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गुरुवार, 28 नवंबर 2013

हवाओं ने रुख बदलना शुरु कर दिया है

तडपती नहीं
घिघियाती नहीं
मिमियाती नहीं
कसमसाती नहीं
तुम्हारे अहम को अब 
पो्षित करती नहीं
जान गयी हूँ अपने होने का औचित्य
अच्छा हो ……ये भेद तुम भी 
जल्द ही समझ लो 
क्योंकि
हवाओं ने रुख बदलना शुरु कर दिया है


2 टिप्‍पणियां:

Yashwant R. B. Mathur ने कहा…

कल 30/11/2013 को आपकी पोस्ट का लिंक होगा http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर
धन्यवाद!

Kailash Sharma ने कहा…

बहुत सटीक और प्रभावी रचना...