सात जन्मों के सातों वचन
मेरे सजना अब बदलने पड़ेंगे
पंडितों को वचनों के नियम
मेरे सजना बदलने पड़ेंगे
अब वचनों की नियमवाली में
पहला वचन ये रखना पड़ेगा
कभी मेरी कमाई पर तुम
अपना कोई हक़ न रखोगे
दूसरा वचन ये भरना पड़ेगा
मेरे माता पिता को भी
वो ही सम्मान देना पड़ेगा
उन्हें भी जरूरत पर
साथ अपने रखना पड़ेगा
अपने माता पिता सम
सम्मान वो ही देना पड़ेगा
इसमें न आनाकानी करोगे
कभी यूँ न मनमानी करोगे
तीसरा वचन ये उठाना पड़ेगा
मेरी कमाई का हिस्सा
चाहे हो पूरा या अधूरा
मैं अपने पालनकर्ता को दूँ तो
उसमे न आपत्ति करोगे
बल्कि उनकी जरूरत में
एक हिस्सा अपना भी लगाओगे
चौथे वचन में पिया जी
घर के हर काम में
बराबर का हाथ बंटाओगे
पांचवें वचन में सैयां जी
बच्चों के दायित्वों को
ऑफिस से छुट्टी लेने को
न मुझ पर ही बोझ रखोगे
जरूरत के मुताबिक सजना जी
तुम भी एडजस्टमैंट करोगे
छटे वचन में सैयां जी
इधर उधर न तांक- झांक करोगे
कभी बीवी पर शक न करोगे
उसे दहेज़ के लिए तंग न करोगे
बल्कि सुहाग चिन्हों को तुम भी
मेरी तरह धारण करोगे
करवा चौथ पर सैयां जी
तुम भी व्रत धारण करोगे
जो आज तक पत्नियाँ करती आयीं
वो सब अब तुम भी करोगे
और सातवें वचन में सजन जी
वचन ये भरना पड़ेगा
बेटी हो या बेटा
बराबर का समझना पड़ेगा
दोनों में न भेदभाव करोगे
गर इतना कर पाओ तो
स्वीकार करूंगी तुमको
अब तो तुम्हें भी सैयां जी
रिश्तों का सम्मान करना पड़ेगा
बराबर का दर्जा देना पड़ेगा
किसी भेदभाव का शिकार
न बनने देना होगा
ऐसा कर पाओगे तभी
मेरे दायें अंग में तुम आ सकोगे
कहो पिया जी
वचनों की नियमावली स्वीकार करोगे
पंडितों को भी नियम
बदलने को तैयार करोगे
गर ऐसा मानों तो
सात वचनों के सातों नियम
सात जन्मों तक भी निभ सकेंगे
वरना एक जनम भी
साथ न तुम रह सकोगे
ये साथ रहने के
नए फ़ॉर्मूले अपनाने पड़ेंगे
तभी तुम मेरे
और मैं तुम्हारी बनूंगी
गृहस्थी की गाड़ी भी
पटरी पर साथ ही दौड़ेगी
जब पटरियां समांनातर चलेंगी
चलो आओ सैयां जी
ये नयी जीवन गणना करें हम
हर किसी के जीवन को
एक नया सन्देश अब दें हम
जिसका आधार समानता हो
जिसमे न कोई विषमता हो
प्रेम प्यार मोहब्बत के
सब रंगों का जिसमे इन्द्रधनुष हो
कोई न छोटा बड़ा हो
बस मोहब्बत से घर वो भरा हो
कहो सैयां जी
मेरे साथ ऐसा कर सकोगे
जिस पर अब तक चली मैं
खुद को भी तुम
उसी कसौटी पर कस सकोगे
सात जन्मों के सातों वचन
मेरे सजना अब बदलने पड़ेंगे
पंडितों को वचनों के नियम
मेरे सजना बदलने पड़ेंगे
24 टिप्पणियां:
:):) अच्छी नियमावली है ... कुछ में बदलाव आ रहा है बाकी भी वक्त रहते बदल जायेंगे ... नहीं बदले तो सजन जी मुँह की खायेंगे :):)
मेरे माता पिता को भी वो ही सम्मान देना पड़ेगा उन्हें भी जरूरत पर साथ अपने रखना पड़ेगा अपने माता पिता सम सम्मान वो ही देना पड़ेगा ||
बेटी हो या बेटा बराबर का समझना पड़ेगा ||
बहुत सुन्दर प्रस्तुति ||
बहुत बहुत बधाई ||
http://dineshkidillagi.blogspot.com/2011/10/blog-post_13.html
wow Vandana ji... bahut sahi...
