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शुक्रवार, 15 जून 2012

नारीलता का फूल

दोस्तों फ़ेसबुक पर ये फ़ोटो देखा फिर गूगल मे जाकर देखा तब जाकर विश्वास हुआ कुदरत के अजब गज़ब करिश्मे पर ..........अब इस करिश्मे को देखकर जो भाव उतरे वो आपके समक्ष हैं।

सुना है
नारीलता  फूल 
२० साल में बनता है
हिमालय की तराइयों में 
कहीं उगता है
कुदरत का करिश्मा न्यारा है
नारी की आकृति को
यूँ उभारा है 
नारी नहीं रहीं तुम अबूझ पहेली 
देखो तो सही
कुदरत का करिश्मा
टांग दिया है जिसने तुम्हें 
शाखों पर टहनियों पर 
बना कर फूल 
बता दिया दुनिया को
तुम कितनी कोमल हो 
फूल की मानिन्द 
यूँ ही नहीं उसने तुम्हें
फूल की मानिन्द उगाया है
कुछ और भी तो बना सकता था
जड़ , पत्ते , टहनी या तना
मगर नहीं किया उसने ऐसा 
जानती हो क्यों 
जानता है वो ........कोमलांगी हो तुम
कैसे सहेजता है ना
२० वर्ष लग जाते हैं उसे भी
तुम्हें आकार देने में 
कितनी सतर्कता से परवरिश करता है
वक्त पर खाद पानी सब देता है
तब जाकर तुम्हारा रूप खिलता है
मगर देखो तो सही
यहाँ कैसे तुम्हारे रूप का 
दुरूपयोग हुआ
कैसे तुम्हारा तिरस्कार हुआ
तभी तो गर्भ में ही तुम्हें
मिटाने का आदेश हुआ
आह ! जिस रूप को सँवारने में
कुदरत भी वक्त लेती है
जिस आकार को बनाने में
कुदरत भी इंतज़ार का दंश सहती है
उसे कैसे वीभत्सता से 
नृशंसता से मारा जाता है 
ये देख कुदरत भी रोती है 
ओ मनुज! हो जा सावधान
गर कुदरत ने नियम बदल दिया
और तूने उसका यूँ ही अपमान किया
कहीं ऐसा ना हो जाये
२० वर्ष की जगह २० युग बीत जाएँ
और तू ममतामयी रूपों के लिए तरस जाए
जो नारी को ये रूप दे सकता है
सोच जरा वो क्या नहीं कर सकता है
मत कर नारी का अपमान
जो नारी जीवन को गति देती है
कुदरत भी उसकी देख
कैसे देखरेख करती है
नारीलता फूल की बनावट यही कहती है 
अब तो बीस वर्ष में उगती हूँ
कहीं ज्यादा तिरस्कार किया
ऐसा ना हो जाये
विलुप्त प्राणियों की श्रेणी में मेरा भी आगाज़ हो जाये ............



18 टिप्‍पणियां:

सदा ने कहा…

वाह ... बहुत ही बढि़या

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

अद्भुत ..... रचना भी बहुत सार्थक है

रविकर ने कहा…

उत्कृष्ट प्रस्तुति |
बधाई ||

Unknown ने कहा…

मन को उद्देलित करनेवाले शब्द दिए है आपने र सटीक भी. इस कृत्य को क्या नाम दू समझ ही नहीं प् रहा हूँ

रश्मि शर्मा ने कहा…

बहुत सुंदर रचना....मैंने भी इसे फेसबुक पर देखा था....पर यकीन नहीं हुआ था कि‍ ऐसा भी होता है.....वाकई...ईश्‍वर की सबसे सुंदर कृति‍ है नारी..

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

प्रकृति को ठुकराने में अपमान होता है..

बेनामी ने कहा…

अद्भुत जानकारी....सुन्दर कविता ।

Anita ने कहा…

आश्चर्य ! अद्भुत ! क्या सचमुच ऐसा है...

रश्मि प्रभा... ने कहा…

प्रकृति में निहित कितने रहस्य हैं .... इस करिश्मे के पीछे कोई तो वजह होगी ! इस करिश्मे ने आपकी सोच के साथ जो करिश्मा किया है, वो दिख रहा है ...

M VERMA ने कहा…

अद्भुत है ..
और फिर आपकी काव्य दृष्टि क्या कहने ...

ब्लॉ.ललित शर्मा ने कहा…

बेहतरीन रचना, वैसे नारीलता का यह चित्र संदेह के दायरे में है,एक अरसे पहले किसी ने बताया था कि यह ग्राफ़िक्स की बाजीगरी है।
मिलिए सुतनुका देवदासी और देवदीन रुपदक्ष से रामगढ में
जहाँ रचा गया महाकाव्य मेघदूत।

Mamta Bajpai ने कहा…

नारों लाता एक नई जानकारी से अवगत करने और
साथ ही एक सार्थक सन्देश देने के लिए आभार

रचना ने कहा…

yae ek HOAX haen to internet par saalo sae ghum rahaa haen

aesa koi paed nahin hotaa haen

aap ko kabhie sahii jaankari chaiaye ho to image kaa link google par daal dae aur images me jaa kar check karae

khud baa khud khul jayegaa
ek aap ki suvidha kae liyae dae rahee hun

http://www.aooch.com/hoax/narilatha-flower

shyam gupta ने कहा…

सबसे सुन्दर पुष्प तो यही है....

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

बहुत अच्छी प्रस्तुति!
इस प्रविष्टी की चर्चा कल रविवार (17-06-2012) के चर्चा मंच पर भी होगी!
सूचनार्थ!

Rakesh Kumar ने कहा…

जैसा कि रचना जी कह रहीं हैं,कि सब इमेजनरी है बरहाल,फूल हो या ना हो
पर आपकी कल्पना की उड़ान फूल प्रूफ है.

चलिए एक कल्पना जड़पुरुष पर भी करके देखिएगा,
यानि जिस पेड़ की जड़ में पुरुष की छवि दिखती हो.
कहीं यह उसी पेड़ में ही तो नहीं जिसमें नारीलता का
फूल खिलता है.

ritesh raj ने कहा…

sahi me yah Bhagwan ki Bnai hui ek Adbhut Rachna h, Ise Dekh kar Lagta h ki Ishwar sabse bada Nirmata h , or Hume is Prakrti rupi Bhagwan ka Hmesha Samman karna chahiye

abhishek singh ने कहा…

BAHUT KHUB .... DHANYAWAAD