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मंगलवार, 7 मई 2013

यूँ भी फ़ना होने के हर शहर के अपने रिवाज़ होते हैं …………


बिना आँच के भट्टी सा सुलगता दर्द 
रूह पर फ़फ़ोले छोड गया 
आओ सहेजें 
इन फ़फ़ोलों में ठहरे पानी को रिसने से …………
कम से कम 
निशानियों की पहरेदारी में ही 
उम्र फ़ना हो जाये 
तो तुझ संग जीने की तलब 
शायद मिट जाये 
क्योंकि ………
साथ के लिये जरूरी नहीं 
चांद तारों का आसमान की धरती पर साथ साथ टहलना

यूँ भी फ़ना होने के हर शहर के अपने रिवाज़ होते हैं …………

14 टिप्‍पणियां:

महेन्द्र श्रीवास्तव ने कहा…

आपने क्रमश : भले ना लिखा हो, पर मुझे लगता है कि आपकी पहली रचना, "पता नहीं वो सच था या ये " का ये दूसरा भाग है..

अच्छी रचना,
रचना में व्यक्त दर्द को आसानी से समझा जा सकता है। बहुत सुंदर

vandana gupta ने कहा…

@महेन्द्र श्रीवास्तव जी मैने तो ऐसा सोच कर लिखा ही नही था क्योंकि दोनो रचनायें काफ़ी समय के अन्तराल पर लिखी गयी थीं मगर आपके कहने पर जब दोबारा दोनो को पढा तो लगा आपका कहना भी सही है ………यही होती है पाठकीय नज़र जो लेखक को भी अभिभूत कर देती है कि कितनी संजीदगी से पढता है कोई हमको और यही एक लेखक के लिये उसके जीवन का सबसेबडा तोहफ़ा होता है …………हार्दिक आभारी हूँ आपकी :)

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

गहरा भेदता शब्दक्रम।

सदा ने कहा…

साथ के लिए जरूरी नहीं ...
बहुत सही कहा आपने
...

वाणी गीत ने कहा…

साथ के लिए जरुरी नहीं साथ टहलना ...क्या बात !

Tamasha-E-Zindagi ने कहा…

बहुत ही भावनात्मक रचना | बधाई

कभी यहाँ भी पधारें और लेखन भाने पर अनुसरण अथवा टिपण्णी के रूप में स्नेह प्रकट करने की कृपा करें |
Tamasha-E-Zindagi
Tamashaezindagi FB Page

Anita Lalit (अनिता ललित ) ने कहा…

कहीं गहरे उतर गयी पंक्तियाँ......
~सादर!!!

kavita verma ने कहा…

bhaavpoorn abhivyakti...

Jyoti khare ने कहा…

गहन अनुभूति
सुंदर
बधाई

डॉ. मोनिका शर्मा ने कहा…

स्पष्ट शब्दों में खूब कहा.... बहुत बढ़िया

Sadhana Vaid ने कहा…

साथ के लिये जरूरी नहीं
चांद तारों का आसमान की धरती पर साथ साथ टहलना

बहुत सुंदर ! वाकई सामीप्य के लिये साथ होना बिलकुल भी ज़रूरी नहीं ! गहन अभिव्यक्ति !

रश्मि शर्मा ने कहा…

क्‍या बात है...

Dr.Ashutosh Mishra "Ashu" ने कहा…

साथ के लिये
जरूरी नहीं
चांद तारों का आसमान की
धरती पर साथ साथ टहलना
सुंदर पंक्तियाँ ..सादर बधाई के साथ ..मेरे ब्लॉग पर भी आपका आगमन बहुप्रतीक्षित है ..सादर

Anju (Anu) Chaudhary ने कहा…

कभी कभी हम खुद नहीं जानते पर कड़ी से कड़ी मिलती चली जाती है ...

तुम्हारे लेखन के तो हम शुरू से ही कायल है