आज हम हँसते हैं और दर्द रोता है
अब तो दर्द को भी दर्द होता है
जो दर्द कभी किसी का न हुआ
वो आज दर्द के सागर में डूबा है
अब हमें दर्द क्या डराएगा
जो ख़ुद हर पल छटपटाता हैं
हमने जीने का ढंग सीख लिया
ज़हर को भी अमृत समझ पी लिया
अब तो दर्द सहते सहते हम
पत्थर के सनम हो गए
अब हमारे दर्द पर हम नही
हमारा दर्द रोता है
अब तो दर्द को भी दर्द होता है
15 टिप्पणियां:
बहुत ही मनभावन कविता है
---आपका हार्दिक स्वागत है
गुलाबी कोंपलें
---आपका हार्दिक स्वागत है
चाँद, बादल और शाम
"जो दर्द कभी किसी का न हुआ
वो आज दर्द के सागर में डूबा है"
हमेशा की तरह गहरी भावनाएं|
वाह जी बेहतरीन कविता लिखी है आपने दर्द से ओतप्रोत
अब तो दर्द सहते सहते हम
पत्थर के सनम हो गए
अब हमारे दर्द पर हम नही
हमारा दर्द रोता है
अब तो दर्द को भी दर्द होता है
बहुत खूब
बहुत खूब.. जब दर्द को दर्द का अहसास होता है तब ही दर्द ,दर्द बनता है वरना किसी का दर्द .... किसी के लिए हँसी बन जाती है
बहुत खूब.. जब दर्द को दर्द का अहसास होता है तब ही दर्द ,दर्द बनता है वरना किसी का दर्द .... किसी के लिए हँसी बन जाती है
बधाई
अच्छी अभिव्यक्ति के लिए
.
द्विजेन्द्र द्विज
वाह !!! दर्द ही दर्द है इस कविता में....बहुत अच्छी रचना ।
दर्द की दास्तान!!
बेहतरीन...कविता है..
वाह वाह ....बहुत ही मनभावन
अनिल कान्त
मेरा अपना जहान
Wah..achhi kavita hai...
अब तो दर्द को भी दर्द होता है।
वाह जी वाह क्या लिखा है। आपकी लेखनी में सच्चाई बहुत होती है और क्या कहें अद्भुत है जी।
kisi shaayar ne kahaa tha kabhi..
dard ka hadd se guzarna hai,
dawaa ho jaana.....
aur wohi kamaal iss nazm mei saaf nazar aata hai...dard ki shiddat aur dard ki intehaa ka bahot hi asardaar byaan...
ek khoobsurat kavita...!
---MUFLIS---
dard ko bhi dard hota hai .
bahut khoob .
vandana ji , aapne meri nai rachnayen nahi padhi shayad .
vandana ji , kya baat kahi hai ..
bahut hi bhaavpoorn tarike se aapne dard ki abhivyuakthi ki hai ..
हमने जीने का ढंग सीख लिया
ज़हर को भी अमृत समझ पी लिया
wah ji wah
badhai ..
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