जलती चिताओं का मौन भी कभी टूटा है?
शायद आज फिर से कोई तारा टूटा है
आज फिर किसी रात का बलात्कार हुआ है
शायद आज फिर किसी का नसीबा रूठा है
दिन के उजाले भी कभी रुसवा हुए हैं
शायद आज फिर अंधेरों का भरम टूटा है
मिटटी के खिलौनों को कब धडकनें मिली हैं
शायद आज फिर खुद से साक्षात्कार हुआ है
बेशर्मी बेईमानी की चिताएं भी कभी सजती हैं
शायद आज फिर से कहीं ईमान होम हुआ है
शायद आज फिर से कोई तारा टूटा है
आज फिर किसी रात का बलात्कार हुआ है
शायद आज फिर किसी का नसीबा रूठा है
दिन के उजाले भी कभी रुसवा हुए हैं
शायद आज फिर अंधेरों का भरम टूटा है
मिटटी के खिलौनों को कब धडकनें मिली हैं
शायद आज फिर खुद से साक्षात्कार हुआ है
बेशर्मी बेईमानी की चिताएं भी कभी सजती हैं
शायद आज फिर से कहीं ईमान होम हुआ है
19 टिप्पणियां:
बहुत खूबसूरती से आज के हालात का बयाँ
bahut khoobasoorat aur saarthak prastuti.
bahut sundar prastuti...
सुंदर एवं सार्थक रचना...
मिट्टी के खिलौनों को कब धड़कनें मिली हैं ...वाह बहुत खूब
यह धुआं छटे, यही कामना है...
मिटटी के खिलौनों को कब धडकनें मिली हैं
शायद आज फिर खुद से साक्षात्कार हुआ है
बातों-बातों में बहुत बड़ी बात कह दी आपने।
बहुत खूब!
ये रुदन जो सुनाई दे रहा है , वह तूफ़ान का इशारा है
सुन्दर और शानदार ग़ज़ल।
मिटटी के खिलौनों को कब धडकनें मिली हैं
शायद आज फिर खुद से साक्षात्कार हुआ है
बहुत ही सुंदर...
आज के समय को कहती सुंदर अभिव्यक्ति
sunder bhavon se bhari kavita
rachana
vartmaan paridrishy ko behtarin tareeke se darshaati shasakt ghazal...bahut dino baad aapki ghazal padhne ko mili..sadar badhayee ke sath
bemisaal!
बहुत सुन्दर सार्थक रचना...
सादर.
दिन के उजाले भी कभी रुसवा हुए हैं
शायद आज फिर अंधेरों का भरम टूटा है
बेशर्मी बेईमानी की चिताएं भी कभी सजती हैं
शायद आज फिर से कहीं ईमान होम हुआ है
वंदना जी बहुत सुन्दर ...आज के हालात को दर्शाती रचना ..बहुत कुछ कह दिया इस रचना ने काश लोग खुद को देखें
भ्रमर ५ ...
सभी शेर एक से बढ़कर एक...
अंतर्मन को झकझोर रहे हैं...
दर्दनाक अभिव्यक्ति ....
हालात ऐ बिआं अति खूबसूरत
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