मेरे आंसू तेरी आँखोंमें क्यूँ नज़र आते हैं
मेरा दर्द तेरे चेहरे पे क्यूँ उतर आता है
मत कर प्यार मुझे इतना
इश्क की गलियां बड़ी तंग होती हैं
यहाँ जज्बातों की क़द्र नही होती
सिर्फ़ जज्बातों की ज़ंग होती है
इन गलियों में मुहब्बत खामोश होती है
दो के लिए जगह नही होती
प्यार के इम्तिहान इतने न दे
की प्यार को भी शक होने लगे
सच, इश्क की गलियां बड़ी तंग होती हैं
8 टिप्पणियां:
सुन्दर प्रयास
बधाई
इन गलियों में मुहब्बत खामोश होती है
दो के लिए जगह नही होती
प्यार के इम्तिहान इतने न दे
की प्यार को भी शक होने लगे
सच, इश्क की गलियां बड़ी तंग होती हैं
हाय कितना सच्चा और अच्छा लिख दिया आपने
waah sahi ishq ki gali mein ishq ki jung hoti hai,bahut khub lajawab
bilkul sahi kaha hai...bahut acchi kavita..
"प्यार के इम्तिहान इतने न दे
की प्यार को भी शक होने लगे"
आह, दिल को छू गई कविता। पर क्या करें इसी तगं गली में रौशनी लाना होता है।
वाकई बहुत सुन्दर और सच्चा लिखा हैं। दिल को छू गई रचना। याद भी गई किसी की।
bahut sundar
vandana jiiiiii,
सच, इश्क की गलियां बड़ी तंग होती हैं
sacchi kaha ji , aapne .. bus aur kuch nahi hai kahne ke liye ..
badhai ..
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