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बुधवार, 28 अक्तूबर 2015

खिन्न मौन

शब्द विचार और भावों का एक खिन्न मौन
जाने किस रति का मोहताज

संवेदनहीनता की निशानी
या 
निर्लेप निरपेक्षता को प्रतिपादित करता

प्रश्न सिर उठाये बैरंग लौट आया

तो क्या ये
मौन से मौन तक की ही कोई गति है ?

5 टिप्‍पणियां:

डॉ. दिलबागसिंह विर्क ने कहा…

आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 29 - 10 - 2015 को चर्चा मंच पर चर्चा - 2144 में दिया जाएगा
धन्यवाद

कविता रावत ने कहा…

मौन संवाद का पहला चरण है ...
बहुत बढ़िया

Unknown ने कहा…

ना ही यह मौन गतिहीन हैं ओर ना ही चेतना शून्य ।भीतरी उबाल समय चाहता हैं संवेदनहीनता का प्रतिकार चाहता हैं ।प्रक्रिया भीतरी हैं केवल अनुभूति का विषय हैं ।कविता ने सामयिक पल बारिकी से पकड़े हैं ।बहुत सुंदर अभिव्यक्ति ।बधाई ।

Unknown ने कहा…

ना ही यह मौन गतिहीन हैं ओर ना ही चेतना शून्य ।भीतरी उबाल समय चाहता हैं संवेदनहीनता का प्रतिकार चाहता हैं ।प्रक्रिया भीतरी हैं केवल अनुभूति का विषय हैं ।कविता ने सामयिक पल बारिकी से पकड़े हैं ।बहुत सुंदर अभिव्यक्ति ।बधाई ।

अरुण चन्द्र रॉय ने कहा…

achhi kavita