ये कैसा हाहाकार है
कुत्ते सियार डोल रहे हैं
गिद्ध माँस नोंच रहे हैं
काली भयावह अंधियारी में
मचती चीख पुकार है
ये कैसा हाहाकार है
चील कौवों की मौज हुई है
तोता मैना सहम गए हैं
बेरहमी का छाया गर्दो गुबार है
ये कैसा हाहाकार है
काल क्षत विक्षत हुआ है
धरती माँ भी सहम गयी है
उसके लालों पर आया
संकट अपार है
ये कैसा हाहाकार है
अत्याचार का सूर्य उगा है
देख , दिनकर का भी शीश झुका है
दहशतगर्दों ने किया अत्याचार है
ये कैसा हाहाकार है
शेर चीते सो रहे हैं
गीदड़ भभकी से क्यों डर रहे हैं
कैसी चली उल्टी बयार है
ये कैसा हाहाकार है
डिसक्लेमर :
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©वन्दना गुप्ता vandana gupta इस पोस्ट या इसका कोई भी भाग बिना लेखक की लिखित अनुमति के शेयर, नकल, चित्र रूप या इलेक्ट्रॉनिक रूप में प्रयोग करने का अधिकार किसी को नहीं है, अगर ऐसा किया जाता है निर्धारित क़ानूनों के तहत कार्रवाई की जाएगी।
4 टिप्पणियां:
सचमच ही ...जिस तरह का हाहाकार मचा हुआ है ..वो ये तय कर रहा है कि भविष्य के गर्भ में विनाश अब ज्यादा दिनों तक खामोश नहीं रह पायेगा .हमेशा की तरह भावपूरण ....दिसम्बर बैठकी के लिए अब से हर टिप्पणी पर आपको आम्नात्रण :) :)
आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 22-09-2016 को चर्चा मंच पर चर्चा - 2473 में दी जाएगी
धन्यवाद
बहुत ही बढ़िया...मर्म को छूने वाला
सुन्दर प्रस्तुति.धन्यवाद!
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