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गुरुवार, 24 मार्च 2011

ए .........एक बार पुकार लो ना

आज मोहब्बत चरम पर है शायद
तभी तुम , तुम्हारी याद , तुम्हारी परछाईं
सभी जान लेने पर तुली हैं
ए .........एक बार पुकार लो ना

मेरे मन के रेगिस्तान में
जब से तुम्हारे प्रेम का
फूल खिला है सनम
अब कैक्टस भी
गुलाब नज़र आता है

आज दिल काबू में नहीं
ये कैसा जादू कर दिया
मुझे मुझसे ही जुदा कर दिया
हाय ये क्या सितम कर दिया

आह! आज ये क्या हो गया है
क्या मौसम जवाँ हो गया है
या दिल बेकाबू हो गया है
जो तुम इतना याद आ रहे हो
ए .........एक बार पुकार लो ना 

शायद दिल कुछ सम्हल जाये
शायद अरमान कुछ निकल जायें
शायद इक हसरत ही निकल जाये
दिल की जुस्तजू परवान चढ जाये
बस ………एक बार पुकार लो ना

32 टिप्‍पणियां:

Unknown ने कहा…

वो मेरे साथ कभी आया भी नही
उसे खोया भी नही और पाया भी नही

रोशनी के बाद भी साथ चला है
रास्ते गवाह है वो मेर साया भी नही

didi padkar achha lga...
aabhaar..

प्रदीप नील वसिष्ठ ने कहा…

बहुत खूबसूरत .कितनी कोमल संवेदनाएं .लगे रहिए-प्रदीप नील www.neelsahib.blogspot.com

सदा ने कहा…

वाह ....बहुत खूब ।।

अरुण चन्द्र रॉय ने कहा…

प्रेम में डूब कर लिखी गई कविता.. खो गया था थोड़ी देर के लिए... बेहतरीन !

Arun sathi ने कहा…

lagta he pyar ho gaya.....dil se.. khubsurat...

Taarkeshwar Giri ने कहा…

Bahut Khub ,

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

आज मोहब्बत चरम पर है शायद
तभी तुम , तुम्हारी याद , तुम्हारी परछाईं
सभी जान लेने पर तुली हैं

:) :) ...अभी भी पुकारना बाकी है ...कैक्टस तक तो गुलाब नज़र आ रहे हैं ...

यह जादू है एहसास का , सोच का ..खूबसूरत एहसास

धीरेन्द्र सिंह ने कहा…

यह पुकार इतनी आग्रहपूर्ण है कि न आने का प्रश्न ही नहीं उठता है आखिरकार इतनी ईमानदारीपूर्वक उन्मुक्त होकर बुलाना भी तो एक कला है। अब अगली कविता "लो ओ आ गए" तर्ज पर होगी ऐसा मेरा अनुमान है।

संजय भास्‍कर ने कहा…

आज दिल काबू में नहीं
ये कैसा जादू कर दिया
मुझे मुझसे ही जुदा कर दिया
हाय ये क्या सितम कर दिया
.........भावपूर्ण पंक्तियों के लिए बधाई !

समयचक्र ने कहा…

bhavapoorn prastuti....

Rakesh Kumar ने कहा…

'आज दिल काबू में नहीं
ये कैसा जादू कर दिया
मुझे मुझसे ही जुदा कर दिया
हाय ये क्या सितम कर दिया'
उसका जादू और नशा ही ऐसा है
'हेरी मै तो प्रेम दीवानी ,मेरा दर्द ना जाने कोय
सूली ऊपर सेज पिया की किस विधि मिलना होई'

amrendra "amar" ने कहा…

आज दिल काबू में नहीं
ये कैसा जादू कर दिया
मुझे मुझसे ही जुदा कर दिया
हाय ये क्या सितम कर दिया


बहुत खूब*****
भावपूर्ण पंक्तियों के लिए बधाई*****

Yashwant R. B. Mathur ने कहा…

बहुत बढ़िया.


सादर

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

प्रेमभरी पुकार।

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

वियोग शृंगार की
बहुत ही भावप्रणव रचना!

रश्मि प्रभा... ने कहा…

एक बार पुकार लो ना
... dam hai is kahe me

Aruna Kapoor ने कहा…

वो मेरे साथ कभी आया भी नही
उसे खोया भी नही और पाया भी नही

...दिल से निकली हुई दर्द भरी आवाज का आभास इस कविता में मिल रहा है!...बधाई वंदना!

आशुतोष की कलम ने कहा…

सुन्दर कविता...प्रेम ज्यादा समझ नहीं पता हूँ..जितना समझा हूँ उतने के आधार पर कह सकता हूँ...

राज भाटिय़ा ने कहा…

बहुत खुबसुरत कविता, धन्यवाद

बेनामी ने कहा…

ओये होए.....क्या बात है......ऐसे पुकारने पर भी जो न आये वो पत्थर दिल ही होगा.....

Satish Saxena ने कहा…

बड़ी प्यारी पुकार ...शुभकामनायें आपको !!

दर्शन कौर धनोय ने कहा…

यादे कुछ ऐसी आई आँखों से रोया न गया !
जख्म कुछ ऐसे छिले फूलो पे सोया न गया !!

कमाल का एहसास !कमाल की अभिव्यक्ति !

Anupama Tripathi ने कहा…

प्रेम से भरी खूबसूरत मनुहार ....!
bahut sunder rachna .

Patali-The-Village ने कहा…

बहुत खुबसुरत कविता, धन्यवाद|

Unknown ने कहा…

आज दिल काबू में नहीं
ये कैसा जादू कर दिया
मुझे मुझसे ही जुदा कर दिया
हाय ये क्या सितम कर दिया


प्रेमभरी अभिव्यक्ति !

ज्ञानचंद मर्मज्ञ ने कहा…

प्यार में डूबी कोमल संवेदनाओं का शब्द चित्र बहुत ही खूबसूरती से आपने उकेरा है !
बधाई वंदना जी !

सुरेन्द्र सिंह " झंझट " ने कहा…

वंदना जी ,
पूरी रचना रसभरी .....
मगर
'ए............एक बार पुकार लो ना'............मुखड़े का जवाब नहीं .....लाजवाब

Asha Joglekar ने कहा…

यह प्यारा सा अनुरोध कोई कैसे अनसुना कर पायेगा ।
बहुत सुंदर ।

Hema Nimbekar ने कहा…

बहुत खूब

हरकीरत ' हीर' ने कहा…

पुकार ही लिया होगा अब तक ....):
इस सुन्दर नज़्म की बधाई ....!!

as ने कहा…

वन्दना जी यहाँ खडी बोली..... बिना लग लपेट के शब्दों का चयन उर्दू, अरबी, फारसी के साथ अंग्रेजी बिना भेद भाव के, बस निरंतरता की कमी कही खल रही है, कुल मिला कर एक अच्छी रचना, थोड़ा निरंतरता पर ध्यान दें.

Ashutosh Pandey ने कहा…

वन्दना जी यहाँ खडी बोली..... बिना लग लपेट के शब्दों का चयन उर्दू, अरबी, फारसी के साथ अंग्रेजी बिना भेद भाव के, बस निरंतरता की कमी कही खल रही है, कुल मिला कर एक अच्छी रचना, थोड़ा निरंतरता पर ध्यान दें.