आज तो लग रहा है सबके कहो या अपने ऊपर ये ही फ़िट बैठेगा ………
ना किसी की आँख का नूर हूँ ना किसी के दिल का सुरूर हूँ …… ऊँ ऊँ ऊँ
एक बेचारा आयोजन का मारा ब्लोगर
कैसे खुद को प्रोमोट करेगा
यहाँ तो सभी स्वयं सिद्ध हैं
तो कौन किसे और कैसे भला
बताओ तो प्रोमोट करे
गज़ब की ये चाल चली है
जिसमे ब्लोगर की जान फँसी है
मछली कांटे में यूँ फँसी है
देखो जी ये तो हँसी में फँसी है
हाय रे ब्लोगर की किस्मत
जाने कैसे कैसे भंवर में उलझी है
अब शुरू होगी चमचागिरी है
तू मुझे कर मैं तुझे करूँ की
होड़ मचनी शुरू हो जाएगी
इस हाथ दे और इस हाथ ले की प्रक्रिया
टिप्पणियों की भांति बांटी जाएगी
दांव पेंच वाले ब्लोगर की तो
किस्मत ही चमक जाएगी
मगर जो किसी की आँख का नूर ना हों
ना किसी के दिल का सुरूर न हो
उनकी किस्मत तो
बीरबल की खिचड़ी सी लटक ही जाएगी
ये कैसा आयोजन हो रहा है
महाभारत का दूजा रूप ही दिख रहा है
दंगा भी संभावित दिख रहा है
बच के रहना रे बाबा !!!!!!
यही आवाज़ आती मिलेगी
मगर कुछ ब्लोगरों की तो बांछें खिलेंगी
हर चेहरे से उठता नकाब दिखेगा
देखें अब कौन किसे प्रोमोट करेगा
और खुद को दूसरे ब्लोगर का
शुभचिंतक साबित करेगा
तो दूसरी तरफ सत्य से भी
हर ब्लोगर रु-ब-रु होता मिलेगा
मगर इन सबमे
हमें भी चिंता सता रही है
हमारी भैंस तो वैसे भी
पानी में जा रही है
हम तो यूँ भी किसी खेत की मूली नहीं हैं
ऐसे में हमारे नामांकन की तो
कोई सूरत ना नज़र आ रही है
हाय रविन्द्र जी .......अबकी तो फंसवा दिया
हमारी वाट लगाने का पूरा सामान मुहैया करवा दिया
बताइये कैसे कैसे आयोजन करते हैं
और हम जैसे तो इनमे कहीं नही फ़िट बैठते हैं
हाय रे हमारी किस्मत!
अब किसे खोजें ? कहाँ खोजें?
कौन हमारा नामांकन करायेगा?
ये नयी चिंता सवार हो जाएगी
हर ब्लोगर के साथ हमारी भी
रातों की नींद हराम हो जाएगी
नाम और सम्मान का जब प्रश्न उठा हो
तो कैसे ना हर ब्लोगर की पेशानी पर
बल पड़ता हो
जाने क्या गुल अबके खिलेगा
कौन किसके लिए क्या करेगा
देखो कौन अब टंकी पर चढ़ेगा
और हार और जीत के भंवरों में
देखो तो कौन कौन फंसेगा
मगर बेचारे छेदी लाल के दिल में तो छेद ही छेद मिलेगा
बस ब्लोगर सम्मान और विशेषांक के लिए तो
उसका दिल भी फटेगा तो कहिये
कैसे ना छेदों में उसके इजाफा बढेगा
फिर कैसे ना उसके मुख से ये ही निकलेगा
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बडा दुख दीन्हा रविन्द्र जी आपके आयोजन ने :)))
दोस्तों
बुरा मत मानना जी निर्मल हास्य है और ऐसा पढ़कर ये ख्याल आना लाजिमी भी है :))
अब रविन्द्र जी के ब्लोगर विशेषांक और परिकल्पना सम्मान की घोषणा पढ़ी तो ये ख्याल मन में उतर आया क्योंकि इसमें कुछ बेचारों का तो यही हश्र होना तय ही दिख रहा है ..........बेशक आयोजन और उसकी कल्पना बेहतरीन है और अपने आप मे बेजोड है जो ब्लोगिंग के भविष्य मे चार चाँद ही लगायेगी ।
इस आयोजन का लिंक भी दे रही हूँ ताकि सब ब्लोगर दोस्तों को इस आयोजन के बारे में पूरी जानकारी हो जाये जिन्हें पता ना चला हो उन्हें भी पता चल जाए ताकि सब इसमें पूरी तरह अपनी भागीदारी सुनिश्चित कर सकें ........
