मन में तो तल्खियों के भंवर पड़े हैं
जो शूल से उर में गड़े हैं
तुम साथ हो फिर भी मन में फैली
मीलों की दूरी कहो कैसे मिटाऊँ साजन
जब से प्रीत तुमसे जुडी है
मैंने अपना हर रंग तुम संग संजोया
चाहे इक फांस मन में गडी है
फिर भी तुम से ही लगन लगी है
ये कैसे मेरी प्रीत का रंग है
जो तुम पर ही अटक गया है
मगर मन का टेसू तो सिसक गया है
ना आह करता है न वाह करता है
जिसमे होली का न कोई चिन्ह दीखता है
फिर कहो तो साथ होते हुए भी
कैसे मनाऊँ होली तुम बिन साजन
रंगों की बहार उमड़ी है
मगर मेरी होली दहक रही है
शोलों का श्रृंगार करके
तुम्हारी प्रीत को गोद में रखके
होलिका सी जल रही है
कहो तो जो बिखरा है रिश्ता
कैसे उसे बचाऊँ साजन
साथ होकर भी बिखरे पलों में
कैसे मनाऊँ होली तुम बिन साजन
13 टिप्पणियां:
मिलन हमारा कर सके, खुशियों की बौछार.
तभी सार्थक मानिए, होली का त्यौहार.
होली की हार्दिक शुभकामनाएँ.
बहुत ही बढ़िया
होली का पर्व आपको सपरिवार शुभ और मंगलमय हो!
सादर
आज भी यह उधेड़बुन? पिचकारी तान लेने का वक्त है यह तो -
रंगपर्व की बहुत बहुत शुभकामनाएं!
bahut hi sundar rachana ,,,,abhar gupta ji ,
होली तुम बिन ..बहुत सुन्दर होली की शुभ कामनाएं
सच में गंभीर समस्या है।
बहुत बहुत मुबारक हो होली
ब्लॉग बुलेटिन की पूरी टीम की ओर से आप सब को सपरिवार होली ही हार्दिक शुभकामनाएँ !
आज की ब्लॉग बुलेटिन हैप्पी होली - ब्लॉग बुलेटिन मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
रंग संग जब भाव जगे, साथ पिया का माँगू मैं।
होली की हार्दिक शुभकामनाएँ.
उत्तम प्रस्तुति :होली की शुभकामनायें
latest post धर्म क्या है ?
होली पर सारी शिकायतें भुला कर बस रंग डालें...यही तो होली सिखाती है..
Happy Holi,Vandana ji.
WAAAH!!!!!!
एक टिप्पणी भेजें