जीवन कब बदलता है
ये तो नज़रों का धोखा है
खुद से खुद को छलता है
यूँ ही उत्साह में उछलता है
ना कल बदला था
ना आज बदलेगा
ये तो जोगी वाला फेरा है
आने वाला आएगा
जाने वाला जाएगा
पगले तेरे जीवन में
क्या कोई पल ठहर जायेगा
जो इतना भरमाता है
खुद से खुद को छलता है
क्यूँ आस के बीज बोता है
क्यूँ उम्मीदों के वृक्ष लगाता है
क्या इतना नहीं समझ पाता है
हर बार खाता धोखा है
कभी ना कोई फल तुझे मिल पाता है
फिर भी हसरतों को परवान चढ़ाता है
आम जीवन कहाँ बदलता है
ये तो पैसे वालों का शौक मचलता है
तू क्यूँ इसमें भटकता है
क्यूँ खुद से खुद को छलता है
ना आने वाले का स्वागत कर
ना जाने वाले का गम कर
मत देखादेखी खुद को भ्रमित कर
तू ना पाँव पसार पायेगा
कल भी तेरा भाग्य ना बदल पायेगा
कर कर्म ऐसे कि
खुदा खुद तुझसे पूछे
कि बता कौन सा तुझे
भोग लगाऊं
कैसे अब तेरा क़र्ज़ चुकाऊँ
मगर तू ना हाथ फैला लेना
कर्म के बल को पहचान लेना
कर्मनिष्ठ हो कल को बदल देना
मगर कभी ना भाग्य के पंछी को
दिल में जगह देना
फिर कह सकेगा तू भी
नव वर्ष नूतन हो गया
मैंने खुद से खुद को जो जीत लिया
मैंने खुद से खुद को जो जीत लिया ............
35 टिप्पणियां:
आदरणीय वन्दना जी
नमस्कार !
..........दिल को छू लेने वाली प्रस्तुती
आपको और आपके परिवार को मेरी और से नव वर्ष की बहुत शुभकामनाये ......
खुशियों भरा हो साल नया आपके लिए
अति सुन्दर अभिव्यक्ति...
नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं...
अति सुन्दर अभिव्यक्ति...
नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं...
नए साल के उजले भाल पे
लिखें इबारत नए ख्याल से
*
मुबारक हो नया साल।
बड़ी ही प्यारी रचना...
आपको और आपके परिवार को नए साल की शुभकामनाएं...
बहुत सुन्दर रचना! नव वर्ष की शुभकामना!
इस दार्शनिक पोस्ट के लिये आभार
सुंदर प्रस्तुति......नूतन वर्ष २०११ की आप को हार्दिक शुभकामनाये
नववर्ष की शुभकामनाएं।
कर्म ही पूजा है... बहुत सुन्दर लिखा है आपने... नववर्ष आपके और आपके सभी अपनों के लिए खुशियाँ और शान्ति लेकर आये ऐसी कामना है
मैं नए वर्ष में कोई संकल्प नहीं लूंगा
yatharth ke dharatal par sarthak baat kah rahi hai aapki sundar rachna..
vandanaji,
nav varsh ki hardik shubhkamnayen sweekaren.
खुद को खुद से जीतने का ज़ज्बा देती यह कविता नव वर्ष के मौके पर नए आशा का संचार करती है.. वर्ष के जाते जाते एक और सुन्दर कविता आपके कलाम से.. कामना है कि वर्ष २०११ में आपकी रचनाएं ब्लॉग के आकाश में सूर्य बनके चमके..
"मगर कभी ना भाग्य के पंछी को,
दिल में जगह देना।"
मनभावन अभिव्यक्ति,आपको और आपके ब्लाग के सभी पाठकों को नववर्ष की शुभकामनायें।
सोलह आने सच बात। नया साल मुबारक।
बहुत ही अच्छी लगी आपकी ये कविता
आप को सपरिवार नववर्ष 2011 की हार्दिक शुभकामनाएं .
