunder bahut masoom rachna...

India Darpan ने कहा…

बहुत ही बेहतरीन और प्रशंसनीय प्रस्तुति....
रक्षाबंधन पर्व की हार्दिक अग्रिम शुभकामनाएँ!!


इंडिया दर्पण
पर भी पधारेँ।

Pallavi saxena ने कहा…

कोमल भाव संयोजन से परिपूर्ण सुंदर रचना...