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सोमवार, 27 जुलाई 2009

यादें

कभी कभी जरूरतें याद ले आती हैं
वरना याद किसी को किसी की कब आती है

यादों में बसर किसी की तभी किया करते हैं
जब कोई किसी के दिल में घर किया करते हैं

यादों के सहारे ज़िन्दगी गुजारने वाले
ऐसे चेहरे कम ही हुआ करते हैं

किसी की याद में जीने मरने वाले
न जाने किस मिटटी के बना करते हैं

यादों की दहलीज पर पाँव रखते ही
न जाने कितने नश्तर सीने में चुभा करते हैं

शाम होते ही यादों की अर्थी सजा लेते हैं
रात भर यादों की चिता में जला करते हैं

17 टिप्‍पणियां:

विनोद कुमार पांडेय ने कहा…

khubsurat yadon ki khubsurat prastuti..

अनिल कान्त ने कहा…

सच कहा ...आखिर ये यादें होती ही ऐसी हैं

निर्मला कपिला ने कहा…

बहुत सुन्दर
किसी की याद मे जीने वाले
जाने किस मिट्टी के बने होते हैं
सही है वर्ना आज कौन किसी को याद करता है मतलव निकला और आगे बढ गये बहुत बडिया कविता है आभार्

रश्मि प्रभा... ने कहा…

यादों के सहारे ज़िन्दगी गुजरनेवाले चेहरे कम ही हुआ करते हैं, सच कहा ....बहुत अच्छी रचना

http://podcast.hindyugm.com/2009/07/barish-ka-mausam-podcast-kavi-sammelan.html
agle sammelan mein aap aamantrit hain

ओम आर्य ने कहा…

कमाल की यादे है .....वन्दना जी.

आभार
ओम

Vinay ने कहा…

बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति!
---
शैवाल (Algae): भविष्य का जैव-ईंधन

सुरेन्द्र "मुल्हिद" ने कहा…

vandana ji...
dil ko chhu lene wali baat keh di aapne....
maine bhi abhi kuch der pehle he ek composition ki hai "shilpkar"...
agar waqt mile toh dekhiyega...
dhenyawaad...

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

वन्दना जी!
जिनसे हमारे हित जुड़े होते है, उनकी ही याद
अधिक आती हैं।
सच तो यह है कि वे हमारे अपने ही होते हैं।
अच्छी कविता है।
बधाई!

सदा ने कहा…

यादों में बसर किसी की तभी किया करते हैं
जब कोई किसी के दिल में घर किया करते हैं

बहुत ही बेहतरीन प्रस्‍तुति ।

रंजना ने कहा…

सुन्दर रचना....Waah !!

सुशील छौक्कर ने कहा…

वाह जी वाह क्या बात है। यादों को सुन्दर शब्दों से बुला लिया।
कभी कभी जरूरतें याद ले आती हैं
वरना याद किसी को किसी की कब आती है

सच्ची ये बहुत अच्छा लगा।

M VERMA ने कहा…

शाम होते ही यादों की अर्थी सजा लेते हैं
रात भर यादों की चिता में जला करते हैं
सुन्दर एहसास की रचना --
बहुत खूब

Vijay Anand ने कहा…

Wao Vandana, aapne to in yaadon ke paripreksh me zindgi ki sachchai byaan kar di. wao, u r really a genious.. lyf ki philosphy ka varnan kar diya h aapne to.. weldone...ek khubsurat bhaavabhivyakti..
Congrates... vijay

Vijay Anand ने कहा…

Wao Vandana ji, apne to yaadon ke sahaare lyf mein yaadon ke hone na hone ke ehsaas ko ekdam se khubsurati se sanjoya diya hai. iss baare mei ek philosphy hi kaayam kar di hai aapne. its really great.

Prem Farukhabadi ने कहा…

यादों में बसर किसी की तभी किया करते हैं
जब कोई किसी के दिल में घर किया करते हैं

aapke bhavon mein hamesha khasiyat hoti hai. iske bhi bhav sarahneey hain .badhai!

vijay kumar sappatti ने कहा…

just one owrd...amazing expression
\
namaskar

vijay
http://poemsofvijay.blogspot.com/

rani009 ने कहा…

yaad to yaad hoti hai
kabhi kushi bankar aati hai
kabhi gum mai badal jaati hai
yady to yady hoti hai