22 टिप्पणियां:
क्या बात है ... :)
अरे यह क्या हो गया आपको?
अरे यह क्या हो गया आपको?
kinki kripa kin par barsegi
:):) सही है ... कौन किसको प्रमोट करेगा ...
इस ब्लोगिंग की दौड़ की
होड़ मेँ मत जाओ
ब्लोगिंग करो और
मस्त हो जाओ :):)
achchha nirmal hasya hai...:) jisko bhi mile ham to bas jai ho ka nara lagayenge...:)
@ Mukesh Kumar Sinha
अरे मुकेश तुम्हारे और हमारे जैसे लोग भी होने चाहिये आखिर दर्शक भी जरूरी हैं और जो सम्मानित होंगे उन के लिये तालियाँ भी तो बजाना जरूरी है आखिर ब्लोगिंग के उत्थान का सवाल है और हम सबके लिये गर्व की बात है जो ब्लोगिंग अपना एक मुकाम बनाने जा रही है तो क्या हुआ हम दर्शक ही हों कम से कम हम हैं तो ब्लोगर ही ना :)))
@संगीता स्वरुप ( गीत ) जी आपका कहना बिल्कुल सही है हम भी तो मस्ती ही कर रहे हैं वैसे भी इतने दिनो से तल्ख सा माहौल था तो निर्मल हास्य भी जरूरी था ………और हम तो अपनी ब्लोगिंग मे ही मस्त हैं।
@एस.एम.मासूम जी कुछ नही हुआ ………मस्ती का मूड बन गया वैसे भी इतने दिनो से तल्ख सा माहौल था तो निर्मल हास्य भी जरूरी था
क्यों चिंता करते हैं आप?
कौन क्या कर रहा है ?
आप वो करो जो आपको अच्छा लगे
निर्मल हास्य व्यंग का आभास देता है
वंदना जी आपने सही कहा, अब देखेंगे कौन किसकी सिफारिश करता है
बेहतरीन रचना लिखी है आपने बहुत अच्छी
kavita aap ki badhiyaa lagii likhtee rahey aur chinta naa karae kyuki kyaa aap " bhi" bloging sammaan paane aur sahityakar bannae kae liyae kartee haen
@रचना जी व @ डा.राजेंद्र तेला"निरंतर"(Dr.Rajendra Tela,Nirantar)" मै तो पहले भी नही थी इस रेस मे ना ही अब्………बस जो देखती हूँ वो ही लिखती हूँ क्योंकि यहाँ ऐसा ही होता आया है तो बस मन किया कि चलो इस बार थोडा हास्य कर लिया जाये और ये तो मेरे उसूलों के खिलाफ़ है कि मै अपने लिये कहीं भी किसी से भी कोई सिफ़ारिश करूँ और ना ही मेरा मकसद सम्मान पाना है अरे मेरे इतने पाठक मुझे पढ रहे हैं वो ही मेरे लिये सबसे बडा सम्मान है इसलिये इस संदर्भ मे तो लीजिये ही मत कि सम्मान की खातिर लिखा है ………जब भी कोई लेखक कुछ भी लिखता है तो अपने ऊपर करके ही लिखता है मगर उसका मतलब ये नही होता कि वो उस पर भी घटित हो या लागू हो………एक निर्मल हास्य को आप सब दूसरी दृष्टि से ना देखें क्योंकि कोई इसे व्यंग्य समझ रहा है कोई इसे मुझसे जोड रहा है मगर मै तो हमेशा से ही ऐसा लिखती आई हूँ जब भी कोई मौका मिला हास्य का तो चूकती नही ………जरूरी थोडे है कि हमेशा हम तल्ख या दर्द भरा ही लिखें कभी कभी ऐसा भी लिखना चाहिये जिससे सुखद अहसास भी हो ।
यह तो निर्मल हास्य की फुआर है!....सुन्दर रचनाओं की बारिश कभी न थमें...आभार!