सादर
khoobsurat prastuti ke saath naye saalm ki samaapti kar rahi hai aap.....mubarak ho.
सच ये तो जोगी वाला फ़ेरा है ..
बधाइयां .. सुन्दर कविता के लिये और नव वर्ष के लिये भी ....
खुद पर जीत हासिल करने की प्रेरणा देती सुंदर अभिव्यक्ति. आभार.
अनगिन आशीषों के आलोकवृ्त में
तय हो सफ़र इस नए बरस का
प्रभु के अनुग्रह के परिमल से
सुवासित हो हर पल जीवन का
मंगलमय कल्याणकारी नव वर्ष
करे आशीष वृ्ष्टि सुख समृद्धि
शांति उल्लास की
आप पर और आपके प्रियजनो पर.
आप को भी सपरिवार नव वर्ष २०११ की ढेरों शुभकामनाएं.
सादर,
डोरोथी.
आने वाला आयेगा
जाने वाला जायेगा
सच इस आपाधापी में ,
जीवन बदल जायेगा ...
सुन्दर अभिव्यक्ति ..
बधायी नये वर्ष की ....
जीवन नहीं, स्वयं को बदलना होता है।
खुबसुरत रचना, आप का धन्यवाद
vandana ji,
bahut sundar kavita hai,
नव वर्ष 2011
आपके एवं आपके परिवार के लिए
सुखकर, समृद्धिशाली एवं
मंगलकारी हो...
।।शुभकामनाएं।।
जीवन कब बदलता है
ये तो नज़रों का धोखा है
खुद से खुद को छलता है
क्या कहूँ ....?
आपकी पंक्तियाँ उदास कर गईं ....
नववर्ष की शुभकामनाएं ......!!
मगर तू ना हाथ फैला लेना
कर्म के बल को पहचान लेना
कर्मनिष्ठ हो कल को बदल देना
सटीक सन्देश देती अच्छी रचना ..
नव वर्ष की शुभकामनायें
अति सुन्दर अभिव्यक्ति| नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं|
जीवन कब बदलता है
ये तो नज़रों का धोखा है
खुद से खुद को छलता है
यूँ ही उत्साह में उछलता है
--
विचारों से ओत-प्रोत सुन्दर रचना!
नववर्ष 2011 की हार्दिक शुभकामनाएँ!
कविता के जरिये बढिया सन्देश देती रचना !
नववर्ष आपके लिए मंगलमय हो और आपके जीवन में सुख सम्रद्धि आये…एस.एम् .मासूम
कर्म प्रधान कविता अच्छी लगी. .
नए साल की हार्दिक शुभकामनायें.
मुबारक हो नया साल, आप को और सब को!!!
नए साल में आप कामयाबी की नई मंजिलें पाएँ!!!
वंदना जी,
आपकी इस पोस्ट के लिए आपको मेरा सलाम.....अंग्रेजी में हैट्स ऑफ ....
बहुत ही बेहतरीन लगी ये पोस्ट.......जीवंन का ये नजरिया बहुत ही सुन्दर है....
नववर्ष की ढेरो शुभकामनायें|
बस कर्म कर, कर्म कर, कर्म कर
समय को अपने साथ कर, साथ कर
पत्थरों को तोड़कर, जल-प्रपात मोड कर
कर्म में ही धर्म कर, धर्म कर।
नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं।
बहुत सही वंदना जी.. ..फिर भी एक बहाना मिल जाता है मिल्ने जुलने का ...
आपको नव वर्ष के लिए बहुत बहुत शुभकामनाये ....
नव वर्ष की शुभकामनाओं सहित कहना चाहूँगी कि कविता अति उत्तम है....पूरी तरह से ज़मीनी सत्य को उजागर करती साथ ही उड़ने को प्रोत्साहित भी करती...
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