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शनिवार, 25 मई 2013

तपती रेत का रेगिस्तान हूँ मैं

तुम और तुम्हारे लाजिक
समझ नहीं आते कभी कभी
कितना हल्के में लेते हो 
कभी कभी चीज़ों को
खासतौर पर यदि 
वो तुमने किया हो
सिर्फ़ एक इतना भर कह देना
"क्या हुआ फिर ……ऐसे ही होता है "
मगर अपनी गलती कभी नहीं स्वीकारना
और यदि कुछ ऐसा मैने किया होता 
तो ……
क्या तब भी यही कहते ?
नहीं ……यही है तुम्हारा दोगला चरित्र 
सिर्फ़ अपने लिये जीने वाला
हुंह ………क्यों लिख रही हूँ
क्यों कह रही हूँ
फिर किसे और किसके लिये
खुद से बडबडाने की आदत गयी नहीं अब तक
जबकि जानती हूँ
तुम तक कभी नहीं पहुँचेगी मेरी आवाज़
तुम कभी नही जान पाओगे मुझे 
नहीं समझ पाओगे मेरी चाहत
क्योंकि
चाहतों के लिये बन्दगी में सिर झुकाना होता है
और ये तुम्हारे अहम को मंज़ूर नहीं होगा 
इसलिये 
अब ना गिला ना शिकवा करने का मन करता है
ना तुम पर दोषारोपण का या बहस का
हर बार विश्वास की धज्जियाँ उडाते 
तुमने कभी देखा ही नहीं
मेरा वजूद भी उसके साथ
चिंदी चिंदी बन बिखरता रहा
और आज मुझमें "मैं" बची ही नहीं
वो ही वाली "मैं" जिसका
हर शब्द, हर आस , हर विश्वास
हर दिन, हर रात , हर सुबह , हर शाम
सिर्फ़ और सिर्फ़ तुम ही तुम थे 
वक्त किसी का ऐसा इम्तिहान ना ले
कश्ती हो कागज़ की और सागर पार करना हो वो भी बिना डूबे 

तपती रेत का रेगिस्तान हूँ मैं
ज़रा एक अलाव और जला दो ………सुकूँ से जीने के लिये

12 टिप्‍पणियां:

Anju (Anu) Chaudhary ने कहा…

हर नारी के मन की सोच को लिखने के लिए आभार

Dr.Ashutosh Mishra "Ashu" ने कहा…

बेरुखी से बड़ा कास्ट कोई नहीं ..शानदार रचना

Anita ने कहा…

अपेक्षाएं होती ही हैं टूटने के लिए...मार्मिक रचना..

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

अभी भी अलाव की ज़रूरत है सुकून के लिए ? भावों को बहुत सहजता से लिखा है ।

Satish Saxena ने कहा…

वाह ...
दर्द की प्रभावी अभिव्यक्ति ..

Gyan Darpan ने कहा…

शानदार रचना
Gyan Darpan

Amrita Tanmay ने कहा…

क्या वंदना जी , इतना दर्द न भरा करे.. दर्द होता है...

महेन्द्र श्रीवास्तव ने कहा…

इतनी नाराजगी,
मतलब इतना ही
अपनापन भी होगा।
पर एक शब्द ने
पूरे किए कराए पर
पानी फेर दिया।

वो शब्द है दोगला चरित्र,
हालाकि आप दोहरा चरित्र कह कर भी काम चला सकती थीं।

शून्य को संबोधित करते हुए अच्छी रचना।

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

सूरज सा मैं भी तपता हूँ,

अभिमन्‍यु भारद्वाज ने कहा…

बहुत सुन्‍दर और सार्थक रचना आभार
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