तुम कहते रहे मै गुनती रही
ज़िन्दगी यूं ही कटती रही
कभी सलीबों पर लटकती रही
कभी ताजमहल बनाती रही
ज़िन्दगी यूं ही कटती रही
कभी रूह पर ज़ख्म देती रही
कभी मोहब्बत के फ़ूल खिलाती रही
ज़िन्दगी यूं ही कटती रही
कभी तुझमे मुझे ढूँढती रही
कभी इक दूजे मे गुम होती रही
ज़िन्दगी यूँ ही कटती रही
ज़िन्दगी यूं ही कटती रही
कभी सलीबों पर लटकती रही
कभी ताजमहल बनाती रही
ज़िन्दगी यूं ही कटती रही
कभी रूह पर ज़ख्म देती रही
कभी मोहब्बत के फ़ूल खिलाती रही
ज़िन्दगी यूं ही कटती रही
कभी तुझमे मुझे ढूँढती रही
कभी इक दूजे मे गुम होती रही
ज़िन्दगी यूँ ही कटती रही
कभी सब्जबाग दिखाती रही
कभी हकीकत डराती रही
ज़िन्दगी यूँ ही कटती रही
कभी राह रौशन करती रही
कभी शम्मा बन जलती रही
ज़िन्दगी यूँ ही कटती रही
13 टिप्पणियां:
आपकी ,क्या मेरी
ऐसी ही कटती सबकी
खूबसूरत अभिव्यक्ति ....
सुंदर लिखा
recent post
Gmail के खाली स्पेस को ले हार्ड ड्राइव के रूप में उपयोग
बहुत सुन्दर स्वगत गीत!
इसी उधेड़-बुन में पूरा जीवन बीत जाता है।
कभी सलीबों पर लटकती रही
कभी ताजमहल बनाती रही
ज़िन्दगी यूं ही कटती रही ...
जिंदगी ऐसे ही कट जाती है ... कभी खुशी कभी गम आते हैं जाते हैं ... उम्दा रचना ..
वाह सटीक , जिंदगी तो कटती है या चलती है सटीक विवेचन
जीना इसी का नाम है।
बहुत सुन्दर भावनात्मक अभिव्यक्ति आभार संजय जी -कुमुद और सरस को अब तो मिलाइए. आप भी जानें संपत्ति का अधिकार -४.नारी ब्लोगर्स के लिए एक नयी शुरुआत आप भी जुड़ें WOMAN ABOUT MAN
बहुत खूब वंदना जी !
जिन्दगी कुछ यूँ ही कटती है
कुछ ख़ुशी तो कुछ गम के संग
सुन्दर
आज की ब्लॉग बुलेटिन दुर्घटनाएं जिंदगियां बर्बाद करती हैं और आपदाएं नस्ल .......... मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ...
सादर आभार !
बेहद सटीक रचना वन्दना जी,जिंदगी इसी का नाम है आभार।
सृष्टी तो चलती रहेगी और दुनिया भी नहीं रुकेगी। धन्यवाद ............
बहुत ही सुन्दर रचना..
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