वंदना जी,हास्य की बात तो ठीक है। पर आयोजन की जानकारी पढ़कर ऐसा लगा कि आप स्वयं भी अपने ब्लाग का नामांकन कर ही सकती हैं। उसमें ऐसा तो अनिवार्य नहीं है कि कोई और आपके ब्लाग के बारे में बताए। और फिर 600 ब्लागरों का जिक्र होने वाला है उसमें कहीं न कहीं तो आप आ ही जाएंगी।
@ राजेश उत्साही जी …………मुझे समझ नही आ रहा एक निर्मल हास्य को सब किस तरह ले रहे हैं ………मैने तो हास्य किया है और जब भी कोई लिखता है चाहे कवि हो या लेखक खुद को ही मुखातिब करके लिखता है और उसी अन्दाज़ मे लिखा है ना कि अपने लिये लिखा है आप इसका गलत अर्थ ना लगायें राजेश जी…………………और मुझे इस बात की चिन्ता भी नही है और ना ही चाहत …………क्या अब हास्य के लिये भी सफ़ाई देनी होगी? आप मेरी और टिप्पणियाँ पढिये आप समझ जायेंगे कि मेरे दिल मे ऐसा कोई ख्याल तक नही है बल्कि मुझे तो लोगों ने कहा कि तुम मुझे करो मै तुम्हे मगर मैने मना कर दिया क्योंकि मै किसी रेस मे शामिल नही हूँ सिर्फ़ अपने सुख के लिये लिखती हूँ और यदि मेरे लिखे से किसी को अपनापन मिलता है तो खुश होती हूँ मगर इसे इन बातो से ना जोडें क्योंकि पहले भी ऐसा होता आया है देखा है आपने और हमने तो बस उसी को आज लिख दिया मगर अपने लिये नही और ना ही किसी सम्मान की चाहत है मेरा सम्मान मेरे पाठकों के विचार हैं राजेश जी और वो मुझे मिलते रहते हैं।
हा हा ... निर्मल हास्य ... पर क्या ये केवल हास्य तक रह सकेगी ...
बहुत खूब! मजा आ गया....
बहुत ही बेहतरीन और प्रशंसनीय प्रस्तुति....
इंडिया दर्पण की ओर से शुभकामनाएँ।
यह तो इस दुनिया की आदत है। किसी नए और अच्छे काम करने वाले को साथ देने की जगह आलोचना करने (टांग खींचने) पर लोग उतारू रहते हैं।
आज ही हमारे ब्लॉग पर एक श्रीमान जी एक महापुरुष को गाली देकर चले गए। जबकि वे खुद को डिफ़ेंड करने के लिए ज़िन्दा भी नहीं हैं।
@ मनोज कुमार जी आपका कहना बिल्कुल सही है ……रविन्द्र जी का ये कार्य बेशक प्रशंसनीय है। और आने वाले वक्त मे मील का पत्थर साबित होगा मनोज जी …………जितनी मेहनत रविन्द्र जी करते हैं उसके आगे हम सभी नतमस्तक हैं ।
हिंदी ब्लॉगिंग अभी जिस दौर से गुजर रही है उसमें मुझे कहीं भी ये गुंजाईश नहीं दिख रही है कि सकारात्मक न सही मगर नकारात्मक दिशा देने वाली पोस्टें वहां से आएं जहां इसकी उम्मीद आप कतई न किए बैठे हों । जाने आजकल बहुत सी पोस्टें क्यों लिख कर मिटाए जाने के लिए लिखी जा रही हैं ॥
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