पेज

मेरी अनुमति के बिना मेरे ब्लॉग से कोई भी पोस्ट कहीं न लगाई जाये और न ही मेरे नाम और चित्र का प्रयोग किया जाये

my free copyright

MyFreeCopyright.com Registered & Protected

शुक्रवार, 26 अप्रैल 2013

सुन्न

जब सुन्न हो जाता है कोई अंग
महसूस नहीं होता कुछ भी
न पीड़ा न उसका अहसास
बस कुछ ऐसी ही स्थिति में
मेरी सोच
मेरे ह्रदय के स्पंदन
सब भावनाओं के ज्वार सुन्न हो गए हैं

अंग सुन्न पड़ जाए तो

उस पर दबाव डालकर
या सहलाकर
या सेंक देकर
रक्त के प्रवाह को दुरुस्त किया जाता है
जिससे अंग चलायमान हो सके
मगर
जहाँ मन और मस्तिष्क
दोनों सुन्न पड़े हों
और उपचार के नाम पर
सिर्फ अपना दम तोड़ता वजूद हो
न खुद में इतनी सामर्थ्य
कि  दे सकें सेंक किसी आत्मीय स्पर्श का
न ऐसा कोई हाथ जो
सहला सके रिश्ते की ऊष्मा को
या आप्लावित कर सके
रिक्तता को स्नेहमयी दबाव से
फिर कैसे संभव है
खुद -ब -खुद बाहर आना
सूने मन के , तंग सोच के
सुन्न पड़े दायरे से ...............

14 टिप्‍पणियां:

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

आत्मीयता ही इस पक्षपात में ऊर्जा ला सकती है।

Anita ने कहा…

संभव है..और सम्भव ही नहीं यह तो हो ही रहा है..सुन्न होने का अहसास होते ही सब सचेत होने लगता है...

Arshia Ali ने कहा…

मन को छू जाने वाले भाव।
बधाई।
............
एक विनम्र निवेदन: प्लीज़ वोट करें, सपोर्ट करें!

सदा ने कहा…

सुन्‍न पड़े दायरे ..............बहुत सही कहा आपने ....

Anju (Anu) Chaudhary ने कहा…

इसी आशा के साथ कि सुन्न हुए हिस्सों पर वक्त ही महरम बन कर काम करे तो करे ...गहन भाव लिए हुए लेखनी

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

मुश्किल तो है .....पर खुद को निकालना पड़ता है इस दायरे से .... अपनी ही सोचों की ऊर्जा से , भावभीनी अभिव्यक्ति

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

बहुत सुन्दर और सार्थक प्रस्तुति!
साझा करने के लिए धन्यवाद!

नीलिमा शर्मा Neelima Sharma ने कहा…

BEHTAREEN PESHKASH

नीलिमा शर्मा Neelima Sharma ने कहा…

BEHTAREEN PESHKASH

Kailash Sharma ने कहा…

तलाश है ऐसे स्पर्श की जो सुन्न अंग में ऊर्जा प्रस्फुटित कर सके..अंतस को छूती रचना..

रश्मि शर्मा ने कहा…

सुन्‍न पड़े दायरे..कैसे पाटे हम

Tamasha-E-Zindagi ने कहा…

वाह बहुत खूबसूरत अभिव्यक्ति | आभार

कभी यहाँ भी पधारें और लेखन भाने पर अनुसरण अथवा टिपण्णी के रूप में स्नेह प्रकट करने की कृपा करें |
Tamasha-E-Zindagi
Tamashaezindagi FB Page

Nidhi ने कहा…

सुन्दर..हर संवेदनशील व्यक्ति का यही हाल है.

रश्मि प्रभा... ने कहा…

तुम्हारी रचनाएँ कुछ कमेंट्स के मोहताज नहीं ........... जब भी पढ़ती हूँ - ठिठक जाती है दृष्टि,सोच .... बहुत कुछ स्पष्ट होता है,जिसे समझा जा सकता है .... उसके असर को हुबहू व्यक्त करना मुश्किल होता है कई बार