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गुरुवार, 15 जनवरी 2009

इश्क की गलियां बड़ी तंग होती हैं

मेरे आंसू तेरी आँखोंमें क्यूँ नज़र आते हैं
मेरा दर्द तेरे चेहरे पे क्यूँ उतर आता है
मत कर प्यार मुझे इतना
इश्क की गलियां बड़ी तंग होती हैं
यहाँ जज्बातों की क़द्र नही होती
सिर्फ़ जज्बातों की ज़ंग होती है
इन गलियों में मुहब्बत खामोश होती है
दो के लिए जगह नही होती
प्यार के इम्तिहान इतने न दे
की प्यार को भी शक होने लगे
सच, इश्क की गलियां बड़ी तंग होती हैं

8 टिप्‍पणियां:

द्विजेन्द्र ‘द्विज’ ने कहा…

सुन्दर प्रयास

बधाई

manvinder bhimber ने कहा…

इन गलियों में मुहब्बत खामोश होती है
दो के लिए जगह नही होती
प्यार के इम्तिहान इतने न दे
की प्यार को भी शक होने लगे
सच, इश्क की गलियां बड़ी तंग होती हैं
हाय कितना सच्चा और अच्छा लिख दिया आपने

mehek ने कहा…

waah sahi ishq ki gali mein ishq ki jung hoti hai,bahut khub lajawab

Unknown ने कहा…

bilkul sahi kaha hai...bahut acchi kavita..

ss ने कहा…

"प्यार के इम्तिहान इतने न दे
की प्यार को भी शक होने लगे"

आह, दिल को छू गई कविता। पर क्या करें इसी तगं गली में रौशनी लाना होता है।

सुशील छौक्कर ने कहा…

वाकई बहुत सुन्दर और सच्चा लिखा हैं। दिल को छू गई रचना। याद भी गई किसी की।

सुनील मंथन शर्मा ने कहा…

bahut sundar

vijay kumar sappatti ने कहा…

vandana jiiiiii,

सच, इश्क की गलियां बड़ी तंग होती हैं

sacchi kaha ji , aapne .. bus aur kuch nahi hai kahne ke liye ..

badhai ..