maza aa gaya padhkar... aur abhi shadi to nahi hui, isiliye jisse bhi tay hogi use pahle hi ye padha doongi... ki, "lo padho n manzoor ho to shadi pakki... :) "
बहुत सुन्दर प्रस्तुति ||
बदलते समय के वचन ! बहुत बढ़िया....
वाह ! बहुत खूब... अब समय आ गया है कि समाज चेते और पुराने रीति रिवाजों के नाम पर होता आया अन्याय अब समाप्त हो... नहीं तो विवाह की संस्था ही बिखर जायेगी. बधाई!
वाह क्या वचन हैं :) बदलने ही होंगे.:):).
तीसरा वाला वचन सबसे अच्छा लगा.
आपने बहुत ही खुबसूरत लिखा है| अगर सचमुच ऐसा हो जाए तो पुरुष प्रधान समाज को भी पता चल जायेगा की कैसे सात वचन निभाए जाते हैं |
वाह.......बिकुल अलग नियम बना दिए हैं आपने.......बहुत सुन्दर लगी पोस्ट|
बहुत उम्दा!
saaton vachan ke badle roop jabardast hain
नये समय के बदलते परिवेश में नये वचन।
सुन्दर रचना के लिए बधाई स्वीकार करें.
वचन की बात अच्छी है, मगर आज के इस यूग में क्या पहले के वचन निबाहे जा रहे है , ये तो वही बात है जैसे क़ानून तो है फिर भी आकंठ भ्रष्टाचार .. ह्रदय बदलना होगा, सोच भी बदलनी होगी बैर्हाल बेहतरीन काव्य रचना और सोच बधाई .
सातों वचनों के बदले रूप बेहतर हैं।
चलो आओ सैयां जी ये नयी जीवन गणना करें हम हर किसी के जीवन को
एक नया सन्देश अब दें हम जिसका आधार समानता हो जिसमे न कोई विषमता हो प्रेम प्यार मोहब्बत के
सब रंगों का जिसमे इन्द्रधनुष हो कोई न छोटा बड़ा हो बस मोहब्बत से घर वो भरा हो...
सुन्दर कामना... शुभकामनाये
इन सात वचनों पर आपकी कलम ...अच्छी चली है ...आभार ।
वाह वंदना जी लाजबाब वचन हैं आपके!! इसके लिए तो सविंधान में नया संशोधन करना पड़ेगा वचनों की संख्या भी बढ़नी पड़ेगी
सुन्दर अभिव्यक्ति.
क्या बात...क्या बात..खूब बढ़िया नियमावली लिखी है.
सातों वचन अच्छे हैं सटीक हैं और सामयिक भी । काश सजन जी ये वचन निभायें भी ।
सुंदर प्रस्तुति ।
आपकी पोस्ट को आज ब्लोगर्स मीट वीकली(१३)के मंच पर प्रस्तुत की गई है आप आइये और अपने विचारों से हमें अवगत करिए /आप हिंदी की सेवा इसी मेहनत और लगन से करते रहें यही कामना है /आपका
ब्लोगर्स मीट वीकली के मंच पर स्वागत है /जरुर पधारें/आभार /
आज के वक़्त के मुताबिक है ये नियमावली ....सटीक
आज की नारी जागृत हो रही है ... अच्छी कविता है ...
एक टिप्पणी भेजें